Wednesday, October 15, 2025

ब्लैक मंडे:सेंसेक्स में 2500 अंक की ऐतिहासिक गिरावट, निफ्टी 22,000 के नीचे!

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Black Monday : वैश्विक बाजारों में कमजोरी के बीच भारतीय शेयर बाजार के लिए यानी सोमवार (7 अप्रैल) ‘ब्लैक मंडे’ (Black Monday) साबित हुआ. अमेरिका ने 180 से ज्यादा देशों पर टैरिफ लगाया है. इसके जवाब में चीन ने अमेरिकी उत्पादों पर 34% का जवाबी टैरिफ लगा दिया है. इससे विश्व में ग्लोबल ट्रेड वॉर की चिंता गहराई गई है. इसके अलावा, विदेशी निवेशकों की बिकवाली जारी है. इससे बाजार में चौतरफा बिकवाली देखने को मिल रही है.

Black Monday : BSE Sensex 4000 अंक थक गिरावट के खुला

तीस शेयरों वाला बीएसई सेंसेक्स आज (BSE Sensex) 4000 अंक के करीब गिरकर 71,449.94 पर ओपन हुआ. जबकि शुक्रवार को यह 75,364.69 अंक पर बंद हुआ था. सुबह 9:20 बजे सेंसेक्स 3153.86 अंक या 4.18% की बड़ी गिरावट लेकर 72,210.83 पर था.

इसी तरह नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (NSE) का निफ्टी-50 (Nifty-50) भी 1000 अंक से ज्यादा की गिरावट लेकर 21,758.40 पर खुला. शुक्रवार को यह 22,904 पर बंद हुआ था. सुबह 9:24 बजे निफ्टी 996.15 अंक या 4.35% की बड़ी गिरावट के साथ 21,908.30 अंक पर था.

निवेशकों के 10 मिनट ₹18 लाख करोड़ डूबे

भारतीय शेयर बाजार में सोमवार को आई बड़ी गिरावट से निवेशकों को तगड़ा नुक्सान हुआ है. बाजार खुलते ही बीएसई में लिस्टेड कंपनियों का मार्केट कैप गिरकर 3,86,01,961 लाख करोड़ रुपये पर आ गया. यह शुक्रवार को 404,09,600 लाख करोड़ रुपये था. इस तरह बाजार खुलने के 10 मिनट के अंदर निवेशकों की वेल्थ 18,07,639 करोड़ रुपये घट गई.

शुक्रवार को कैसी थी बाजार की चाल?

इससे पहले शुक्रवार के ट्रेडिंग सेशन में सेंसेक्स (Sensex) 930.67 अंक यानी 1.22% टूटकर 75,364.69 पर बंद हुआ था. वहीं, निफ्टी50 में 345.65 अंकों की गिरावट आई थी और यह 1.49% टूटकर 22,904.45 पर बंद हुआ था.

ग्लोबल मार्केट में गिरावट जारी, एशियाई बाजारों में बड़ी गिरावट

एशियाई बाजारों में सोमवार को गिरावट का सिलसिला जारी रहा. अमेरिका के राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप की ओर से लगाए गए टैरिफ के चलते ग्लोबल ट्रेड वॉर की आशंका ने निवेशकों के बीच घबराहट बढ़ा दी है. जापान का निक्केई इंडेक्स 8 फीसदी से ज्यादा टूटा, जबकि टॉपिक्स इंडेक्स में 8.6 फीसदी की गिरावट दर्ज हुई. बाजार में भारी गिरावट के चलते जापानी फ्यूचर्स ट्रेडिंग को अस्थायी रूप से रोका गया क्योंकि सर्किट ब्रेकर ट्रिगर हो गया.

दक्षिण कोरिया के बाजारों में भी बड़ी गिरावट दिखी। कोस्पी इंडेक्स शुरुआती कारोबार में 4.3 फीसदी गिरा, जबकि कोस्डाक 3.4 फीसदी टूटा. ऑस्ट्रेलिया का ASX 200 इंडेक्स 6 फीसदी फिसला और यह अब फरवरी की चोटी से 11 फीसदी गिर चुका है, यानी यह करेक्शन जोन में पहुंच गया है.

अमेरिका में भी निवेशकों का भरोसा डगमगाता नजर आया. डाउ जोंस फ्यूचर्स 979 अंक या 2.5 फीसदी गिर गया. S&P 500 फ्यूचर्स में 2.9 फीसदी की गिरावट रही, जबकि नैस्डैक-100 फ्यूचर्स 3.9 फीसदी तक टूट गया.

इस बीच, अमेरिकी क्रूड ऑयल की कीमतें भी गिरकर $60 प्रति बैरल से नीचे आ गईं. WTI क्रूड फ्यूचर्स 3 फीसदी से ज्यादा टूटकर $59.74 पर पहुंच गया, जो अप्रैल 2021 के बाद सबसे निचला स्तर है. हालांकि इतनी गिरावट के बावजूद ट्रंप प्रशासन के आर्थिक सलाहकारों ने महंगाई या मंदी को लेकर चिंता नहीं जताई है. उनका कहना है कि टैरिफ्स को बाजार की प्रतिक्रिया से कोई फर्क नहीं पड़ेगा और ये लागू रहेंगे.

अमेरिकी शेयर बाजारों में शुक्रवार को जोरदार गिरावट देखने के लिए मिली. इसकी बड़ी वजह चीन की ओर से अमेरिकी सामान पर 34% अतिरिक्त टैरिफ (शुल्क) लगाने की घोषणा रही. इससे ग्लोबल ट्रेड वॉर यानी वैश्विक व्यापार युद्ध की आशंका और गहरा गई है. जानकारों का मानना है कि इससे अमेरिका की अर्थव्यवस्था मंदी की ओर बढ़ सकती है.

इस खबर के बाद डॉव जोन्स इंडस्ट्रियल एवरेज 5.5% गिरा, जो जून 2020 (कोविड महामारी के दौरान) के बाद सबसे बड़ी गिरावट है. एसएंडपी 500 इंडेक्स में भी 5.97% की गिरावट आई, जो मार्च 2020 के बाद की सबसे बड़ी गिरावट मानी जा रही है. वहीं टेक कंपनियों से भरे नैस्डैक इंडेक्स में भी 5.8% की गिरावट दर्ज की गई. खास बात ये है कि दिसंबर के टॉप लेवल से अब तक नैस्डैक में कुल 22% की गिरावट आ चुकी है, जिससे यह बेयर मार्केट में एंट्री कर चुका है.

आरबीआई की मौद्रिक नीति समिति की बैठक आज से शुरू

भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) की छह सदस्यीय मौद्रिक नीति समिति (MPC) की बैठक सोमवार को होगी. यह बैठक चालू वित्त वर्ष की पहली बैठक होगी. उम्मीद जताई जा रही है कि RBI नीतिगत रीपो रेट में 25 बेसिस प्वाइंट की कटौती कर सकता है हालांकि, थोड़ी संभावना गहरी कटौती की भी है.

बैठक में लिक्विडिटी यानी नकदी प्रवाह से जुड़े उपायों पर भी नजर रहेगी, ताकि रेपो रेट में बदलाव का असर बैंकों की कर्ज और डिपॉजिट दरों तक आसानी से पहुंच सके. बैठक से पहले RBI ने बैंकों के साथ कई बैठकें की हैं, ताकि लिक्विडिटी फ्रेमवर्क को लेकर उनकी राय ली जा सके.

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