28 मई को दिल्ली के सेंट्रल विस्टा में नई संसद भवन का उद्घाटन होना है. इस उद्घाटन में राष्ट्रपति को नहीं बुलाए जाने से नाराज़ कांग्रेस समेत 20 विपक्षी पार्टियों ने इसका बहिष्कार करने का फैसला किया है. अब ये मामला सुप्रीम कोर्ट भी पहुंच गया है. सुप्रीम कोर्ट में एक जनहित याचिका दायर कर यह निर्देश देने की मांग की गई है कि नई संसद भवन का उद्घाटन भारत के राष्ट्रपति द्वारा किया जाना चाहिए.
निर्मला सीतारमण ने की विपक्ष से बहिष्कार नहीं करने की अपील
वहीं विपक्षी दलों के नए संसद के उद्घाटन का बहिष्कार करने पर केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा कि, “यह लोकतंत्र का मंदिर है, यहां तक कि प्रधानमंत्री भी इसके कदमों पर झुककर संसद में प्रवेश करते हैं. मैं विपक्ष से विनम्रतापूर्वक अनुरोध करती हूं कि कृपया पुनर्विचार करें और समारोह में हिस्सा लें.”
योगी, फडणवीस सहित बीजेपी ने नेताओं ने विपक्षी बहिष्कार की निंदा की
कांग्रेस समेत 20 राजनीतिक दलों के नए संसद भवन के उद्घाटन कार्यक्रम को बहिष्कार किए जाने पर उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि, “स्वतंत्र भारत के इतिहास में 28 मई की तिथी एक गौरवशाली दिन के रूप में दर्ज़ होने जा रही है. इस दिन प्रधानमंत्री मोदी भारत के लोकतंत्र की प्रतीक भारत वासियों को नई संसद भेंट करेंगे. इस ऐतिहासिक अवसर को गरिमामय और गौरवशाली बनाने की बजाए, कांग्रेस समेत विपक्षी दलों द्वारा जिस तरह की बयानबाजी हो रही है वह अत्यंत दुखद, गैर जिम्मेदाराना और लोकतंत्र को कमज़ोर करने वाला है.”
सीएम योगी ने नई संसद के उद्घाटन को लेकर हो रही बयानबाजी को अशोभनीय बताया. उन्होंने कहा कि, “मुझे नहीं लगता कि यह देश इस तरह की बयानबाजी को स्वीकार करेगा. विपक्ष द्वारा इस तरह की बयानबाजी अशोभनीय है. ऐसा नहीं है कि पहली बार प्रधानमंत्री इस प्रकार के उद्घाटन के साक्षी बन रहे हैं. इससे पहले संसद उपभवन का उद्घाटन तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी द्वारा किया जा चुका है. संसद पुस्तकालय का शिलान्यास पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी द्वारा रखी गई थी. ऐसे कई उधाहरण हैं. हम अपील करेंगे कि सभी दलों को इस पल का साक्षी बनना चाहिए.”
वहीं केंद्रीय मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने कहा कि ये कांग्रेस का दोगलापन है. उन्होंने (विपक्षी दलों ने) संविधान से कुछ अनुच्छेद बोले और उस आधार पर हमें सलाह दे रहे. उस समय भी इंदिरा गांधी ने (संसद के उपभवन के उद्घाटन के दौरान) किया था. आपके पास अपने लिए अलग मानक हैं और दूसरों के लिए अलग. यह देश और किसी भी व्यक्ति के जीवन में एक बार आने वाला क्षण है. फ़ुटनोट में कहीं लिखा जाएगा कि इन लोगों द्वारा संसद भवन के खुलने के कार्यक्रम का बहिष्कार किया था.
गुजरात के मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल ने भी विपक्ष के फैसले की निंदा की. उन्होंने कहा कि, “प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा नई संसद का उद्घाटन हमारे लिए गर्व का क्षण है और हम 19 विपक्षी दलों के उद्घाटन कार्यक्रम के बहिष्कार के फैसले की घोर निंदा करते हैं. यह फैसला देश के लोकतांत्रिक मूल्यों पर हमला है.”
महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने भी विपक्ष के बहिष्कार पर कड़ी प्रतिक्रिया दी, “कांग्रेस और जो दल उनके साथ बहिष्कार कर रहे हैं उनका लोकतंत्र पर विश्वास नहीं है. यह सिर्फ संसद भवन नहीं बल्कि 140 करोड़ लोगों के आस्था का मंदिर और नए भारत की ताकत का प्रतीक है. यह कहते हैं कि राष्ट्रपति को उद्घाटन करना चाहिए तो जब इंदिरा गांधी जी ने संसद उपभवन का उद्घाटन किया तब यह बात क्यों नहीं आई?”
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