Thursday, October 9, 2025

Arvind Kejriwal arrest case: सुप्रीम कोर्ट ने सीबीआई की गिरफ्तारी को चुनौती देने वाली याचिका पर सुनवाई 5 सितंबर तक स्थगित की

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Arvind Kejriwal arrest case: सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की उस याचिका पर सुनवाई स्थगित कर दी जिसमें उन्होंने दिल्ली आबकारी नीति मामले में सीबीआई द्वारा उनकी गिरफ्तारी को चुनौती दी है. इस मामले में अगली सुनवाई 5 सितंबर को होगी.
न्यायमूर्ति सूर्यकांत और न्यायमूर्ति उज्ज्वल भुइयां की पीठ ने सीबीआई को मामले में जवाबी हलफनामा दाखिल करने की अनुमति दे दी तथा केजरीवाल को जवाब दाखिल करने के लिए दो दिन का समय दिया.

Arvind Kejriwal arrest case में अब तक क्या हुई?

दिल्ली की एक अदालत ने सीबीआई द्वारा दर्ज मामले में मुख्यमंत्री की न्यायिक हिरासत 27 अगस्त तक बढ़ाए जाने के दो दिन बाद इस मामले में सुनवाई हो रही थी. केजरीवाल को कथित आबकारी नीति मामले में प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने पहली बार 21 मार्च को गिरफ्तार किया था, उसके कुछ ही घंटों बाद दिल्ली उच्च न्यायालय ने गिरफ्तारी से अंतरिम संरक्षण के उनके अनुरोध को अस्वीकार कर दिया था. बाद में उन्हें 26 जून को दिल्ली राउज एवेन्यू अदालत से सीबीआई ने हिरासत में लिया और 29 जून को न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया. सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली के सीएम को लोकसभा चुनाव के लिए प्रचार करने के लिए 10 मई को अंतरिम जमानत दी थी. हालांकि, उन्हें 2 जून को तिहाड़ जेल के अधिकारियों के समक्ष आत्मसमर्पण करना पड़ा.
30 जुलाई को, सीबीआई ने मामले में केजरीवाल को आरोपी बनाते हुए अपना चौथा पूरक आरोपपत्र दाखिल किया, जिसमें आरोप लगाया गया कि वह मामले में “मुख्य साजिशकर्ताओं में से एक” हैं.

जिसके बाद में, 12 जुलाई को सुप्रीम कोर्ट ने ईडी मामले में केजरीवाल को अंतरिम जमानत दे दी. हालांकि, वह अभी भी सीबीआई मामले में जेल में हैं.

दिल्ली आबकारी नीति मामला क्या है?

दिल्ली सरकार ने 2021-22 में एक आबकारी नीति बनाई थी, जिसका उद्देश्य शहर के सुस्त पड़ते शराब कारोबार को पुनर्जीवित करना था, जिसमें बिक्री-मात्रा-आधारित व्यवस्था को व्यापारियों के लिए लाइसेंस शुल्क से बदलना था, और ग्राहकों को बेहतर खरीदारी का अनुभव देने के लिए कुख्यात धातु की ग्रिल से मुक्त, शानदार दुकानें खोलने का वादा किया था. हालांकि, दिल्ली के उपराज्यपाल वीके सक्सेना द्वारा अनियमितताओं का आरोप लगाते हुए नीति की सीबीआई जांच की मांग करने के बाद नीति को रद्द कर दिया गया था.
ईडी के अनुसार, केजरीवाल की अगुवाई वाली आप को आबकारी नीति को अंतिम रूप देने के लिए 100 करोड़ रुपये की रिश्वत मिली थी. यह भी आरोप लगाया गया कि इस पैसे का एक बड़ा हिस्सा पार्टी ने गोवा चुनाव अभियान में इस्तेमाल किया.

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