सर्वोच्च न्यायालय ने गुरुवार को पहलगाम में हाल ही में हुए आतंकवादी हमले Pahalgam attack की न्यायिक जांच की मांग वाली जनहित याचिका पर विचार करने से इनकार कर दिया और ऐसी कार्रवाइयों के प्रति आगाह किया, जिनसे सशस्त्र बलों का मनोबल गिर सकता है.
जस्टिस सूर्यकांत और एन कोटिश्वर सिंह की पीठ ने कहा, “यह वह महत्वपूर्ण समय है जब इस देश के प्रत्येक नागरिक ने आतंकवाद से लड़ने के लिए हाथ मिलाया है. ऐसी कोई प्रार्थना न करें जिससे किसी व्यक्ति का मनोबल गिरे. मामले की संवेदनशीलता को देखें.”
Pahalgam attack पर बोला कोर्ट-हम कुछ भी नहीं सुन रहे हैं
पीठ ने कहा, “जिम्मेदार बनो. देश के प्रति तुम्हारा कुछ कर्तव्य है. क्या यही तरीका है.. कृपया ऐसा मत करो. कब से एक सेवानिवृत्त उच्च न्यायालय या सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश ऐसे मुद्दों (आतंकवाद) की जांच करने के लिए विशेषज्ञ बन गए हैं? हम कुछ भी नहीं सुन रहे हैं. कृपया जहां जाना है जाओ.”
कोर्ट ने याचिकाकर्ता फतेह कुमार साहू को व्यक्तिगत रूप से याचिका वापस लेने की अनुमति दी.
जम्मू और कश्मीर के तीन निवासियों ने दायर की थी याचिका
जम्मू और कश्मीर के तीन निवासियों द्वारा दायर याचिका में सर्वोच्च न्यायालय से केंद्र सरकार को आतंकवादी हमले पर जवाबदेही सुनिश्चित करने के लिए एक विशेष जांच दल बनाने का निर्देश देने का भी अनुरोध किया गया.
याचिकाकर्ताओं – फतेह कुमार शाहू, मोहम्मद जुनैद और विक्की कुमार – ने केंद्र, जम्मू और कश्मीर, केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (सीआरपीएफ) और राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) को केंद्र शासित प्रदेश में पर्यटक क्षेत्रों में नागरिकों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए एक कार्य योजना तैयार करने का निर्देश देने की मांग की.
22 अप्रैल को दक्षिण कश्मीर के अनंतनाग जिले के पहलगाम इलाके में बैसरन नामक घास के मैदान में आतंकवादियों द्वारा पर्यटकों पर की गई गोलीबारी में कम से कम 26 लोग मारे गए और 15 घायल हो गए. यह प्रसिद्ध पर्यटन स्थल, जिसे “मिनी स्विट्जरलैंड” के रूप में भी जाना जाता है, केवल पैदल या टट्टू से ही पहुँचा जा सकता है. पाकिस्तान स्थित आतंकी संगठन लश्कर-ए-तैयबा के प्रॉक्सी, द रेजिस्टेंस फ्रंट (TRF) ने हमले की जिम्मेदारी ली है.
जम्मू-कश्मीर के बाहर पढ़ रहे कश्मीरी छात्रों की सुरक्षा के लिए निर्देश देने की रखी मांग
हालांकि, वकील ने जम्मू-कश्मीर के बाहर पढ़ रहे कश्मीरी छात्रों की सुरक्षा के लिए निर्देश देने पर जोर दिया, जिन्हें कथित तौर पर पहलगाम आतंकी हमले के बाद बदले की भावना से हमलों का सामना करना पड़ा है. वकील ने कहा, “कम से कम छात्रों के लिए कुछ तो हो… कुछ सुरक्षा जो जम्मू-कश्मीर के बाहर पढ़ रहे हैं.” परिषद को जवाब देते हुए पीठ ने कहा, “क्या आप अपनी प्रार्थना के बारे में सुनिश्चित हैं. सबसे पहले, आप एक सेवानिवृत्त सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश से जांच करने के लिए कहते हैं. वे जांच नहीं कर सकते. फिर आप दिशा-निर्देश, मुआवजा, फिर प्रेस परिषद को निर्देश देने के लिए कहते हैं. आप हमें रात में ये सब पढ़ने के लिए मजबूर करते हैं और अब आप छात्रों के लिए बोलते हैं.”
शीर्ष अदालत ने याचिकाकर्ता को केंद्र शासित प्रदेश के छात्रों के सामने आने वाले मुद्दों के निवारण के लिए संबंधित उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाने की स्वतंत्रता भी प्रदान की.
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