Friday, July 4, 2025

Shahid Latif: पठानकोट हमले का मास्टरमाइंड शाहिद लतीफ पाकिस्तान की मस्जिद में मारा गया

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भारतीय खुफिया अधिकारियों के अनुसार, जैश-ए-मोहम्मद (JeM) के कमांडर और 2016 के पठानकोट भारतीय वायु सेना (IAF) बेस हमले के प्रमुख संचालक शाहिद लतीफ को मंगलवार को पाकिस्तान के सियालकोट में अज्ञात हमलावरों ने गोली मार दी.
गैरकानूनी गतिविधि रोकथाम अधिनियम (UAPA) के तहत “व्यक्तिगत आतंकवादी” के रूप में नामित, 41 वर्षीय लतीफ को एक मस्जिद के अंदर गोली मारी गई.

पठानकोट हमले में लतीफ का क्या था रोल

शाहिद लतीफ लंबे समय तक सियालकोट में जैश-ए-मोहम्मद का कमांडर था और भारत में कई आतंकी गतिविधियों की योजना और समन्वय में शामिल था.
काशिफ जान, जिन्हें ‘उस्ताद जी’ के नाम से भी जाना जाता है, के साथ लतीफ चार फिदायीन हमलावरों के साथ लगातार संपर्क में था, जो 1 जनवरी 2016 की रात को भारतीय वायुसेना बेस में घुस गए थे.
पाकिस्तान के पंजाब और सिंध के रहने वाले फिदायीन हमलावरों – नासिर हुसैन, अबू बकर, उमर फारूक और अब्दुल कयूम ने सात सुरक्षाकर्मियों की हत्या कर दी, जिसके बाद एनएसजी (राष्ट्रीय सुरक्षा गार्ड) और सेना के कमांडो ने ‘ऑपरेशन धांगू’ चलाया और आतंकवादियों को मार गिराया. ‘ऑपरेशन धांगू’ 80 घंटे तक चला था.
लतीफ के खिलाफ इंटरपोल का रेड नोटिस लंबित था, लेकिन अन्य आतंकी नेताओं की तरह वह पाकिस्तान में स्वतंत्र रूप से घूमता था और भारत में हमलों की योजना बनाने और उसे अंजाम देने में शामिल था. काशिफ जान भारत में हमले आयोजित करने के लिए पाकिस्तानी धरती से काम करता रहता है.

पठानकोट की चार्जशाट में एनआईए ने क्या बताया था

राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) द्वारा 2016 में ही दायर की गई पठानकोट हमले की चार्जशीट में मौलाना मसूद अज़हर, लतीफ, जान और अन्य को नामित करते हुए कहा गया है कि फिदायीन हमलावरों ने पठानकोट हमले में दो पर्चियां छोड़ी थीं, जिसमें लिखा था कि “जैश-ए-मोहम्मद जिंदाबाद” तंगधार से ले कर सांबा कठुआ राजबाग और दिल्ली तक अफजल गुरु शहीद के जां निसार तुम को मिलत रहेंगे. इंशा अल्लाह.”

भारत ने पाकिस्तान जेआईटी को पठानकोट जाने दिया था

भारत ने सबूत इकट्ठा करने के लिए पाकिस्तानी संयुक्त जांच दल (जेआईटी) को पठानकोट जाने की अनुमति दी थी, लेकिन इस्लामाबाद ने पारस्परिकता की शर्तों का उल्लंघन किया और भारतीय जांचकर्ताओं के साथ कोई सबूत साझा नहीं किया.
सबूतों के साथ पाकिस्तान को एक विस्तृत डोजियर सौंपा गया, जिसमें मारे गए चार आतंकवादियों की फोन पर बातचीत, उनके पते, परिवार के सदस्यों का विवरण, अल-रहमत ट्रस्ट (जेईएम की वित्तीय शाखा) के वित्तीय विवरण और जेईएम संचालकों के चैट/संदेश शामिल थे.

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