Friday, October 24, 2025

नहीं रहे ‘ अबकी बार मोदी सरकार’ लिखने वाले पद्मश्री पीयूष पांडेय,70 साल की उम्र में निधन

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Piyush Pandey Demise : एडगुरु को नाम से विख्यात,पद्मश्री से सम्मानित मशहूर विज्ञापन निर्माता पीयूष पांडेय का गुरुवार को निधन हो गया. ये जानकारी शुक्रवार को सामने आई है. पीयूष पांडेय पिछले कुछ दिनों से बीमार चल रहे थे. 70 साल की उम्र में उन्होने मुंबई में अंतिम सांस ली . उनकी मौत के कारणों का अभी पता नहीं चला है लेकिन बताया जा रहा है कि वो किसी तरह की संक्रमन से जूझ रहे थे.  जानकारी के मुताबिक आज ही मुंबई में उनका अंतिम संस्कार किया जाएगा.

Piyush Pandey के निधन पर पीएम मोदी ने जताया शोक

पीयूष पांडेय वही शख्स थो जिन्होंने भाजपा के लिए 2014 में स्लोगन बनाया था – अबकी बार मोदी सरकार. 2014 के चुनाव में जो मोदी लहर चली थी, उसमें इस स्लोगन का बड़ा योगदान था. प्रधानमंत्री मोदी ने पीयूष पांडेय की रचनात्मकता को याद करते हुए सोशल मीडिया एक्स पर लिखा है कि

 “पीयूष पांडे क्रिएटिविटी के लिए जाने जाते थे.एडवर्टाइजिंग की दुनिया में उन्होंने शानदार योगदान दिया. मैं उनके साथ हुई बातचीत को सालों तक संजोकर रखूंगा. उनके दुनिया से जाने से बहुत दुखी हूं. उनके परिजन के साथ मेरी संवेदनाएं हैं.”

पीयूष पांडेय ने लिखा था- मिले सुर मेरा तुम्हारा…

पीयूष पांडेय पिछले कई दशक से भारतीय विज्ञापन जगत के पुरोधा क्रियेटर के तौर पर काम कर रहे थे. पीयूष पांडेय के रचनात्मक विज्ञापनों ने घर घर में अपनी पहचान बना ली थी. कम ही लोगों के पचा होगा कि दूरदर्शन पर जिस खूबसूरत राष्ट्रीय एकता का गीत मिले सुर मेरा तुम्हारा हम बचपन से सुनते आ रहे हैं, उसकी रचना किसी और ने नहीं बल्कि पीयूष पांडेय ने की थी.

मिले सुर मेरा तुम्हारा तो सुर बने हमारा …इन खूबसूरत बोल को लता मंगेशकर से लेकर अमिताभ बच्चन और बिरजू महाराज से लेकर सुनील गावस्कर तक ने अपनी आवाज दी… जानी-मानी हस्तियों ने अपना चेहरा दिया था.

27 साल की उम्र से विज्ञापन जगत के लिए किया काम 

रचनात्मकता पीयूष पांडेय को अपने परिवार से विरासत में मिली थी. उनके बड़े भाई प्रसून पांडेय भी विज्ञापन जगत में एक बड़ा नाम हैं. उन्होने अपने शुरुआती जीवन में अपने भाई के साथ ही काम किया. उभरते भारत मे जब धीरे-धीरे देसी- विदेशी प्रोडक्ट बाजार में आ रहे थे,तब ऐसे में कई प्रोडक्ट को उनके विज्ञापनों ने घर घर में पहचान दी. उन्होंने रेडियो विज्ञापन से लेकर टीवी तक के लिए अपनी आवाज दी और विज्ञापन बनाये.

पीयूष के बनाए 5 मशहूर एड कैम्पेन 

फेवीकॉल का मजबूत जोड़- टूटेगा नहीं –इस विज्ञानप को बच्चे से लेकर बुजुर्ग तक ने कभी ना कभी जरुर सुना होगा, या पढ़ा होगा. इस ऐड को बनाने वाले क्रियेटर पीयूष पांडेय ही थे. ये विज्ञापन 2007 में आया था. पीयूष पांडेय की रचनात्मकता ही थी कि जिसने एक साधारण से चिपकने वाले इस गोंद को  घर घर में मशहूर कर दिया.

