Thursday, October 17, 2024

Operation Lotus: क्या हुआ तेरा (मोदी) वादा? क्यों अपने विधायकों से मिलने लगे नीतीश कुमार?

शिवसेना तोड़ी, एनसीपी तोड़ी अब समाजवादी पार्टी, जेडीयू और आरजेडी की बारी है. देश में खेला होने वाला है. पटना में जो विपक्षी, एकता की बात कर रहे थे वो अब अपनी पार्टी बचा लें. रविवार को एनसीपी नेता और शरद पवार के भांजे अजित पवार के उप मुख्यमंत्री पद की शपथ लेने के बाद से बीजेपी समर्थकों और कुछ नेताओं ने ये दावे करने शुरु कर दिए हैं कि अब बिहार में ऑपरेशन लोटस की तैयारी है.

जयंत चौधरी का बीजेपी के साथ जाने से इनकार

केंद्रीय मंत्री रामदास आठवले (Ramdas Athawale) ने दावा किया कि शिवसेना और एनसीपी की तरह ही समाजवादी पार्टी (

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) और जनता दल (यूनाइटेड) में भी फूट हो जाएगी और जयंत चौधरी भी एनडीए (NDA) का हिस्सा हो जाएंगे.
रामदास आठवले ने कहा कि पटना में विपक्षी दलों की मीटिंग में जयंत चौधरी नहीं गए थे, वो भी एनडीए का हिस्सा बनेंगे. हलांकि आठवले जो जयंत चौधरी के बारे में बोल रहे हैं उसमें दम इसलिए नहीं है कि जयंत पटना में विपक्षी दलों की बैठक के बाद खुद बयान दे कर साफ कर चुके हैं कि उनकी पार्टी के बीजेपी के साथ जाने की किसी भी तरह की संभावना नहीं है. उन्होंने साफ कहा था कि वे विपक्ष में ही रहेंगे और विपक्षी एकता वाली अगली बैठक में ज़रूर शामिल होंगे.

समाजवादी पार्टी भी होगी दो फाड़- ओम प्रकाश राजभर

यूपी को लेकर केंद्रीय मंत्री आठवले ज़रूर जयंत पर ज्यादा जोर दे रहे थे लेकिन सुभासपा अध्यक्ष ओम प्रकाश राजभर का निशाना अखिलेश पर है. उनके मुताबिक महाराष्ट्र की तरह उत्तर प्रदेश में भी एक बड़ी पार्टी दो टुकड़े में बंटने वाली है. समाजवादी पार्टी के कई विधायक,सांसद दल छोड़ कर सरकार के विस्तार में शामिल होना चाहते हैं. सपा के कई नेता लोकसभा टिकट के लिए दल बदलने को तैयार हैं. राजभर का कहना है कि समाजवादी पार्टी के सांसद बता रहे हैं कि वो अखिलेश यादव से खुश नहीं हैं. बीजेपी से जुड़ने के लिए कई समाजवादी पार्टी के विधायक हमसे संपर्क में हैं.
कांग्रेस को चाहिए बीएसपी का साथ- ओम प्रकाश राजभर
इतना ही नहीं राजभर तो ये भी बोल रहे हैं कि 2024 के गठजोड़ में समाजवादी पार्टी यूपी में अकेली होगी अगर उसने बीएसपी को अपने साथ नहीं जोड़ा तो. राजभर का दावा है कि 2024 में जो विपक्ष का गठबंधन होगा उसमें कांग्रेस बीएसपी का साथ चाहती है समाजवादी पार्टी का नहीं.

क्या शरद पवार के बाद आ गई है नीतीश कुमार की बारी

खैर अखिलेश फिलहाल बीजेपी के निशाने पर नहीं हैं. बीजेपी की बेचैनी बिहार को लेकर ज्यादा है. आपको याद होगा गृहमंत्री अमित शाह ने शिवसेना टूट के बाद कहा था कि वो नीतीश कुमार को भी सबक सिखाएंगे. ऐसे में बिहार में अब चर्चा तेज है कि महाराष्ट्र का असर बिहार में भी दिख सकता है. आरजेडी के साथ नीतीश कुमार के जाने के बाद से ही जेडीयू में बगावती स्वर सुनाई देने लगे थे. उपेंद्र कुशवाहा ने तो इसे ही आधार बना कर अपना अलग रास्ता चुन लिया था. उसके बाद करीब एक दर्जन नेता जेडीयू छोड़ चुके हैं. आशंका जताई जा रही है कि अभी जेडीयू से और लोग भी नीतीश का साथ छोड़ सकते हैं. इसका आभास नीतीश को भी है. इसीलिए वे लगातार अपने विधायकों, सांसदों और विधान परिषद के साथियों से वन टू वन मुलाकात कर रहे हैं.

