तीन न्यायाधीशों की एक समिति ने दिल्ली उच्च न्यायालय के पूर्व न्यायाधीश यशवंत वर्मा Yashwant Varma को हटाने की सिफारिश की है. मार्च में यशवंत वर्मा के आवास पर जली हुई नकदी का ढेर पाया गया था.
एनडीटीवी की रिपोर्ट के अनुसार, सर्वोच्च न्यायालय द्वारा नियुक्त पैनल ने 55 गवाहों से पूछताछ की, वर्मा का बयान दर्ज किया और गुरुवार सुबह 64 पृष्ठों की रिपोर्ट पेश की.
64 पन्नों की रिपोर्ट में क्या लिखा है
समिति की रिपोर्ट में दो मुख्य अवलोकन किए गए हैं, जिनका हवाला NDTV ने अपनी रिपोर्ट में आधिकारिक निष्कर्षों से दिया है, जो न्यायमूर्ति यशवंत वर्मा के खिलाफ महाभियोग की कार्यवाही शुरू करने की इसकी सिफारिश का आधार बनते हैं.
रिपोर्ट के अनुसार समिति ने उल्लेख किया. एक की समिति का मानना है कि 30 तुगलक क्रिसेंट के परिसर में स्थित स्टोररूम में पैसा/नकदी पाई गई थी…जो आधिकारिक तौर पर न्यायमूर्ति वर्मा के कब्जे में था.”
दूसरी टिप्पणी में कहा गया है, “स्टोररूम तक न्यायमूर्ति वर्मा और उनके परिवार के सदस्यों की पहुंच थी, और बिना अनुमति के किसी बाहरी व्यक्ति की पहुंच के बिना अच्छी तरह से निगरानी की जाती थी.”
अपने निष्कर्षों के आधार पर पैनल ने कहा कि न्यायमूर्ति वर्मा के खिलाफ महाभियोग की कार्यवाही शुरू करने के लिए पर्याप्त आधार मौजूद हैं, जो वर्तमान में इलाहाबाद उच्च न्यायालय में पद पर हैं.
नकदी जब्ती के तुरंत बाद उनका न्यायालय में स्थानांतरण हुआ, इस कदम की कानूनी समुदाय और नागरिक अधिकार संगठनों के सदस्यों द्वारा व्यापक रूप से आलोचना की गई।
न्यायमूर्ति Yashwant Varma के घर में आग लगने के बाद जली हुई नकदी मिली थी
दिल्ली उच्च न्यायालय में अपने कार्यकाल के दौरान मार्च में न्यायमूर्ति यशवंत वर्मा के दिल्ली स्थित आवास में आग लगने के बाद आउटहाउस में नकदी से भरी कई जली हुई बोरियां मिलीं.
सुप्रीम कोर्ट ने न्यायमूर्ति वर्मा के खिलाफ आरोपों की जांच के लिए पंजाब एवं हरियाणा उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति शील नागू, हिमाचल प्रदेश उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति जीएस संधावालिया और कर्नाटक उच्च न्यायालय की न्यायमूर्ति अनु शिवरामन की तीन सदस्यीय समिति गठित की थी.
इस समिति ने 4 मई को भारत के मुख्य न्यायाधीश को अपनी रिपोर्ट सौंपी, हालांकि इसके निष्कर्ष अभी तक सार्वजनिक नहीं किए गए हैं.
न्यायमूर्ति यशवंत वर्मा ने अपनी सफाई में क्या कहा
न्यायमूर्ति यशवंत वर्मा ने स्टोररूम से बरामद जली हुई नकदी से किसी भी तरह की संलिप्तता से इनकार करते हुए कहा कि न तो उन्होंने और न ही उनके परिवार के किसी सदस्य ने स्टोररूम में पैसा रखा था.
दिल्ली उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश डीके उपाध्याय को दिए गए अपने जवाब में उन्होंने कहा कि आरोप उन्हें फंसाने और बदनाम करने का प्रयास प्रतीत होते हैं.
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