पुणे पोर्श दुर्घटना मामले Pune Porsche Case में आरोपी युवक के पिता और दाद के बाद अब मां को गिरफ्तार किया गया है. शुक्रवार को पुलिस ने युवक के पिता और दादा को विशेष कोर्ट में पेश किया था जहां उन्हें 14 दिन की न्यायिक हिरासत में भेजने का फैसला सुनाया गया था.
आरोपी नाबालिग किशोर की मां हुई गिरफ्तार
पुणे पुलिस आयुक्त अमितेश कुमार ने बताया कि पुणे पोर्श दुर्घटना में शामिल किशोर की मां को गिरफ्तार किया गया है. मां पर दुर्घटना के बाद उसके रक्त के नमूने की जांच में मदद करने के आरोप में शनिवार को गिरफ्तार किया गया.
यह परिवार से चौथी गिरफ्तारी है, जिसमें नाबालिग, उसके पिता और दादा को पहले ही गिरफ्तार किया जा चुका है. यह गिरफ्तारी ऐसे समय में हुई है जब कुछ दिन पहले पुणे पुलिस ने एक स्थानीय अदालत को बताया था कि किशोर चालक के रक्त के नमूने कथित तौर पर एक महिला के रक्त के नमूनों से बदल दिए गए थे.
खून के नमूने में हेरफेर को लेकर 2 डॉक्टर भी हुए गिरफ्तार
पुणे पुलिस ने नाबालिग के रक्त के नमूने में हेराफेरी करने के आरोप में ससून अस्पताल के दो डॉक्टरों को गिरफ्तार किया था. “दुर्घटना के बाद, (यरवदा) पुलिस स्टेशन ने किशोर, उसके साथ कार में मौजूद उसके दो दोस्तों और (परिवार) ड्राइवर को रक्त के नमूने देने के लिए ससून जनरल अस्पताल भेजा था. इन नमूनों में से किशोर के रक्त के नमूने की अदला-बदली की गई थी. एक पुलिस अधिकारी ने पीटीआई को बताया, “उनके (अन्य तीन नमूनों के) नतीजे भी शून्य आए (शराब का कोई निशान नहीं मिला).
क्या है Pune Porsche Case?
पुणे के कल्याणी नगर में 19 मई की सुबह दो सॉफ्टवेयर इंजीनियर अनीश अवधिया और अश्विनी कोष्टा की रोड दुर्घटना में मौत हो गई. दुर्घटना कथित तौर पर एक नशे में धुत नाबालिग द्वारा चलाई जा रही पोर्श कार से हुई. जो 200 प्रति घंटा की रफ्तार से तेजी से आई और मृतकों के दोपहिया वाहन को टक्कर मार दी. दुर्घटना के बाद 17 वर्षीय नाबालिग को निगरानी गृह भेज दिया गया है, उसके पिता, रियल एस्टेट एजेंट विशाल अग्रवाल और दादा सुरेंद्र अग्रवाल को परिवार के ड्राइवर का अपहरण करने और उस पर दोष लेने के लिए दबाव डालने के आरोप में गिरफ्तार किया गया है. पुणे पुलिस को उसके परामर्शदाताओं और उसके परिवार के सदस्यों की मौजूदगी में नाबालिग से पूछताछ करने की अनुमति मिल गई है. यरवदा सुधार केंद्र में बंद किशोर से कम से कम दो घंटे तक पूछताछ की जाएगी. ये केस सुर्खियों में तब आया जब किशोर को शुरू में न्याय बोर्ड (जेजेबी) द्वारा 300 शब्दों का निबंध लिखने की शर्त पर जमानत दे दी गई. इस फैसले से लोगों में भारी आक्रोश फैल गया था. बाद में पुणे पुलिस ने किशोर न्याय बोर्ड से संपर्क किया, जिसने लड़के को 5 जून तक 14 दिनों के लिए पर्यवेक्षण गृह में भेज दिया.
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