दिल्ली : उत्तरप्रदेश में एक बार फिर से शहरों का नाम बदलने की कवायद शुरु हो गई है. इलाहाबाद-फैजाबाद के बाद अब अलीगढ़ Aligarh का नाम बदलने जा रहा है. अलीगढ़ Aligarh की पहचान अब ‘हरिगढ़’ के रुप में होगी. जी हां आपने ठीक सुना.

Aligarh नगर निगम में नाम बदलने का रखा गया प्रस्ताव
तालानगरी के नाम से अब तक अपनी पहचान रखने वाले अलीगढ़ Aligarh का नाम बदलने का प्रस्ताव पास हो गया है और जल्द ही इस शहर को हरिगढ़ नाम के नाम से जाना जायेगा. जिला पंचायत की मीटिंग में नाम बदलने के प्रस्ताव पर मुहर लग चुकी है.
अलीगढ़ के मेयर प्रशांत सिंघल के मुताबिक मंगलवार को एक बैठक में अलीगढ़ का नाम बदलकर हरिगढ़ करने का प्रस्ताव पेश किया गया, जिसका सभी पार्षदों ने सर्वसम्मति से समर्थन किया. मेयर प्रशांत सिंघल के मुताबिक अब इस प्रस्ताव को प्रशासन को भेजा जाएगा. उन्होने कहा कि मुझे उम्मीद है कि ऐतिहासिक महत्व के इस शहर के नाम को लेकर प्रशासन इस पर संज्ञान लेगा और अलीगढ़ का नाम बदलकर हरिगढ़ करने की हमारी मांग को पूरा करेगा.
Aligarh का नया नाम होगा हरिगढ़ !
मेयर प्रशांत सिंघल के मुताबिक शहर का नाम बदलने की मांग लंबे समय से की जा रही है. तालानगरी का नाम बदलने का ये प्रस्ताव बीजेपी पार्षद संजय पंडित के सुझाव पर पास किया गया है.हालांकि अलीगढ़ नगर निगम की इस बैठक में काफी हंगामा भी हुआ. हंगामें के बीच बीजेपी पार्षद ने जिले का नया नाम हरिगढ़ (Harigarh) रखने का प्रस्ताव दिया.
तालों की दुनिया में Aligarh की है खास पहचान
देश और यूपी की सियासत में इस जिले और शहर की अपनी अहमियत रही है. अलीगढ़ उत्तर प्रदेश का एक अहम व्यापारिक केंद्र है और अपने ताला उद्योग के लिए पूरी दुनिया में मशहूर है. अलीगढ़ के ताले दुनिया भर में निर्यात किये जाते हैं.

ऐतिहासिक महत्व का शहर है Aligarh
ताले तो हैं ही, इसके अलावा अलीगढ़ अपने पीतल के हार्डवेयर और मूर्तिकला के लिए भी खासा प्रसिद्ध है.अलीगढ़ देश का एक प्रमुख शैक्षिक केंद्र भी है. यहां 100 से अधिक स्कूल, कॉलेज और शैक्षणिक संस्थान हैं. जिनमें अलीगढ़ कॉलेज ऑफ इंजीनियरिंग एंड टेक्नोलॉजी, अलीगढ मुस्लिम यूनिवर्सिटी भी शामिल है.

