मध्य प्रदेश में बीजेपी एक-एक विधानसभा सीट के लिए लड़ाई लड़ रही है. प्रदेश में कांग्रेस से सीधी टक्कर में चुनावी पोल बीजेपी को कांग्रेस से पीछे बता रहे है. ये ही वजह है कि बीजेपी मध्य प्रदेश में कोई चांस नहीं लेना चाहती.
कर्नाटक में प्रधानमंत्री की मौजूदगी और केंद्रीय मंत्रियों की पूरी ताकत लगाने के बाद भी मिली हार से सबक लेते हुए इस बार बीजेपी ने अपने दिग्गजों को मैदान में उतारने का फैसला किया है.
बीजेपी की दूसरी सूची है दमदार
सोमवार को इस साल के अंत में होने वाले मध्य प्रदेश विधानसभा चुनावों के लिए भारतीय जनता पार्टी ने अपने उम्मीदवारों की दूसरी लीस्ट जारी की. ये लिस्ट काफी भारी-भरकम और दमदार है. इसमें सात मौजूदा लोकसभा सांसदों के नाम शामिल है जिसमें से तीन केंद्रीय मंत्री हैं और एक राष्ट्रीय महासचिव.
39 नामों की दूसरी सूची में केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर, प्रह्लाद पटेल और फग्गन सिंह कुलस्ते का नाम है जो अब मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव लड़ेंगे, साथ ही सांसद राकेश सिंह (पूर्व राज्य भाजपा अध्यक्ष), गणेश सिंह, रीति पाठक और उदय प्रताप सिंह के अलावा महासचिव कैलाश विजयवर्गीय को भी चुनाव मैदान में उतारने का एलान किया गया है.
बीजेपी ने तोपों को तमंचा बना दिया- कांग्रेस
वहीं कांग्रेस ने बीजेपी की दूसरी सूची में 7 सांसदों के नाम शामिल होने पर तंज कसते हुए कहा कि बीजेपी इन बड़े नामों को मैदान में उतार कर प्रदेश में अपनी उपस्थिति को सम्मानजनक बनाना चाहती है. मध्यप्रदेश कांग्रेस कमेटी मीडिया विभाग के अध्यक्ष केके मिश्रा ने कहा कि बीजेपी की दूसरी लिस्ट प्रदेश में अपनी सम्मानजनक उपस्थिति दर्ज कराने के लिए निकाली गई है. उन्होंने बीजेपी पर तंज कसते हुए कहा कि बीजेपी ने कई तोपों को तमंचा बना दिया है.
मध्य प्रदेश में कमल पर भारी पड़ रहे है कमालनाथ ?
बीजेपी की दूसरी लिस्ट देखकर तो कांग्रेस के इस दावे पर भरोसा बढ़ गया है कि मध्य प्रदेश में कमल पर कमलनाथ भारी पड़ रहे है. कांग्रेस प्रदेश में आसान जीत का दावा कर रही है. उसका दावा इस बात पर भी टिका है कि पिछली बार 2018 में भी लोगों ने उसे ही वोट दिया था लेकिन बीजेपी ने चालाकी से उसकी सरकार चुरा ली.
इसके अलावा मामाजी यानी मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की सरकार के खिलाफ एंटी इंकम्बेंसी और भ्रष्टाचार के आरोप भी है जो बीजेपी की परेशानी बढ़ा रहे हैं.
कर्नाटक से अलग मध्य प्रदेश में कांग्रेस ने मुख्यमंत्री चेहरा भी दिया है, जबकि बीजेपी अपने ही मुख्यमंत्री को रिपीट करेगी या नहीं इसको लेकर अभी संशय बाकी है.
दिग्गजों के मैदान में उतारने से बीजेपी को क्या होगा फायदा?
बात अगर 7 सांसदों को मैदान में उतारने की करें तो, इस लिस्ट के जारी होने को बाद खुद पार्टी कार्यकर्ताओं का मानना है कि इससे पार्टी को अपने विधायकों के खिलाफ सत्ता विरोधी और थके हुए चेहरों से होने वाले नुकसान को खत्म करने में मदद मिलेगी. इसके अलावा बीजेपी कार्यकर्ताओं का ये भी मानना है कि इस कदम से सामूहिक नेतृत्व को भी मजबूती मिलेगी और जाति संतुलन की चिंताएं भी दूर हो जाएगी. इसके साथ ही अब विभिन्न समूहों का प्रतिनिधित्व भी बैलेंस हो जाएगा.”
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