Friday, October 17, 2025

जातिगत जनगणना में अलग लिंग नही,एक जाति के तौर पहचान मिलने से किन्नर समाज नाराज

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पटना: बिहार में जातिय जनगणना का दूसरा चरण 15 अप्रैल से शुरु होने वाला है, लेकिन इससे पहले ही जनगणना प्रक्रिया में अपनाये जा रहे तरीके को लेकर बवाल खड़ा हो गया हैं. सरकार ने जाति जनगणना में हर जाति के लिए के लिए एक कोड निर्धारित किया है. इनमें हर जाति को अलग नंबर देकर उनकी पहचान स्थापित की गई है.

सभी जातियों के लिए जो कोड नंबर दिया गया है और उनमें 22वें नंबर पर जाति के तौर पर किन्नर ( Transgender) को पहचान दी गई है. यानी किन्नरों( Transgender) के संख्या की जनगणना 22 नंबर  कोड से होगी.  किन्नरों ( Transgender ) को लिंग नहीं बल्कि एक जाति के तौर पर पहचान देने के बाद किन्नर समुदाय ने इसका विरोध शुरु कर दिया है. पटना में किन्नरों की प्रतिनिधि रेशमा किन्नर ने कहा  कि किन्नर ( Transgender) कोई जाति नहीं बल्कि एक लैंगिकता है और यही हमारी जिंदगी की पहचान होती हैं. स्वयं की पहचान के लिए ट्रांसजेंडर्स प्रोटेक्टिवि एक्ट है और लेकिन सरकार कानून को नहीं मान रही है बल्कि ट्रांसजेंडर को जाति मान रही हैं एक लिंग नहीं.

किन्नरों को पिछड़े वर्ग में मिलता है आरक्षण

किन्नरों ( Transgenders) की प्रतिनिधि रेशमा किन्नर का कहना है कि जब हमें पिछड़ा वर्ग में जाति आरक्षण दिया गया था तो हमें लग रहा था कि हमें पिछड़ा समझ कर आरक्षण दिया गया है , तब हमें ये समझ नहीं आया था कि जाति के रूप में कर रहे हैं और ट्रांसजेंडर जाति हैं . जबकि ट्रांसजेंडर कोई जाति नही एक लैंगिकता है.

बिहार सरकार के कर्नाटक सरकार से सीखने की जरुरत – किन्नर प्रतिनिधि

पूरे किन्नर समुदाय की बात करते हुए रेशमा किन्नर ने कहा कि किन्नरों को प्रतिनिधित्व देने के मामले में  बिहार सरकार को कर्नाटक सरकार से सीखना चाहिये .अगर आप इसको नहीं समझ पा रहे है तो कर्नाटका सरकार से स्टडी करने की जरूरत है . इसमें हमारा पूरा समुदाय सरकार का सहयोग करेंगे. सभी राष्ट्रीय और लोकल स्तर पर सहयोग करेंगे. कर्नाटका सरकार ने किन्नरों को 1% आरक्षण दिया है जिससे लोग आज़ादी पा रहे हैं .

नाराज किन्नर समुदाय सरकार से इंसाफ ना मिलने पर इसे न्यायलय तक ले जाने की बात कर रहे हैं. किन्नर समुदाय के प्रतिनधि इस मामले को लेकर मुख्यमंत्री , उपमुख्यमंत्री और मुख्य सचिव , अपर मुख्य सचिव, सामान्य प्रशासन विभाग सभी के पास जाकर प्रतिवेदन देने की तैयारी में हैं. इनका कहना है कि यदि कोई सुनता है तो ठीक है, नहीं तो फिर न्यायालय से न्याय में गुहार लगायेंगे.

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