दिल्ली की एक अदालत ने कांग्रेस नेता सोनिया गांधी Sonia Gandhi के खिलाफ कार्रवाई की मांग वाली याचिका खारिज कर दी है. याचिका में आरोप लगाया गया था कि उनका नाम भारतीय नागरिक बनने से तीन साल पहले मतदाता सूची में शामिल किया गया था.
याचिका में कांग्रेस संसदीय दल की अध्यक्ष पर भारतीय नागरिकता प्राप्त करने से पहले मतदाता सूची में नाम दर्ज कराने के लिए फर्जी दस्तावेज बनाने का आरोप लगाया गया था.
बुधवार को कोर्ट ने रखा था फैसला सुरक्षित
अतिरिक्त मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट (एसीजेएम) वैभव चौरसिया ने बुधवार को दलीलें सुनने और शिकायतकर्ता के वकील के समक्ष कुछ प्रश्न रखने के बाद मामले में फैसला सुरक्षित रख लिया.
याचिकाकर्ता के वकील ने तर्क दिया था कि 1980-81 में गांधी का नाम मतदाता सूची में शामिल करना अनियमित था, और कहा था कि उस समय वह भारतीय नागरिक नहीं थीं.
उन्होंने दलील दी कि “मतदाता के रूप में नामांकित होने की पहली शर्त” भारतीय नागरिकता होना और दूसरा निवास प्रमाण पत्र होना है.
एक बार मतदाता सूची ने नाम हटा फिर जोड़ा गया है Sonia Gandhi का नाम
याचिकाकर्ता की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता पवन नारंग ने तर्क दिया, “जनवरी 1980 में, वह भारत की नागरिक नहीं थीं. फिर उनका नाम मतदाता सूची में कैसे शामिल हो सकता है?”
नारंग ने आगे दलील दी कि गांधी का नाम 1982 में मतदाता सूची से हटा दिया गया था और 1983 में उनके भारतीय नागरिक बनने के बाद इसे फिर से जोड़ दिया गया था.
बहस के दौरान, नारंग ने राकेश सिंह बनाम सोनिया गांधी मामले में 1985 के इलाहाबाद उच्च न्यायालय के फैसले का भी हवाला दिया, जिसमें माना गया था कि कांग्रेस नेता 30 अप्रैल, 1983 को भारतीय नागरिक बन गई थीं.
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