अब क्यों विधायकों से मिल रहे है नीतीश कुमार-सुशील मोदी

वहीं, रविवार के महाराष्ट्र घटनाक्रम के बाद बीजेपी नेता सुशील मोदी ने दावा किया है कि बिहार में भी विपक्षी दलों में ऐसी टूट हो सकती है. उन्होंने कहा, बिहार में भी बगावत की स्थिति बन रही है क्योंकि नीतीश कुमार ने पिछले 17 सालों में कभी भी अपने विधायकों और सांसदों को मिलने का समय नहीं दिया. लोगों को साल भर इंतजार करना पड़ता था. अब वो प्रत्येक विधायक और सांसद को 30 मिनट दे रहे हैं. जब से नीतीश कुमार ने राहुल गांधी को अगली लड़ाई के लिए नेता स्वीकार कर लिया और तेजस्वी यादव को अपना उत्तराधिकारी बना दिया तभी से जनता दल यूनाइटेड में विद्रोह की स्थिति है.

मांझी और पासवान का दावा जल्द टूटेगी जेडीयू

ऐसा ही दावा चिराग पासवान भी कर रहे हैं. उनका कहना है कि ‘सीएम नीतीश के कई विधायक-सांसद दूसरे दलों के संपर्क में हैं. पूर्व मुख्यमंत्री और हम पार्टी के जीतन राम मांझी भी जेडीयू में बड़ी टूट की भविष्यवाणी कर रहे हैं. उनका कहना है कि जेडीयू के एमएलए घुट-घुट के रह रहे हैं. निकट भविष्य में जेडीयू टूटेगी. कुल मिलाकर कहें तो महागठबंधन में शामिल पार्टियों को छोड़ बाकी सभी पार्टियों का कहना है कि बिहार में जेडीयू का वही हाल होगा जो महाराष्ट्र में शिवसेना और एनसीपी का हुआ.

क्या होगा पीएम की गारंटी का

तो सवाल ये है कि महाराष्ट्र में हुआ क्या. जबसे शिवसेना टूटी है बीजेपी और शिंदे गुट वहां एक भी चुनाव नहीं जीत पाया. राजनीतिक जानकार दावा कर रहे थे कि उद्धव के साथ जनता की सहानुभूति है इसलिए महाराष्ट्र की 48 लोकसभा सीटों में से बीजेपी 10 का आंकड़ा भी नहीं छू पाएगी. ऐसे में अजीत पवार का बीजेपी में जाना क्या कोई चमत्कार कर देगा. क्या अजीत पवार महाराष्ट्र की राजनीति में शरद पवार से बड़े नेता हैं. इससे भी बड़ा सवाल ये है कि अब पीएम मोदी की भ्रष्टाचारियों को नहीं छोड़ने की गारंटी का क्या होगा. पीएम ने भोपाल में भ्रष्टाचारियों को जेल में डालने की गारंटी दी थी. पीएम ने एनसीपी का नाम लेकर बताया था कि कौन-कौन से घोटाले में वो शामिल है. ऐसे में जो घोटालेबाज थे वो अब मंत्री बन गए हैं. तो क्या पीएम का जेल का मतलब बीजेपी था. क्या वो भ्रष्टाचारियों को बीजेपी की वॉशिंग मशीन में डालकर चमकाने की बात कर रहे थे. और क्या अब बीजेपी की ये वॉशिंग मशीन बिहार में लगाई जाएगी. अगर ऐसा होगा तो क्या जनता बेदाग छवि वाले नीतीश को पीड़ित मानेगी या तथाकथित ईडी और सीबीआई के डर से उन्हें छोड़ने वाले नेताओं को.

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