इलाहाबाद : इलाहाबाद हाईकोर्ट ने NRHM घोटाले की CBI जांच के दौरान लखनऊ के CMO डॉक्टर वाई एस सचान की मौत मामले में सात पूर्व अधिकारियों के खिलाफ हत्या और षड्यंत्र के आरोप में विशेष अदालत द्वारा जारी सम्मन को अवैध करार देते हुए रद्द कर दिया है.
न्यायिक विवेक का इस्तेमाल नहीं हुआ
कोर्ट ने कहा कि सीबीआई की दो बार पेश क्लोजर रिपोर्ट में डॉक्टर सचान की खुदकुशी की पुष्टि की गई. साफ कहा गया हत्या नहीं की गयी है. इसके बाद डाक्टर सचान की पत्नी मालती सचान की कंप्लेंट पर पीड़िता व छः गवाहों के बयान दर्ज कर विशेष न्यायिक मजिस्ट्रेट सीबीआई कोर्ट लखनऊ ने सम्मन जारी किया था. सीबीआई की रिपोर्ट से अतिरिक्त अन्य कोई साक्ष्य उपलब्ध न होने के बावजूद न्यायिक विवेक का इस्तेमाल किए बगैर सम्मन जारी करना विधि सम्मत नहीं है.
सरकार से अनुमति भी नहीं ली गई थी
कोर्ट ने कहा कि मजिस्ट्रेट ने संज्ञान लेते समय यह भी नहीं देखा कि धारा 197 के तहत अधिकारियों के खिलाफ अभियोग चलाने की सरकार से अनुमति भी नहीं ली गई थी. कोर्ट ने सम्मन आदेश की वैधता की चुनौती याचिका मंजूर कर ली है. यह आदेश न्यायमूर्ति डी के सिंह ने सुवेश कुमार सिंह,विजय कुमार गुप्ता,भीम सैन मुकुंद, कर्मवीर सिंह,सुनील कुमार सिंह,पआहइंद सिंह व बाबूराम दूबे की याचिका पर दिया है.
मालूम हो कि केंद्र सरकार ने ग्रामीण क्षेत्रों में वंचित समाज के लोगों को स्वास्थ्य सुविधाएं मुहैया कराने की एन आर एच एम योजना लागू की. जिसमें 85फीसदी केंद्र व 15फीसदी राज्य को खर्च करना था.मुख्य सचिव की अध्यक्षता में राज्य स्वास्थ्य सोसायटी का गठन हुआ. स्मॉल स्केल इंडस्ट्रीज की सहायता ली गई. कंपनी और अधिकारियों की मिलीभगत से करोड़ों का घोटाला किया गया.
हाईकोर्ट ने सी बी आई जांच बैठाई
प्रारंभिक जांच के बाद ही बी आई ने एफ आई आर दर्ज कर जांच शुरू की. इस दौरान कई अधिकारियों की मौतें हुई. लखनऊ के सी एम ओ डाक्टर सचान मृत पाये गए.सी बी आई की क्लोजर रिपोर्ट अस्वीकार करते हुए विशेष अदालत ने पुनः जांच का आदेश दिया.
दुबारा क्लोजर रिपोर्ट दी गई. सी बी आई ने डा सचान की मौत को खुदकुशी करार दिया. मजिस्ट्रेट ने दोनों रिपोर्ट निरस्त कर दी. डाक्टर सचान की पत्नी का बयान दर्ज कर कंप्लेंट केस में सम्मन जारी किया था जिसे शक्ति का दुरूपयोग मानते हुए चुनौती दी गई थी.