सोमवार को समाचार एजेंसी एएनआई को दिए अपने इंटरव्यू में प्रधानमंत्री मोदी ने एक बार फिर चुनावी बान्ड Electoral Bond का बचाव किया था. पीएम ने कहा था कि इलेक्टोरल बॉंड थे तो मनी ट्रेल मिल रहा है. पीएम के इस इंटरव्यू पर अब फिर कांग्रेस सांसद राहुल गांधी ने सवाल खड़े किए हैं राहुल ने कहा अगर अगर ये पारदर्शिता लाने के लिए किया गया तो इसमें नाम क्यों छुपे थे?
जब सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि डेटा सामने आना चाहिए, इसे कौन रोक रहा था?
वायनाड में चुनाव प्रचार के दौरान ANI को दिए इंटरव्यू में कांग्रेस सांसद राहुल गांधी ने इलेक्टोरल बॉन्ड को लेकर प्रधानमंत्री मोदी के जवाब पर कहा, “ये नरेंद्र मोदी का आइडिया था. वे कहते हैं कि राजनीति में पारदर्शिता लाने के लिए ऐसा किया गया था. अगर ये पारदर्शिता लाने के लिए किया गया तो इसमें नाम क्यों छुपे थे? जब सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि डेटा सामने आना चाहिए, इसे कौन रोक रहा था? क्यों रोक रहा था?…ये हिन्दुस्तान की सबसे बड़ी हफ्ते बाजी की योजना है…”
#WATCH वायनाड: ANI को दिए इंटरव्यू में इलेक्टोरल बॉन्ड को लेकर प्रधानमंत्री मोदी के जवाब पर राहुल गांधी ने कहा, “ये नरेंद्र मोदी का आइडिया था। वे कहते हैं कि राजनीति में पारदर्शिता लाने के लिए ऐसा किया गया था। अगर ये पारदर्शिता लाने के लिए किया गया तो इसमें नाम क्यों छुपे थे? जब… pic.twitter.com/kok01kmNaQ
— ANI_HindiNews (@AHindinews) April 16, 2024
इलेक्टोरल बांड पर पीएम मोदी
सोमवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इलेक्टरोल बॉंड को लेकर लगातार विपक्ष के हमलों और कांग्रेस नेता राहुल गांधी के आरोपों का जवाब देते हुए कहा था कि इलेक्टोरल बॉंड थे तो मनी ट्रेल मिल रहा है. किस कंपनी ने किसको कितना दिया ये सब पता चल रहा है. इसलिए सब पछतायेंगे. पीएम मोदी ने कहा जो लोग इसका विरोध कर रहे हैं वो पछतायेंगे. इलेक्टोरल बांड के माध्यम से काले धन पर रोक लगी है.
सुप्रीम कोर्ट ने बताया था चुनावी बॉन्ड को “असंवैधानिक”
इस साल 15 फरवरी को सुप्रीम कोर्ट ने एक ऐतिहासिक फैसले सुनाते हुए चुनावी बांड योजना को “असंवैधानिक” बताया था. कोर्ट ने कहा कि राजनीतिक दलों को मिलने वाली फंडिंग के बारे में जानकारी जनता को चुनावी विकल्प चुनने के लिए आवश्यक है. कोर्ट ने योजना को सूचना के अधिकार और धारा 19(1)(ए) का उल्लंघन माना. सुप्रीम कोर्ट का कहना है कि काले धन पर अंकुश लगाने के लिए सूचना के अधिकार का उल्लंघन उचित नहीं है.
इसके साथ ही सुप्रीम कोर्ट का कहना है कि चुनावी बांड के माध्यम से कॉर्पोरेट योगदानकर्ताओं के बारे में जानकारी का खुलासा किया जाना चाहिए क्योंकि कंपनियों द्वारा दान पूरी तरह से बदले के उद्देश्य से दिया जाता है.