Friday, May 2, 2025

India’s Growth rate: ‘दूसरी तिमाही में जीडीपी में गिरावट सिस्टमैटिक नहीं, आर्थिक गतिविधियों से होगी भरपाई’: निर्मला सीतारमण

India’s Growth rate: वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने शुक्रवार को कहा कि भारत के सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) की वृद्धि दर में हाल की मंदी ” सिस्टमैटिक” नहीं थी और तीसरी तिमाही में आर्थिक गतिविधि इस मंदी की भरपाई कर देगी. हलांकि आज ही सुबह भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने मौद्रिक नीति समिति की इस वर्ष की अंतिम बैठक में ब्याज दर को 6.5% पर अपरिवर्तित रखा. साथ ही विकास लक्ष्य को भी 7.3% से घटाकर 6.6% कर दिया है.

दूसरी तिमाही में जीडीपी वृद्धि दर 5.4% रही

वित्त वर्ष 2024-25 की जुलाई-सितंबर तिमाही में देश की जीडीपी वृद्धि दर 5.4% रही, जो पिछली सात तिमाहियों में सबसे कम है. पहली तिमाही के दौरान अर्थव्यवस्था 6.7% की दर से बढ़ी थी.
इस मुद्दे पर बात करते हुए, सीतारमण ने दिल्ली में एक कार्यक्रम में कहा, “यह कोई सिस्टमैटिक मंदी नहीं है. यह सार्वजनिक व्यय, पूंजीगत व्यय और इसी तरह की अन्य गतिविधियों में कमी की वजह से है. मुझे उम्मीद है कि तीसरी तिमाही इन सभी की भरपाई कर देगी.”
वरिष्ठ भाजपा नेता ने कहा, “इसलिए, विकास दर ऐसी चीज है जिस पर जरूरी नहीं कि बुरा असर पड़े. हमें कई अन्य कारकों पर भी ध्यान देने की जरूरत है.” इसके अलावा, मंत्री ने कहा कि जीडीपी वृद्धि को प्रभावित करने वाले कारकों में “वैश्विक मांग में स्थिरता शामिल है, जिसने निर्यात वृद्धि को प्रभावित किया.”
सीतारमण ने कहा, “भारतीयों की क्रय शक्ति में सुधार हो रहा है, लेकिन भारत के भीतर, आपको वेतन में वृद्धि की चिंता भी है. हम इन कारकों से अच्छी तरह वाकिफ हैं, जिनका भारतीयों की खुद की खपत पर असर हो सकता है,”

वृत मंत्री ने की मोदी की तारीफ

उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की भी प्रशंसा की और कहा कि वे “चुनौतियों में अवसर तलाशते हैं.” वित्त मंत्री ने कहा, “कोविड-19 के दौरान, चुनौती को सुधार लाने के अवसर के रूप में देखा गया. उस समय पांच मिनी बजट पेश किए गए थे, जिनमें से प्रत्येक ने एक तरफ राहत, समर्थन और सहायता दी और दूसरी तरफ यह सुनिश्चित किया कि छोटे और उपेक्षित लंबित सुधार किए जाएं.”

India’s Growth rate: आरबीआई ने घटाया विकास दर का लक्ष्य

इस बीच, भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) की मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) ने शुक्रवार को रेपो दर को 6.5% पर बनाए रखने के लिए चार से दो मतों से मतदान किया, जिसमें मूल्य स्थिरता के लिए खतरों का हवाला दिया गया, खासकर अस्थिर खाद्य वस्तुओं से.
भारत की मुद्रास्फीति आरबीआई के 4% लक्ष्य से काफी ऊपर बनी हुई है, खुदरा कीमतें 14 महीने के उच्चतम स्तर 6.21% पर पहुंच गई हैं.
इसके साथ ही एमपीसी ने इस वित्त वर्ष के लिए विकास लक्ष्य को भी 7.3% से घटाकर 6.6% कर दिया है.

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