मंगलवार को इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने मुस्लिम पक्ष की दायर याचिकाओं के एक बैच को खारिज कर दिया है. वाराणसी अदालत ने ज्ञानवापी मस्जिद के मालिकाना हक़ के मामले में ये फैसला सुनाया है. इस मामले में उस स्थान पर एक मंदिर की बहाली की मांग की गई थी, जहां ज्ञानवापी मस्जिद मौजूद है. हिंदू पक्ष का दावा है कि ज्ञानवापी मस्जिद मंदिर का ही एक हिस्सा है.
मुस्लिम पक्ष ने क्या दावा किया था
मुस्लिम पक्ष की ओर से अंजुमन इंतजामिया मस्जिद समिति, जो ज्ञानवापी मस्जिद चलाती है, यूपी सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड और अन्य ने इस मुकदमे की वैधता को चुनौती दी थी. उनका तर्क था कि इस तरह के किसी भी विवाद पर मुकदमेबाज को 1991 के पूजा स्थल अधिनियम के तहत प्रतिबंधित किया गया था. 1991 के पूजा स्थल अधिनियम, स्वतंत्रता के दिन के बाद पवित्र स्थलों के धार्मिक चरित्र को बदलने पर रोक लगता है. इसमें राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद स्थल को छोड़ा गया था.
अदालत ने मुकदमें को राष्ट्रीय महत्व का बताया
अदालत ने कहा कि यह मुकदमा राष्ट्रीय महत्व का है. साथ ही उसने मुकदमे को चलने योग्य भी पाया और कहा कि ये मामला धार्मिक पूजा स्थल अधिनियम, 1991 द्वारा वर्जित नहीं है. अदालत ने अपने फैसले में कहा कि मस्जिद परिसर का या तो मुस्लिम चरित्र हो सकता है या हिंदू चरित्र. किसी धार्मिक परिसर का दोहरा चरित्र नहीं हो सकता है.
अदालत ने मामले की तात्कालिकता पर जोर देते हुए निचली अदालत से छह महीने के भीतर मुकदमे की सुनवाई पूरी करने को कहा.
सुप्रीम कोर्ट जा सकता है मुस्लिम पक्ष
ऐसा माना जा रहा है कि इलाहाबाद हाईकोर्ट के फैसले के बाद मुस्लिम पक्ष सुप्रीम कोर्ट का दरवाज़ा खटखटा सकता है. क्योंकि कोर्ट का ये निर्णय पवित्र स्थल को लेकर चल रही कानूनी लड़ाई पर काफी प्रभाव डालता है.
कोर्ट का ये फैसला एएसआई के रिपोर्ट निचली अदालत में पेश करने के एक दिन बाद आया है. सोमवार को एएसआई ने जिला अदालत में मस्जिद परिसर पर एक सीलबंद कवर में अपनी सर्वेक्षण रिपोर्ट पेश की थी. जहां इस मामले की अगली सुनवाई अब 21 दिसंबर को होनी है.
जरूरी हो तो और सर्वेक्षण करा सकती है एएसआई-कोर्ट
अदालत ने अपने फैसले में कहा कि, यदि आगे की जांच आवश्यक समझी जाती है, तो निचली अदालत एएसआई को एक अतिरिक्त सर्वेक्षण करने का निर्देश दे सकती है.
आपको बता दें, काशी विश्वनाथ मंदिर देश में बने भगवान शिव के सबसे पवित्र मंदिरों में से एक है. ये वाराणसी में गंगा नदी के पश्चिमी तट पर बना हुआ है. जबकि ज्ञानवापी मस्जिद मंदिर के बगल में है. दोनों की दीवार एक दूसरे को छूती है. ज्ञानवापी मस्जिद का निर्माण 17 वीं शताब्दी में मुगल सम्राट औरंगजेब ने करवाया था.
पिछले कुछ वर्षों में इस मस्जिद के मालिकाना हक़ को लेकर विभिन्न अदालतों में कई मुकदमे दायर किए गए हैं. यह मामला दो धार्मिक पक्षों में तनाव और विवाद की वजह बनता जा रहा है.
ये भी पढ़ें-Ram Mandir: मंदिर ट्रस्ट ने प्राण प्रतिष्ठा समारोह में राममंदिर आंदोलन के चेहरे लालकृष्ण…