Tuesday, October 7, 2025

सीजेआई पर जूता फेंकने वाले वकील को अपने किये का अफसोस नहीं, बार ने किया स्सपेंड

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Rakesh Kishor : 6 अक्टूबर को सुप्रीम कोर्ट में चीफ जस्टिस बीआर गवई के कोर्ट में सुनवाई के दौरान जूता उछालने के आरोपी वकील राकेश किशोर का कहना है कि उसने जो कुछ किया, उसका कोई अफसोस नहीं है. अपने किये के लिए ना तो वो मांफी मांगेगा और ना ही अफसोस जाहिर करेगा. उसने जो किया वो ईश्वर की इच्छा थी, इसलिए किया. अब अगर उसे जेल भी होती है तो कोई बात नहीं.  

Rakesh Kishor पर सुप्रीम कोर्ट बार ने की कार्रवाई

इस घटना के बाद पुलिस ने आरोपी राकेश किशोर पर सुप्रीम कोर्ट की बार काउंसिल ने कार्रवाई करते हुए तत्काल निीलंबति कर दिया है. इस निलंबन के बाद एक वकील ते तौर पर राकेश किशोर देश भर की किसी अदालत, ट्रिब्यूनल या अधिकरण में पेश नहीं हो सकेंगे.

राकेश किशोर ने फेंका था सीजेआई पर जूता

राकेश किशोर ने मंगलवार को मीडिया से बात किया . किशोर ने बताया कि आखिर उसने सीजेआई की ओर जूते क्यों फेंके. उनका कहना है कि वो मुख्य न्यायाधीश बीआर गवई की उस टिप्पणी से आहत था जिसमें उन्होंने एक जनहित याचिका पर सुनवाई के दौरान आहत करने वाली टिप्पणी की थी. राकेश किशोर ने सीजेआई पर आरोप लगाया कि सुप्रीम कोर्ट में सनातन धर्म से जुड़ा मामला आने पर आमतौर पर कोई न कोई आहत करने वाला आदेश पारित हो जाता है. सीजेआई ने  जनहित याचिका दाखिल करने वाले एक शख्स का मजाक उड़ाया गया था. किशोर ने कहा कि सीजेआई की अदालत में  उस शख्स का मजाक उड़ाया गया, जो सही नहीं था.

सीजेआई की टिप्पणी से आहत था- राकेश किशोर 

राकेश किशोर का कहना है कि सीजेआई ने याचिकाकर्ता से कहा कि आप मूर्ति से ही जाकर प्रार्थना करो और उनसे कहो कि अपना सिर खुद दोबारा बना ले.’ ये सरासर सनातन धर्म का मजाक है.

राकेश किशोर ने अपने पक्ष में दलील देते हुए सीजेआई पर आरोप लगाया कि उनका रवैया दूसरे धर्मों के प्रति बेहतर है. उदाहरण देते हुए उत्तराखंड के हल्दवानी का जिक्र किया और कहा कि हल्दवानी में दूसरे समुदाय के लोगों ने रेलवे की जमीन पर कब्जा किया हुआ है लेकिन जब उन्हें हटाने की बात हुई तो सुप्रीम कोर्ट ने तीन साल पहले उस पर स्टे लगा दिया, जो आजतक जारी है.

 नुपूर शर्मा केस का दिया हवाला 

राकेश किशोर ने नूपुर शर्मा केस का हवाला देते हुए कहा कोर्ट ने उन्हें माहौल बिगाड़ने वाला कह कर रोक दिया. ये सब किया तो बिल्कुल ठीक है लेकिन  जब सनातन धर्म से संबंधित कोई मामला आता है, जैसे जल्ली कट्टू या दही-हांडी की उंचाई का मामला हो तो सुप्रीम कोर्ट  से उसके खिलाफ आर्डर आ जाता है , जिससे मैं दुखी हूं.

राकेश किशोर का कहना है कि जब कोई व्यक्ति अपने भागवान की मूर्ति के बारे में एक जनहित याचिका लेकर आया तो आपको उसपर कोई राहत नहीं देनी थी ,नहीं देते लेकिन उसका मजाक नहीं उड़ाना चाहिये था. आरोप लगाया कि सुप्रीम कोर्ट में याचिकाकर्ता की याचिका खारिज करके सीजेआई ने अन्याय किया.

मैं अहिंसा का पुजारी लेकिन अन्याय बर्दाश्त नहीं

राकेश किशोर ने साफ किया कि वो ना तो किसी ग्रुप से जुडा  है और ना ही कोई विचारधारा का समर्थक है. उसे केवल ये बर्दाश्त नहीं कि देश की सुप्रीम अदालत में सनातन का अपमान हो. उन्होने कहा कि वो अहिंसा को मानने वाला है. कभी कोई अपराध नहीं किया  लेकिन जब सुप्रीम कोर्ट में ये सब होता देखा तो सहन नहीं कर पाया. राकेश किशोर ने कहा कि उसे ये सब करना पड़ा,  क्योंकि यही भगवान की इच्छा थी.

तीन घंटे की पूछताछ के बाद पुलिस ने छोड़ा 

राकेश किशोर को दिल्ली पुलिस ने सोमवार की घटना  के बाद हिरासत में लिया था और करीब तीन घंटे तक पूछताछ हुई लेकिन कोई औपचारिक शिकायत दर्ज ना होने के कारण उसे दोपहर दो बजे उसे छोड़ दिया गया. पुलिस ने उसके जूते भी उसे लौटा दिए.

पीएम मोदी ने की थी घटना की निंदा 

राकेश किशोर अपनी सफाई में दलीलें दीे रहे हैं लेकिन उनके किये की भर्त्सना हर जगह हो रही है. प्रधानमंत्री मोदी ने भी इस घटना पर कड़ी प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि ऐसी हरकत नहीं होनी चाहिये. मुख्य न्यायाधीश के पद की गरिमा के सम्मान के साथ कोई समझौैता नहीं हो सकता है.

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