सोमवार को सुप्रीम कोर्ट ने उस जनहित याचिका (पीआईएल) को खारिज कर दिया, जिसमें विपक्ष के नेता राहुल गांधी द्वारा बेंगलुरु सेंट्रल और अन्य निर्वाचन क्षेत्रों में मतदाता सूची में हेरफेर Vote Chori के आरोपों की एक सेवानिवृत्त न्यायाधीश के नेतृत्व में अदालत की निगरानी में विशेष जांच दल (एसआईटी) से जांच कराने की मांग की गई थी.
चुनाव आयोग के सामने रखे अपनी बात-सुप्रीम कोर्ट
न्यायमूर्ति सूर्यकांत और न्यायमूर्ति जॉयमाल्या बागची की पीठ ने कहा कि याचिकाकर्ता को यह मुद्दा भारत के चुनाव आयोग के समक्ष उठाने की स्वतंत्रता है, यदि वह उचित समझे.
पीठ ने अपने संक्षिप्त आदेश में कहा, “हमने याचिकाकर्ता के वकील की बात सुनी है. हम इस याचिका पर विचार करने के इच्छुक नहीं हैं, जो कथित तौर पर जनहित में दायर की गई है. याचिकाकर्ता, यदि सलाह दी जाए, तो चुनाव आयोग के समक्ष अपनी बात रख सकता है.”
चुनाव आयोग ने नहीं किया विचार-याचिकाकर्ता
जनहित याचिका दायर करने वाले रोहित पांडे की ओर से पेश हुए वकील ने तर्क दिया कि चुनाव आयोग के समक्ष एक अभ्यावेदन प्रस्तुत किया गया था, लेकिन उस पर विचार नहीं किया गया और कोई कार्रवाई नहीं की गई. लेकिन पीठ इस दलील से प्रभावित नहीं हुई और पांडे से कानून के तहत उचित उपाय अपनाने को कहा.
जनहित याचिका में क्या की गई थी मांग
पांडे की याचिका में शीर्ष अदालत से आग्रह किया गया था कि स्वतंत्र ऑडिट होने और पारदर्शिता सुनिश्चित करने के निर्देश जारी होने तक भारत के चुनाव आयोग (ईसीआई) द्वारा मतदाता सूचियों के किसी भी और संशोधन या अंतिम रूप देने पर रोक लगाई जाए. इसमें चुनाव आयोग को मतदाता सूचियों को सुलभ, मशीन-पठनीय और ओसीआर-अनुरूप प्रारूपों में प्रकाशित करने का निर्देश देने की भी मांग की गई थी ताकि सार्वजनिक सत्यापन और जाँच की सुविधा मिल सके.
पांडे की याचिका में सर्वोच्च न्यायालय से मतदाता सूची तैयार करने और उसके रखरखाव में अधिक पारदर्शिता, जवाबदेही और सत्यनिष्ठा सुनिश्चित करने के लिए आयोग के लिए बाध्यकारी दिशानिर्देश निर्धारित करने का आग्रह किया गया था, जिसमें डुप्लिकेट या फर्जी प्रविष्टियों का पता लगाने और उन्हें रोकने की प्रणालियाँ भी शामिल थीं.
याचिकाकर्ता ने बेंगलुरु सेंट्रल संसदीय क्षेत्र (महादेवपुरा विधानसभा क्षेत्र) की मतदाता सूची में गंभीर अनियमितताएँ देखी हैं, जिन पर प्रथम दृष्टया इस न्यायालय द्वारा तत्काल विचार किया जाना आवश्यक है.
अन्य राज्यों की विसंगतियों का हवाला देते हुए, जनहित याचिका में बताया गया है कि महाराष्ट्र में, 2024 के लोकसभा चुनावों और विधानसभा चुनावों से पहले, लगभग 39 लाख नए मतदाता सूची में जोड़े गए – यह पिछले पाँच वर्षों में केवल लगभग 50 लाख नए मतदाताओं की तुलना में एक तीव्र वृद्धि है.
इसमें कहा गया है, “इस तरह की अचानक और अनुपातहीन वृद्धि मतदाता सूची में नाम जोड़ने की प्रक्रिया में चुनाव आयोग की पारदर्शिता पर गंभीर सवाल उठाती है.”
राहुल गांधी ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर Vote Chori के लगाए थे आरोप
7 अगस्त को गांधी की प्रेस कॉन्फ्रेंस का हवाला देते हुए, याचिका में “भाजपा और चुनाव आयोग की मिलीभगत” के ज़रिए चुनावों में “बड़े पैमाने पर आपराधिक धोखाधड़ी” के उनके आरोपों को याद दिलाया गया. गांधी ने दावा किया था कि कर्नाटक के एक निर्वाचन क्षेत्र में मतदाता सूचियों के विश्लेषण से बड़े पैमाने पर हेराफेरी का पता चला है, और उन्होंने “वोट चोरी” को “हमारे लोकतंत्र पर परमाणु बम” बताया था.
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