Thursday, August 7, 2025

कौन हैं तुलसी गबार्ड जिसे ट्रंप ने बनाया राष्ट्रीय खुफिया एजेंसी का चीफ

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Tulsi Gabbard : अमेरिका के नवनिर्वाचित राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने अपनी नई सरकार में भारतीय मूल की तुलसी गबार्ड को राष्ट्रीय खुफिया एजेंसी  का निदेशक चुना है. अमेरिका की पहली हिंदू महिला सांसद तुलसी को ट्रंप सरकार में मिलने जा रही इस बड़ी जिम्मेदारी के बीच उनका एक पुराना वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है.
वीडियो में तुलसी गबार्ड पारंपरिक हिंदु पहनावे सलवार कमीज में हरे कृष्णा हरे रामा गा रही हैं और जमकर हिंदू धर्म का प्रचार कर रही हैं.

Tulsi Gabbard खुद को मानती हैं प्राउड हिंदु 

भारतीय मूल की अमेरिकी नागरिक तुलसी गबार्ड ने 2022 में डेमोक्रेटिक पार्टी से राष्ट्रपति पद के लिए चुनाव  लड़ने के लिए मैदान में  भी उतरी थी, लेकिन बाद में उन्होने अपना नाम वापस ले लिया था.  नाम वापस लेने के बाद उन्होने डेमोक्रेटिक पार्टी भी छोड़ दी थी. हाल ही में तुलसी गबार्ड ने रिपब्लिकन पार्टी ज्वाइन किया और राष्ट्रपति पद के लिए उम्मीदवार  डोनल्ड ट्रंप का खुलकर समर्थन किया . तुलसी गाबार्ड खुद को एक प्राउड हिंदू मानती हैं और अक्सर पाकिस्तान और बांग्लादेश में हिंदुओं और अल्पसंख्यकों पर होने वाले अत्याचार के खिलाफ आवाज उठाती हैं.तुसली गाबार्ड NIA चीफ के रुप में अमेरिका की 18 जासूसी एजेंसियों का कामकाज देखेंगी साथ ही खुफिया मामलों पर व्हाइट हाउस की सलाहाकार भी होंगी.

तुलसी गबार्ड एक्स  पर करेंगी प्रोग्राम होस्ट 

तुलसी गबार्ड ने सोशल मीडिया एक्स के मालिक इलॉन मस्क के साथ एक डील साइन की है, जिसके मुताबिक वो आने वाले दिनों में एक्स पर एक प्रोग्राम होस्ट करेंगी जिसमें अभिव्यक्ति की आजादी पर बात होगी. इलॉन मस्क की कंपनी एक्स आने वाले समय में तीन शो शुरु करने जा रही हैं, जिसमें से एक शो की होस्ट तुलसी गबार्ड होंगी ,वहीं दूसरा शो सीएनएन के पूर्व एंकर डॉन लेमन और तीसरे शो को स्पोर्ट्स रेडियो कमेंटेटर जिम रोम होस्ट करेंगे.

अभिव्यक्ति का आजादी सबको मिलनी चाहिये – तुलसी गबार्ड

तुलसी गवार्ड ने अपने इस शो के बारे में बात करते हुए कहा था कि वो अपने शो में उन कहानियों को शामिल करेंगी जिन्हें बोलने नहीं दिया गया है ,जिनकी आवाज को चुप करा दिया गया है. गबार्ड का मानना है कि  अमेरिका में बोलने यानी अभिव्यक्ति की आजादी मौलिक अधिकार है लेकिन दुख की बात है कि हम ऐसे समय में जी रहे हैं, जहां संवाद, चर्चा और असहमति सत्ता में बैठे लोगों के इशारों पर होती है.

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