कांग्रेस ने बुधवार को नवंबर में होने वाले बिहार विधानसभा चुनाव से पहले अत्यंत पिछड़ा वर्ग (ईबीसी) के लिए शिक्षा और रोजगार में आरक्षण पर केंद्रित 10 सूत्री कार्यक्रम Ati Pichhda Nyay Sankalp patra की घोषणा की.
इसने वादा किया गया है कि अगर बिहार में इंडिया ब्लॉक के तहत आरजेडी के नेतृत्व वाले महागठबंधन की सरकार बनाती है तो इसे तत्काल लागू किया जाएगा.
आरक्षण की सीमा 50% से बढ़ाने को लेकर मोदी सरकार को घेरा
लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी ने पटना में कांग्रेस कार्यसमिति (सीडब्ल्यूसी) की बैठक के दौरान संकल्प पत्र जारी करते हुए कहा: “15 दिनों की मतदाता अधिकार यात्रा के दौरान, हम बिहार के विभिन्न ज़िलों में गए और युवाओं को बताया कि संविधान पर हमला हो रहा है. सिर्फ़ बिहार में ही नहीं, बल्कि पूरे देश में नागरिकों के अधिकार छीने जा रहे हैं.”
उन्होंने आगे कहा, “संसद में मैंने प्रधानमंत्री मोदी के सामने दो बातें कहीं. पहली, पूरे देश में जाति आधारित जनगणना होगी; दूसरी, हम 50% आरक्षण की दीवार गिरा देंगे.”
हालाँकि केंद्र में भाजपा के नेतृत्व वाली एनडीए सरकार ने जाति जनगणना की घोषणा कर दी है, लेकिन आरक्षण पर 50% की सीमा अदालतों द्वारा अनिवार्य है.
लोकसभा में मैंने नरेंद्र मोदी जी के सामने दो बातें कहीं।
⦁ देश में जातिगत जनगणना होगी
⦁ आरक्षण में 50% की दीवार तोड़ेंगेइन वादों के पीछे सोच थी कि आज भी देश में अतिपिछड़ा, पिछड़ा, दलित, आदिवासी, अल्पसंख्यक वर्गों को जितनी भागीदारी मिलनी चाहिए, वो नहीं मिलती है।
हम जातिगत… pic.twitter.com/dGqh1U4FTn
— Congress (@INCIndia) September 24, 2025
नीतीश कुमार पर राहुल गांधी का बड़ा हमला
नीतीश कुमार पर बड़ा हमला बोलते हुए राहुल गांधी ने कहा, “बिहार में 20 साल से नीतीश कुमार की सरकार है, लेकिन उन्होंने अतिपिछड़ा समाज को न्याय दिलाने के लिए फैसले नहीं लिए. हमने अतिपिछड़ा समाज के साथ बैठक की, समाज के लोगों से बात की और ‘अतिपिछड़ा न्याय संकल्प’ तैयार कर दिया. नीतीश कुमार सिर्फ वोट ले रहे थे और बदले में अतिपिछड़ा समाज के हक की आवाज दबा रहे थे. हमारा वादा है कि सरकार बनते ही अतिपिछड़ा न्याय संकल्प को लागू करेंगे.”
बिहार में 20 साल से नीतीश कुमार की सरकार है, लेकिन उन्होंने अतिपिछड़ा समाज को न्याय दिलाने के लिए फैसले नहीं लिए।
हमने अतिपिछड़ा समाज के साथ बैठक की, समाज के लोगों से बात की और ‘अतिपिछड़ा न्याय संकल्प’ तैयार कर दिया।
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कांग्रेस ने Ati Pichhda Nyay Sankalp patra क्या वादे किए
1. एससी एसटी की तर्ज पर ‘अतिपिछड़ा अत्याचार निवारण अधिनियम’ पारित किया जाएगा
2. अतिपिछड़ा वर्ग के लिए पंचायत तथा नगर निकाय में वर्तमान 20% आरक्षण को बढ़ाकर 30% किया जाएगा
3. आबादी के अनुपात में आरक्षण की 50% की सीमा को बढ़ाने हेतु, विधान मंडल पारित कानून को संविधान की नौवीं अनुसूची मे शामिल करने के लिए केंद्र सरकार को भेजा जाएगा
4. नियुक्तियों की चयन प्रक्रिया में “Not Found Suitable” (NFS) जैसी अवधारणा को अवैध घोषित किया जाएगा
5. अतिपिछड़ा वर्ग की सूची में अल्प या अति समावेशन (under- or over-inclusion) से संबंधित सभी मामलों को एक कमेटी बनाकर निष्पादित किया जाएगा
6. अतिपिछड़ा, अनुसूचित जाति, जन-जाति तथा पिछड़ा वर्ग के सभी आवासीय भूमिहीनों को शहरी क्षेत्रों में 3 डेसिमल तथा ग्रामीण क्षेत्रों में 5 डेसिमल आवासीय भूमि उपलब्ध करायी जाएगी
7. UPA सरकार द्वारा पारित ‘शिक्षा अधिकार अधिनियम’ (2010) के तहत निजी विद्यालयों में नामांकन हेतु आरक्षित सीटों का आधा हिस्सा अतिपिछड़ा, पिछड़ी जाति, अनुसूचित जाति और जन-जाति के बच्चों हेतु निर्धारित किया जाएगा
8. 25 करोड़ रुपयों तक के सरकारी ठेकों / आपूर्ति कार्यों में अतिपिछड़ा, अनुसूचित जाति, जनजाति और पिछड़ी जाति के लिए 50% आरक्षण का प्रावधान किया जाएगा
9. संविधान की धारा 15 (5) के अंतर्गत राज्य के सभी निजी शिक्षण संस्थानों के नामांकन हेतु आरक्षण लागू किया जाएगा
10. आरक्षण की देखरेख के लिए उच्च अधिकार प्राप्त आरक्षण नियामक प्राधिकरण का गठन किया जाएगा, और जातियों की आरक्षण सूची में कोई भी परिवर्तन केवल विधान मंडल की अनुमति से ही संभव होगा
क्या है ईबीसी
2023 के राज्य जाति सर्वेक्षण रिपोर्ट के अनुसार, ईबीसी — जिसमें 112 समुदाय शामिल हैं, जो बिहार की आबादी का लगभग 36% हिस्सा है — राज्य का सबसे बड़ा सामाजिक समूह है और चुनावों के भाग्य का फैसला करने में अहम भूमिका निभाता है. हालाँकि ईसीबी, एससी या एसटी जैसी एक अलग संवैधानिक श्रेणी नहीं है. लेकिन ईबीसी को अक्सर बड़े अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) श्रेणी के भीतर के एक उप-समूह के रूप में देखा जाता है. जिसे पिछड़ी जातियों में सबसे वंचित जातियों की पहचान करने के लिए बनाया गया है.
कांग्रेस द्वारा ईबीसी मतदाताओं को लुभाने की यह कोशिश ऐसे समय में हो रही है जब सत्तारूढ़ भाजपा-जद(यू) इस साल अक्टूबर-नवंबर में होने वाले बिहार चुनावों में सामाजिक न्याय को अपना मुख्य मुद्दा बनाने की कोशिश कर रही है.