उन्होने सैक़ड़ों देसी- विदेशी ब्रांड के लिए विज्ञापन बनाये जिसमें 2007 मे ही बना कैडबरी का विज्ञापन फेमस हो गया. इस एड में एक बच्चे का भारतीय क्रिकेट के लिए प्यार दिखाया गया था. बच्चा छक्का मारकर खुशी से नाचने लगता है, तो उसके साथ पूरा मोहल्ला झूम उठता है. इस विज्ञापन को आवाज भी पांडे ने ही दिया था – स्लोगन था- “कुछ खास है जिंदगी में!” इस एक लाइन को उनकी हस्की और शानदार आवाज ने पूरे भारत में मशहूर कर दिया.

एशियन पेंट्स का “हर घर कुछ कहता है”-  आम तौर पर विज्ञापन केवल एक प्रोडक्ट को बताता है लेकिन इसे कैसे लोगों की भावनाओं से जोड़ते हैं, ये विज्ञापन जगत को वीयूष पांडेय ने बताया. एक पेंट के विज्ञापन को उन्होंने घर से ऐसे जोड़ दिया कि ये भावनाओं से जुड़ गया. उन्होंने इस प्रोडक्ट को एक स्लोगन दिया- हर घर कुछ कहता है…एशियन पेंट का ये विज्ञापन इतना मशहूर हो गया कि इसने इस पेंट के मार्केट का लीडर बना दिया. 2002 में बना ये ऐड  23 साल बाद भी तरोताजा लगता है.

हच (वोडाफोन) का “पग वाला विज्ञापन”: ये विज्ञापन  2003 में बनाया गया था, इसमें एक बच्चा छोटे से कुत्ते (पग) को फॉलो करता है.. इसका टैग लाइन दिया ‘व्हेयरवर यू गो, हच इज विदू’ . पीयूष पांडेय ने मोबाइल कनेक्टिविटी को दोस्ती और विश्वास से जोड़ दिया. इस का हिंदी वर्जन था “भाई, हच है ना!” इस टैगलाइन ने वोडाफोन को घऱ घर में फेमस कर दिया. यह एड सिर्फ ब्रांड को री-ब्रांडिंग करने में सफल रहा, बल्कि पग को राष्ट्रीय आइकॉन बना दिया.

अबकी बार मोदी सरकार 

पूरे भारत ने 2014 में इस स्लोगन को सुना और बच्चे- बच्चे की जुबान पर आ गया. पूरा देश मोदी लहर को इसी स्लोगन के जरिये  समझ रहा था. ये स्लोगन देने वाले पीयूष पांडेय ही थे. इस एड कैंपेंन को पीयूष पांडेय और उनकी टीम मे केवल 50 दिनों में तैयार किया और इसे घर घर तक पहुंचा दिया. इस ऐड कैंपेन के बारे में एक इंटरव्यू के दौरान उन्होंने बताया था कि कैसे केवल 50 दिन में उनकी टीम ने 200 से ज्यादा टीवी कमर्शियल, 100 से ज्यादा रेडियो एड और हर रात 100 से ज्यादा प्रिंट एड निकाले. इस एक कैंपेन के लिए  हर दिन उनकी टीम बीजेपी के नेता के साथ बैठकर एड अप्रूव कराते थे और कैंपेन में भी हिस्सा लेते थे.  इस एक ऐड को बनाने के लिए पीएम मोदी की इमेज को फेकस में रखते हुए इसे आम लोगों से जोड़ने के लिए डिजाइन किया गया.. ताकि लोग इससे आसानी से कनेक्ट हो सकें.

 पल्स पोलियो का विज्ञापन  ‘दो बूंदें जिंदगी की’ – पोलियो उन्मूलन के लिए बनाये गये सरकारी विज्ञापन को पीयूष पांडे ने इस तरह से समाज से जोड़ा कि ये आज भी लोगों की जुबान पर है. गांव से लेकर शहर तक में इस एक टैगलाइन से लोगों में पोलियो के प्रति जागरुकता आई.
पद्मश्री से सम्मानित हुए थे पीयूष पांडेय

अपनी रचनात्मकता और गहरी संवेदनशीलता के साथ समाजिक सरोकारों से जोड़ने वाले रचनाकार को सरकार ने 2016 में भारत के प्रतिष्ठित पद्मश्री सम्मान से सम्मानित किया. इसके अलावा उन्हें LIA लीजेंड अवॉर्ड भी मिला था.

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