Friday, May 9, 2025

Nitish Kumar: पशुपति पारस ने किया नीतीश कुमार का एनडीए में स्वागत, क्यों नीतीश के एनडीए में लौटने की चल रही है चर्चा

बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को लेकर रोज़ नई अटकलें और अफवाहें सुनने को मिलती है. कभी कोई बीजेपी नेता तो कभी कोई बीजेपी का सहयोगी ऐसा इशारा करता है कि नीतीश कुमार फिर से एनडीए में लौट रहे है.
ताजा बयान केंद्रीय मंत्री पशुपति पारस ने दिया है. पशुपति पारस से जब पूछा गया क्या बिहार मुख्यमंत्री नीतीश कुमार भाजपा में शामिल हो जाएंगे? तो उन्होंने कहा,”व्यक्ति बलवान नहीं होता समय बलवान होता है, समय का इंतज़ार कीजिए. स्वागत है उनका.”

हलांकि एक दिन पहले यानी सोमवार (25 सितंबर ) को ही मुख्यमंत्री ने प्रेस से साफ शब्दों में ऐसी किसी भी संभावना से इनकार किया था. सोमवार को जब प्रेस ने नीतीश कुमार से पूछा था कि क्या उनका झुकाव एनडीए की तरफ है तो उन्होंने कहा था, “क्या चर्चा होती है इसमें मेरी दिलचस्पी नहीं है. मैं तो विपक्ष को एकजुट करने में व्यस्त हूं.”

कब से शुरु हुई नीतीश की एनडीए में जाने की चर्चा

असल में हाल ही में आयोजित, जी20 रात्रिभोज में प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी से और नीतीश कुमार की मुलाकातों के बाद इस चर्चा ने जोर पकड़ा कि नीतीश एनडीए में वापसी कर सकते है. बीजेपी से गठबंधन खत्म होने के बाद नीतीश की ये पीएम मोदी से पहली मुलाकात थी. दोनों की हंसते बात करते तस्वीरें सामने आने के बाद राजनीतिक हलको में ये चर्चा गर्म हो गई की नीतीश को पीएम मोदी ने मना लिया है.

कौन फैलाता है नीतीश के एनडीए में लौटने की खबर

अगर बात बिहार बीजेपी करें तो पिछले साल अगस्त में नीतीश कुमार ने बीजेपी को छोड़कर सत्तारूढ़ गठबंधन बनाने के लिए राजद, कांग्रेस और वाम दलों के साथ हाथ मिलाने के बाद से ये खबर हर थोड़े दिन में मीडिया की सुर्खियां बटोर लेती है कि नीतीश कुमार महागठबंधन में असहज है. जानकारों का मामना है कि, राज्य के लोगों को भ्रमित करने और यह राजनीतिक संदेश भेजने के लिए नीतीश कुमार महागठबंधन में असहज हैं और एनडीए में लौटना चाहते है खुद बीजेपी का एक धड़ा फैलता है.

मरना पसंद करूंगा, बीजेपी के साथ नहीं जाऊंगा-नीतीश कुमार

इस साल की शुरुआत में, नीतीश कुमार ने बीजेपी को कड़ा जवाब देते हुए कहा था कि वह पार्टी के साथ फिर से जुड़ने के बजाय “मरना पसंद करेंगे” और अपने पूर्व सहयोगी पर अपने डिप्टी तेजस्वी यादव के खिलाफ “जानबूझकर बिना आधार के” मामले दर्ज करने का आरोप लगाया. यह संभवत: पहली बार था जब नीतीश कुमार ने महागठबंधन और एनडीए को लेकर अपना रुख साफ किया था.

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