Trump Tariff Court : अमेरिकी ने भारत पर जो 50 प्रतिशत का टैरिफ लगाया है, उसे लेकर अमेरिकी जनता में भी काफी आक्रोश है. लोग इस बात से परेशान है कि दुनिया की उभरती हुए आर्थिक महाशक्ति के साथ संबंध खराब होने का खामियाजा यहां निवेश करने वाले अमेरिकी व्यापारियों और अमेरिकी उपभोक्ताओं को भी उठाना पड़ेगा. यही कारण है कि हाल ही में ट्रंप सरकार के इस फैसले को ‘अमेरिकी फेडरल सर्किट कोर्ट ऑफ अपील्स’ में चुनौती दी गई थी, जिसपर सुनवाई करते हुए अदालत ने ट्रंप सरकार के इस टैरिफ को अवैध ठहराया था. कोर्ट ने अपने आदेश में कहा था दूसरे देशों पर दवाब बनाने के लिए राष्ट्रपति अपनी आपात शक्तियों का गलत प्रयोग कर रहे हैं.
Trump Tariff Court : ‘अमेरिकी फेडरल सर्किट कोर्ट ऑफ अपील्स’ के फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट पहुंचे ट्रंप
‘अमेरिकी फेडरल सर्किट कोर्ट ऑफ अपील्स’ के फैसले के खिलाफ ट्रंप प्रशासन ने अमेरिकी सुप्रीम कोर्ट में उनके उस आदेश को चुनौती दी,जिसमें भारत के साथ-साथ दूसरे देशों के खिलाफ लगाये गये टैरिफ को अवैध कहा गया था.
‘टैरिफ नहीं लगाया तो अमेरिका को होगा बड़ा व्यापारिक घाटा”
ट्रंप प्रशासन ने सुप्रीम कोर्ट में अपनी याचिका में दस्तावेजों के आधार पर कहा है कि अगर भारत सहित दूसरे कई देशों पर लगाए गए टैरिफ हटाये गये तो इससे अमेरिका को बड़े व्यापारिक घाटे झेलने पड़ेंगे . इसके साथ ही विदेशों में शांति स्थापित करने की अमेरिकी कोशिश के प्रयास कमजोर हो जाएंगे.
ट्रंप प्रशासन ने सुप्रीम कोर्ट में दी ये दलील
मीडिया में आई खबरों के मुताबिक ट्रंप सरकार ने अमेरिकी सुप्रीम कोर्ट में दाखिल की गई अपनी अपील में कहा है कि अमेरिकी टैरिफ यूक्रेन में शांति स्थापित करने की दिशा में एक ढाल बन सकता है. सॉलिसिटर जनरल जॉन सॉयर ने दस्तावेंजों के आधार पर सुप्रीम कोर्ट से भारत पर लगाये गये टैरिफ को बरकरार रखने की अपील की है. सॉलिसिटर जनरल जॉन सॉयर ने अपील में कहा है कि टैरिफ के मामले में बहुत सी चीजें दांव पर लगी हुई हैं. अमेरिकी सरकार ने भारत पर लगे टैरिफ को ‘यूक्रेन में शांति की कोशिशों का अहम हिस्सा’ और यूक्रेन को आर्थिक तबाही से बचाने वाला ‘ढाल’ बताया है.
अपने पक्ष को मजबूत करते हुए सॉलिसिटर जनरल ने कहा है कि “हमने हाल ही में रूस-यूक्रेन युद्ध को लेकर जारी राष्ट्रीय आपातकाल से निपटने के लिए भारत पर टैरिफ लगाए हैं, क्योंकि वह रूसी एनर्जी प्रोडक्ट खरीदता रहा है. इन टैरिफ को हटाना अमेरिका को आर्थिक तबाही के कगार पर धकेल देगा.”
‘टैरिफ नहीं लगाया तो आर्थिक तौर पर तबाह हो जाएगा अमेरिका’
पिछले दिनों अमेरिका ने भारत पर ये कहते हुए 25 प्रतिशत टैरिफ लगाया था कि टैरिफ कम होने के कारण उनका व्यापार घाटा बढ़ रहा है.इसके साथ ही रुस से भारत के व्यापारिक रिश्ते, खासकर कच्चा तेल खरीदने के कारण जुर्माने के तौर पर 25 प्रतिशत अतिरिक्त टैरिफ लगाया था.
टैरिफ के मामले में क्या था निचली अदालत का फैसला ?
ट्रंप प्रशासन ने सुप्रीम कोर्ट में ये अपील ‘अमेरिकी फेडरल सर्किट कोर्ट ऑफ अपील्स’ उस फैसले के खिलाफ दायर किया है जिससे में फोडरल कोर्ट के 11 जजों के बैंच ने 7-4 के बहुमत से भारत के खिलाफ लगाये गये टैरिफ को अवैध करार दिया था. कोर्ट ने 7-4 के बहुमत से कहा था कि अमेरिकी राष्ट्रपति अपनी आपातकालीन आर्थिक शक्तियों का इस्तेमाल दूसरे देशों पर दवाब बनाने के लिए कर रहे हैं. कोर्ट ने इसे अमेरिकी राष्ट्रपति के अधिकार सीमा से बाहर का कदम करार दिया था. वहीं फेडरल कोर्ट के आदेश को चुनौती देते हुए ट्रंप प्रशासन ने इसे ‘शांति की तरफ बढाया गया अभूतपूर्व कदम बताया . ट्रंप प्रशासन ने कहा कि वो इस कदम के जरिये अपने देश में आर्थिक समृद्धि ला रहे हैं इसके साथ ही दूसरे देशों को वॉशिंगटन के साथ नए व्यापार ढांचे में ला रहे हैं.
टैरिफ के पक्ष में ट्रंप प्रशासन के तर्क
सुप्रीम कोर्ट दिये गये तर्कों में ट्रंप प्रशासन ने कहा कि टैरिफ के साथ अमेरिका एक अमीर देश है लेकिन अगर टैरिफ नहीं लगाया तो अमेरिका गरीब देश हो जायेगा. अगर टैरिफ हटा दिया गया तो अमेरिका का रक्षा और औद्योगिक ढांचा कमजोर होगा, इसके साथ ही अमेरिकी को सालाना 1.2 ट्रिलियन डॉलर का व्यापार घाटा होगा. जिसके कारण इस समय अमेरिकी जो विदेशी वार्ताएं कर रहा है वो कोशिशें कमजोर हो जायेंगी, उनपर अनिश्चितता छा जायेगी.
ट्रंप प्रशासन ने अपनी अपील में कहा है कि अमेरिकी टैऱिफ के कारण ‘छह बड़े व्यापारिक साझेदार और 27 देशों वाला यूरोपीय संघ उनके फ्रेमवर्क समझौतों में शामिल हो चुके हैं और इससे दुनिया के देशों के बीच अमेरिका की वैश्विक स्थिति और मजबूत हुई है.
टैरिफ पर जल्द फैसला ले सुप्रीम कोर्ट – अपील
ट्रंप सरकार ने अपनी अपील में कहा है कि एक साल पहले (जो बाइडन की सरकार के समय) अमेरिका एक मरा हुआ देश था और अब उन ट्रिलियन डॉलर की वजह से जो देश हमें बुरी तरह लूटते रहे थे और अब हमें दे रहे हैं, अमेरिका फिर से एक मजबूत, आर्थिक रूप से सक्षम और सम्मानित देश बन गया है.