Thursday, November 7, 2024

Nitish Kumar: मंत्री अशोक चौधरी के गले लगे मुख्यमंत्री, 3 दिन पहले गर्दन पकड़े आए थे नज़र, जानिए क्या है माजरा

बिहार के मुख्यमंत्री का प्यार भी अजब है और गुस्सा भी…..वो कब किसे गले लगा ले और कब किसका गला पकड़ ले कहना मुश्किल है. जी हां चंद दिनों पहले नीतीश कुमार का हाथ मंत्री अशोक चौधरी की गर्दन पर था….और अब मंत्री के कंधे पर नीतीश का सर रख नीतीश अपने प्यार का इज़हार कर रहे है.

सीएम ने कहा- ‘इनसे हम बहुत प्रेम करते हैं

गले लगने या गले पड़ने…..ये आप तय कर ले……की ये घटना उस समय हुई जब नीतीश कुमार पूर्व मुख्यमंत्री स्व. भोला पासवान शास्त्री की जयंती पर उन्हें श्रद्धांजलि देने पटना के श्रीकृष्ण मेमोरियल हॉल पहुंचे.
सीएम श्रद्धांजलि देकर बाहर निकले तो पत्रकारों ने घेर लिया. सवाल उठा कि क्या नीतीश कुमार को टीका और तिलक से दिक्कत है. जब पत्रकारों से बाद कर लौटते नीतीश कुमार से बार बार एक पत्रकार ने ये सवाल पूछा…..तो नीतीश लौटे…..कहा ऐसा मत कहिए….हम सब धर्मों का सम्मान करते है. हमारे राज्य में 6 धर्म है हम सबका काम करते है.
इसके बाद नीतीश ने अपने पीछे खड़े मंत्री अशोक चौधरी की ओर मुड़े और उनके कंधे पर सर रख कहा, ‘इनसे हम बहुत प्रेम करते हैं

सीएम ने क्यों पकड़ी थी मंत्री अशोक चौधरी की गर्दन

नीतीश का ये अंदाज़ देख पत्रकार भी हैरान रह गए…..अभी 3 दिन पहले की ही बात है जब गांधी मैदान के पास मॉरीशस के पूर्व राष्ट्रपति शिवसागर रामगुलाम की जयंती समारोह में पहुंचे मुख्यमंत्री ने एक पत्रकार को टीका लगाये देखा तो अपने मंत्री अशोक चौधरी की गर्दन पकड़ कर लगभग उन्हें खींचते हुए पत्रकार के पास ले गए और दोनों का सर टकरा दिया. सीएम ने तब ये बी कहा था कि “हमारे यहां भी पुजारी है.”

तिलक और टीके पर सीएम ने क्या दी सफाई

नीतीश कुमार की ये हरकत के बाद चर्चा गरम हो गई की नीतीश कुमार को तिलक और टीके से दिक्कत है. लोगों ने मंत्री की गर्दन पकड़ने की घटना को नीतीश के हिंदू विरोधी होने से जोड़ दिया. लेकिन अब जब मुख्यमंत्री ने अपने मंत्री को गले लगा लिया तो ये सफाई भी दे दी कि, टीका लगाने के खिलाफ नहीं है. हम सभी धर्मों की इज्जत करते हैं. बिहार में 6 धर्मों के लोग रहते हैं, हम सबकी इज्जत करते हैं. आप लोगों को मालूम नहीं है कि हम सबकी इज्जत करते हैं.

वैसे नीतीश भले ही टीका और मंत्री की गर्दन पर सफाई दे रहे हो लेकिन आज के उनके अंदाज़ से भी ये साफ था कि वो धर्म को निजी मामला मानते है और जबतक की किसी धार्मिक कार्यक्रम में शामिल न हो तबतक राजनीति में धार्मिक प्रतीकों से परहेज़ करते है.

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