US Beard Ban : अमेरिकी राष्ट्रपति एक तरफ जहां टैरिफ के जरिये दूसरे देशों के निशाना बना रहे है वहीं अब उनके मंत्री ने देश के अंदर मौजूद सैनिकों को अपने टारगेट पर ले लिया .अमेरिकी रक्षा मंत्री (US War Secretary) पीट हेगसेथ ने अपने देश में सैनिकों के दाढ़ी रखने पर रोक लगा दिया है. ट्रंप सरकार के इस फैसले के बाद अमेरिकी सिख सैनिक और मुसलमान सैनिकों में काफी गुस्सा है. सैनिकों की इस परेशानी को देखते हुए अमेरिकी सांसद थॉमस आर. सुवोजी ने आवाज उठायी है. थॉमस आर. सुवोजी ने रक्षा मंत्री पीट हेगसेथ को एक लिखा है जिसमें इन सैनिकों के बारे में बात की है.
US Beard Ban के खिलाफ सैनिकों का साथ देने आये सांसद
अमेरिका सासंद थॉमस आर. सुवोजी ने रक्षामंत्री पीट हेगसेथ को पत्र लिखकर अपील की है कि उन्हें अपने फैसले पर विचार करना चाहिये. सांसद ने सिखों और मुस्लिमों की धर्मिक मान्यताओं का जिक्र करते हुए लिखा है कि उनके धर्म में केश और दाढ़ी रखना उनके विश्वास का एक प्रमुख हिस्सा है और इसे काटना धार्मिक रूप से गलत माना जाता है.
अमेरिका के लिए सिखों की देशभक्ति की दिलाई याद
सासंद थॉमस आर सुवोजी ने पत्र में अमेरिकी रक्षामंत्री को याद दिलाया कि किस तरह से ये सिख सैनिक पीढ़ियों से अमेरिकी सैनिकों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर अमेरिकी के लिए लड़े हैं और इसमें अपनी जाने भी गंवाई हैं. इन युद्धों में प्रथम और द्वितीय विश्वयुद्ध भी शामिल हैं.
सासंद थॉमस आर सुवोजी ने सिख परंपरा की याद दिलाते हुए आगे लिखा है कि “सिखों के लिए अपने देश की सेवा करना एक पवित्र कर्तव्य है. संत-सिपाही की अवधारणा का प्रतीक, जो आस्था और सेवा का मेल है. सिख धर्म में केश और दाढ़ी को न काटना ईश्वर के प्रति समर्पण और समानता का प्रतीक माना जाता है.”
उन्होने रक्षा मंत्री को याद दिलाया कि सेना में अनुशासन और एकरुपता जरुरी है लेकिन किसी को मेडिकल या धर्मिक आधार पर दी जाने वाली छूट से महरुम नहीं किया जा सकता है.
समाचार एजेंसी पीटीआई के मुताबिक अमेरिका में सिख-मुस्लिम और अफ्रिकी अमेरिकी वोटर इन प्रतिबंधों को लेकर चिंतित हैं.उनका मानना है कि अगर दाढ़ी पर प्रतिबंध बिना धार्मिक, सांस्कृतिक और मेडकल छूटों के लागू किया गया, तो यह अनजाने में ही सही लेकिन उन्हें वर्दी में अपने देश की सेवा करने से रोकना होगा.
सांसद ने मुसलमानों और अफ्रीकी लोगों का भी सवाल उठाया
सासंद थॉमस आर सुवोजी ने कहा इस्लाम में दाढ़ी रखना ‘सुन्नत मुअक्कदा’ है- यानी एक अनिवार्य धार्मिक प्रथा जो विनम्रता और ईश्वर के प्रति समर्पण का प्रतीक है. वहीं अफ्रीकी-अमेरिकी समुदाय के लिए बाल उनकी सांस्कृतिक पहचान और विरासत का महत्वपूर्ण हिस्सा हैं.
सांसद ने मेडिकल कारणों का जिक्र करते हुए कहा कि “इसके अलावा दाढ़ी बनाना कई बार मेडिकल दिक्कतें पैदा करता है, क्योंकि बालों की बनावट के कारण अफ्रीकी-अमेरिकी सैनिकों में दाढ़ी काटने से प्सूडोफॉलिकुलाइटिस बार्बी (PFB) नामक दर्दनाक त्वचा रोग हो सकता है. यह स्थिति अश्वेत सैनिकों को बीमार कर सकती है.” आपको बता दें कि अमेरिका में अश्वेत अफ्रिकी सैनिकों की संख्या कुल सैनिकों की संख्या का लगभग पांचवां हिस्सा है.
थोमस सुवोजी ने रक्षामंत्री हेगसेथ से अपील करते हुए कहा है कि उन्हें पूरा भरोसा है कि अमेरिका का रक्षाविभाग अनुशासन और एकरूपता बनाए रखते हुए भी RFRA और सैनिकों के लिए बने नीतियो के तहत लंबे समय से चले आ रहे धार्मिक छूटों को बरकरार रख सकता है. अगर सरकार ऐसा करती है तो उन लोगों (सिख, मुस्लिम और अफ्रीकी अमेरिकी) को अपने धर्म और देश के बीच किसी एक को चुनने के लिए मजबूर नहीं होना पड़ेगा, जो देशभक्त और धार्मिक दोनों हैं.