Saturday, July 26, 2025

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने Rahul Gandhi की भारतीय नागरिकता पर सवाल उठाने वाली याचिका का निपटारा कर दिया

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सोमवार को इलाहाबाद उच्च न्यायालय की लखनऊ पीठ ने कांग्रेस नेता राहुल गांधी Rahul Gandhi की भारतीय नागरिकता पर सवाल उठाने वाली याचिका का निपटारा कर दिया और याचिकाकर्ता को अन्य वैकल्पिक कानूनी उपाय तलाशने की अनुमति दे दी.

कोर्ट ने क्यों बंद कर दिया केस

न्यायमूर्ति एआर मसूदी और न्यायमूर्ति राजीव सिंह की पीठ ने कहा कि चूंकि केंद्र सरकार याचिकाकर्ता की शिकायत के समाधान के लिए कोई समयसीमा नहीं दे पा रही है, इसलिए इस याचिका को लंबित रखने का कोई औचित्य नहीं है.
अदालत ने याचिकाकर्ता कर्नाटक के भाजपा कार्यकर्ता एस विग्नेश शिशिर से कहा कि वह अन्य वैकल्पिक कानूनी उपाय अपनाने के लिए स्वतंत्र हैं. शिशिर ने जनहित याचिका में दावा किया था कि उनके पास ब्रिटिश सरकार के दस्तावेज और कुछ ईमेल हैं, जो साबित करते हैं कि राहुल गांधी ब्रिटिश नागरिक हैं और इस वजह से वह भारत में चुनाव लड़ने के लिए अयोग्य हैं और लोकसभा सदस्य का पद नहीं संभाल सकते.

किस आधार पर Rahul Gandhi की संसद सदस्यता रद्द करने की गई थी मांग

21 अप्रैल को पिछली सुनवाई में अदालत को बताया गया था कि केंद्र ने ब्रिटेन सरकार को पत्र लिखकर इस दावे के बारे में जानकारी मांगी है कि गांधी के पास ब्रिटिश नागरिकता है.
इस दलील के बाद पीठ ने केंद्र सरकार को 5 मई तक का समय दिया था ताकि वह याचिकाकर्ता द्वारा लोकसभा में विपक्ष के नेता के खिलाफ दायर किए गए अभ्यावेदन का नतीजा पेश कर सके, जिसमें दावा किया गया था कि उनके पास ब्रिटिश नागरिकता है और 2024 के लोकसभा चुनाव को रद्द करने की मांग की गई थी.
इससे पहले याचिकाकर्ता ने अदालत को बताया था कि उन्होंने राहुल गांधी की कथित दोहरी नागरिकता के संबंध में सक्षम प्राधिकारी को दो बार शिकायत भेजी, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं की गई.

यूपी सरकार ने जवाब देने के लिए मांगा था और समय

25 नवंबर को जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए न्यायालय ने याचिकाकर्ता के अभ्यावेदन पर अपने निर्णय के बारे में केंद्र सरकार से जानकारी मांगी थी.
उप सॉलिसिटर जनरल एसबी पांडे ने न्यायालय को सूचित किया था कि याचिकाकर्ता के अभ्यावेदन पर कार्रवाई करते हुए संबंधित मंत्रालय ने ब्रिटेन सरकार को पत्र लिखकर गांधी की कथित ब्रिटिश नागरिकता के बारे में विस्तृत जानकारी मांगी थी और इसलिए सरकार को याचिकाकर्ता के अभ्यावेदन पर अंतिम निर्णय लेने के लिए और समय चाहिए.

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