पटना
अभिषेक झा, ब्यूरो चीफ
छपरा में जहरीली शराब पीने से अबतक 71 लोगों मौत हो चुकी है. हालात ये है कि जितने लोग अस्तपाल में भर्ती है उनमें से कई और लोगों की जान जा सकती है. मौत का आंकड़ा और बढ़ने की आशंका बनी हुई है. दर्जनों लोग जीवन के लिए मौत से जूझ रहे हैं .
मंगलवार से शुरू हुआ मौत का सिलसिला थमने का नाम नहीं ले रहा है. मृतकों के परिजनों में चीख पुकार मची हुई है. एक साथ इतने लोगों की मौत को लेकर बिहार का सियासी पारा चरम पर पहुंच चुका है. सीवान और बेगूसराय से भी जहरीली शराब से मौत की खबरें आ रही है. सीवान में पांच जबकि बेगूसराय में लगभग एक ही तरह के लक्ष्णों के साथ दो लोगों की मौत हुई है. आशंका है कि मौत जहरीली शराब से ही हुई , हालांकि कुछ परिजनों ने बिना पोस्टमार्टम कराये ही शव का अंतिम संस्कार कर दिया.
देखने वाली बात ये है कि मौत का सिलसिला रुकने के नाम नहीं ले रहा है, लेकिन राजनेता बयानबाजी करने से पीछ नहीं हट रहे हैं.
किसी को इस बात का जवाब नहीं चाहिये कि ये जहरीली शराब इलाके में आई कैसे ?
शराबबंदी वाले बिहार में आखिर इतनी बड़ी संख्या में शराब पहुंची तो जिम्मेदार कौन है, ना प्रशासन से कोई सवाल कर रहा है ना सरकार इसकी जिम्मेदारी उठा रही है. सरकार अफसर इलाके के छोटे मोटे पुलिसकर्मियों पर कार्रवाई कर अपना पल्ला झाड़ने और जनता को ही गुनाहगार साबित करने में लगे है. अगर राज्य में एक चुनी हुई सरकार के रहते हुए राज्य में अवैध कारोबार पर नियंत्रण नहीं हो सकता है तो राज्य के मुखिया पर सवाल उठना लाजिमी है . सीएम नीतीश कुमार को इस बात का जवाब देना होगा कि जिनके पास पुलिस एर प्रशासन सब का कमांड है वहां सरकार शराब के अवैध कारोबार पर अंकुश लगाने के लेकर इतनी लाचार क्यों हैं ?