आदिपुरुष को लेकर शुरू हुआ विवाद थमने का नाम नहीं ले रहा है. लोग फिल्म के डायरेक्शन से लेकर इसके डायलॉग तक पर सवाल उठा रहे हैं. विवाद में फंसने के बाद मेकर्स ने डायलॉग्स बदल दिए. लेकिन लोगों की नाराज़गी है कि कम होने का नाम ही नहीं ले रही है.
सेंसर बोर्ड से सवाल आने वाले पीढ़ियों को क्या सिखाना चाहते हो?-हाई कोर्ट
सोमवार को इलाहाबाद हाई कोर्ट की लखनऊ बेंच में आदिपुरुष के संवादों के खिलाफ अधिवक्ता कुलदीप तिवारी की याचिका पर सुनवाई के दौरान हाईकोर्ट ने सेंसर बोर्ड और निर्माता निर्देशकों को जबरदस्त फटकार लगई.
कोर्ट ने पूछा कि क्या करता रहता है सेंसर बोर्ड? आगे आने वाले पीढ़ियों को क्या सिखाना चाहते हो? कोर्ट ने निर्माता, निर्देशक सहित अन्य पार्टियों की अनुपस्थिति पर भी कड़ा रुख दिखाते हुए प्रश्न किया.
न्यायमूर्ति रमेश सिन्हा और न्यायमूर्ति रेनू आगा की खंडपीठ के सामने याचिकाकर्ता की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता रंजना अग्निहोत्री ने कोर्ट को आपत्तिजनक तथ्यों से अवगत कराया और विरोध दर्ज कराया. सेंसर बोर्ड की तरफ से अधिवक्ता अश्विनी कुमार ने पक्ष रखा. इस मामले में मंगलवार यानी 27 जून को फिर सुनवाई होगी.
क्या है याचिकाकर्ता की दलील
याचिकाकर्ता ने जो इलाहाबाद हाई कोर्ट की लखनऊ बेंच में याचिका दायर की है उसमें आरोप लगाया है कि, इस फिल्म में श्री राम की कहानी को बदलकर निम्न स्तर का दिखाया गया है. याचिकाकर्ता कुलदीप तिवारी ने दो अर्जियां मामले में विचाराधीन जनहित याचिका में दायर कर फिल्म में संशोधन करने और संवाद लेखक मनोज मुंतशिर को पक्षकार बनाने का अनुरोध किया है.
याचिकाकर्ता का कहना है कि, फिल्म में जानबूझ कर आपत्तिजनक सामग्री से सनातन आस्था पर हमला किया गया है. इसे देखते हुए प्रदर्शन रोकने और फिल्म पर पूर्ण प्रतिबंध लगाने के निर्देश दिये जाने चाहिए.
अक्तूबर में फिल्म के ट्रेलर रिलीज़ पर भी रोक लगाने के लिए डाली थी याचिका
इससे पहले 2 अक्तूबर 2022 को फिल्म का ट्रेलर रिलीज होने पर याचिकाकर्ता ने इसमें कई आपत्तिजनक तथ्य होने की बात कहते हुए ट्रेलर और फिल्म दोनों पर रोक लगाने की याचिका दायर की थी. फिर कोर्ट ने सेंसर बोर्ड को नोटिस जारी किया.
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