Friday, November 8, 2024

किशोरों के लिए यौन सहमति की उम्र पर विचार करने का समय आ गया है – Bombay High Court

मुंबई  : मुंबई हाईकोर्ट Bombay High Court ने आज सहमति से दो किशोर के बीच हुए संबंध के मामले में दी गई सजा रद्द करते हुए आरोपी को जेल से रिहा करने के निर्देश दिये हैं.  बांबे  उच्च न्यायलय Bombay High Court के न्यायमूर्ति भारती डांगरे ने अपने फैसले में कहा कि रिकार्ड में मौजूद साक्ष्यों से ये बात सिद्ध होती है कि यौन संबंध दोनों के बीच आपसी सहमति से बनाया गया था.

Bombay High Court- किशोरों के लिए यौन संबध बनाने की उम्रसीमा तय हो

मुंबई हाईकोर्ट Bombay High Court ने किशोरों के लिए आपसी सहमति से यौन संबंध बनाने की उम्र सीमा कम करने की राय दी है .अदालत ने कहा कि कई देशों में किशोरों के बीच आपसी सहमति से संबंध बनाने की उम्रसीमा कम भी कर दी गई है. समय आ गया है कि हमारा देश और संसद भी दुनिया भर में हो रही घटनाओं को देखे और उसपर विचार करे.

पोक्सो (POCSO) मामले में सुनवाई के दौरान जज ने की टिप्पणी

मुंबई हाइकोर्ट में जज भारती डोंगरे(Bharti Dongre) की एकल पीठ ने 10 जुलाई को पोक्सो मामले में एक सुनवाई के दौरान ये टिप्पणी की. न्यायमूर्ति डांगरे ने कहा कि इस कानून के तहत बढ़ रहे अपराधों की संख्या चिंताजनक है .यहां आरोपियों को तब भी दंडित किया जाता है जब वो खुद कहते हैं कि उन्होंने सहमति से संबंध बनाये थे.

बांबे हाईकोर्ट ने एक पीडित की याचिका पर सुनवाई करते हुए महत्वपूर्ण टिप्पणी में कहा कि यौन स्वतंत्रता में शामिल होने का अधिकार और अवांछित यौन आक्रामकता से सुरक्षित रहने, दोनों का अधिकार शामिल हैं. लेकिन जब केवल अधिकार के पहलू को देखा जाये तो यौन संबंध की गरिमा को पूरी तरह से सम्मानित नहीं किया जा सकता है.  अदालत ने ये टिप्पणी 25 वर्षीय एक व्यक्ति की याचिका पर दी जिसे विशेष अदालत ने फरवरी 2019 में एक 17 साल की लड़की के साथ यौन दुष्कर्म के मामले में दोषी ठहराया था.अदालत में दिये बयान में लड़के और लड़की ने दावा किया था कि वो आपसी सहमति से रिश्ते में थे. लड़की ने विशेष अदालत के समक्ष अपनी दलील में कहा था कि मुस्लिम कानून उसे बालिग मानता है, इसलिए उसने आरोपी के साथ निकाह किया.

 हाइकोर्ट ने विशेष अदालत के फैसले को पलटा

बांबे हाइकोर्ट की जस्टिस भारती डंगरे ने दोष सिद्धि की सजा को रद्द करते हुए आरोपी व्यक्ति को रिहा करने के आदेश दे दिये. अदालत ने कहा कि जो साक्ष्य हैं उनके आधार पर आपसी सहमति से संबंध बनाने का मामला  है.इसलिए सजा देने कोई औचित्य नहीं है.

शादी और आपसी सहमति से संबंध, दो अलग बातें हैं- बांबे हाइकोर्ट

जस्टिस भारती डांगरे ने अपनी फैसले में टिप्पणी की कि शादी की उम्र को यौन संबंध की उम्र से जोड़ना सही नहीं होगा,क्योंकि यौन संबंध विवाह के दायरे में नहीं आते हैं.  इस पर केवल समाज ही नहीं न्यायिक प्रणाली को  भी ध्यान देने की जरुरत है.

देश में समय समय पर उम्र सीमा में बदलाव किये गये हैं

बांबे हाईकोर्ट ने कहा कि समय समय पर सहमति की आयु सीमा में बदवाव किये गये हैं. 1940 से 2016 तक इसे 16 वर्ष बनाये रखा गया. इसके बाद पोक्सो (POCSO) अधिनयम के तहत इसे बढ़ाकर 18 कर दिया गया.जो संभवतह पूरे विश्व में सबसे अधिक है. दुनिया के ज्यादातर देशों में अपासी सहमति कि उम्र सीमा 14-16 के बीच है.

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