1992 से शुरु हुई Aligarh को हरिगढ़ बनाने की मांग
वैसे तो अलीगढ़ का नाम बदले जाने की मांग काफी पुरानी है,विश्व हिन्दू परिषद (VHP) ने साल 2015 में अलीगढ़ में प्रस्ताव पास कर कहा था कि अलीगढ़ का प्राचीन नाम हरिगढ़ ही है. इसे बाद में अलीगढ़ कर दिया गया था, इसलिए अलीगढ़ को हरिगढ़ किया जाना चाहिए. उत्तर प्रदेश में कल्याण सिंह ने साल 1992 में मुख्यमंत्री रहते हुए इसका नाम हरिगढ़ करने कोशिश की थी, लेकिन उस वक्त केंद्र में कांग्रेस सरकार थी, इसलिए उनकी कोशिशें परवान नहीं चढ़ सकीं थी.
योगी सरकार ने बदले कई जिलों के नाम
इससे पहले भी योगी सरकार में कई जिलों के नाम बदले जा चुके हैं. 2019 में इलाहाबाद का नाम प्रयागराज और फैजाबाद का नाम बदलकर अयोध्या किया गया था. इसके साथ ही दो रेलवे स्टेशनों के नाम भी बदले गए हैं, जिनमें मुगलसराय रेलवे स्टेशन का नाम बदलकर पंडित दीनदयाल उपाध्याय जंक्शन और फिर मुगलसराय तहसील का नाम भी बदलकर पंडित दीनदयाल उपाध्याय कर दिया गया .झांसी रेलवे स्टेशन का नाम बदलकर वीरांगना लक्ष्मीबाई रेलवे स्टेशन रखा गया है.
सीएम योगी ने जनसभा में Aligarh को कहा था हरिगढ़
पिछले दिनों मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जब अलीगढ़ पहुंचे थे, तो उन्होंने भी इसे हरिगढ़ के नाम से संबोधित किया था. तभी से इस बात के कयास लगने शुरु हो गये थो कि सरकार जल्द ही इस शहर का नाम बदल सकती है. अब इस संबंध में प्रस्ताव पास होने के बाद ये लगभग तय है कि जल्द ही अलीगढ़ के नाम से अपनी पहचान बनाने वाले जिले का नाम बदलेगा, और अलीगढ़ हरिगढ़ बन जाएगा.
अभी बदलेंगे कई और शहरों के नाम, सूची तैयार
अलीगढ़ ही नहीं ताजनगरी आगरा का नाम भी जल्द बदला जा सकता है, हालांकि इसके लेकर पहले भी प्रयास किए गए थे . इस संदर्भ में शासन ने डॉक्टर भीम राव अंबेडकर विश्वविद्यालय से पूछा था कि क्यों न आगरा का नाम बदलकर अग्रवन कर दिया जाए. इस संबंध में इतिहास विभाग से साक्ष्य भी मांगे गए थे. आपको बता दें कि उत्तर प्रदेश में दूसरी बार योगी सरकार बनते ही कई जिलों और इलाकों के नाम बदले जाने के प्रस्ताव सरकार के पास आने लगा था। इनमें –
फर्रुखाबाद का नाम बदलकर पांचाल नगर किया जा सकता है.
सुल्तानपुर का नाम बदलकर कुशभवनपुर किया जा सकता है.
शाहजहांपुर का नाम बदलकर शाजीपुर किया जा सकता है.
फिरोजाबाद का नाम बदलकर चंद्रनगर किया जा सकता है
आगरा का नाम बदलकर अग्रवन किया जा सकता है.
मैनपुरी का नाम बदलकर मयानपुरी या मयन नगर किया जा सकता है.
गाजीपुर का नाम बदलकर गढ़ीपुरी किया जा सकता है.
कानपुर देहात के रसूलाबाद और सिकंदराबाद और अकबरपुर का नाम भी बदला जा सकता है.
संभल जिले का नाम बदलकर कल्किनगर या पृथ्वीराज नगर किया जा सकता है.
देवबंद का नाम बदलकर देववृंदपुर किया जा सकता है.
मुजफ्फरनगर का नाम लक्ष्मी नगर, उन्नाव जिले के मियागंज का नाम मायागंज और मिर्जापुर का नाम विंध्यधाम रखने का प्रस्ताव है.
लखनऊ बनेगा लक्ष्मणपुरी ?
इतना ही नहीं लखनऊ का नाम लक्ष्मणपुरी बदलने की भी चर्चा समय समय पर जोर पकड़ती दिखाई दी है . कुछ दिन पहले ही चौधरी चरण सिंह अंतरराष्ट्रीय एयरपोर्ट के बाहर लक्ष्मण की कांस्य की एक विशाल मूर्ति लगाई गई है. उस मूर्ति के वहां लगते ही इस पुरानी मांग ने जोर पकड़ लिया है.
बीजेपी सांसद ने लखनउ का नाम बदलने की कि मांग
बीजेपी सांसद संगम लाल गुप्ता ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, गृह मंत्री अमित शाह और सीएम आदित्यनाथ को एक चिट्ठी लिखी है.चिट्ठी में सांसद गुप्ता ने लिखा कि ऐसी मान्यता है कि भगवान राम ने लक्ष्मण को लखनऊ तोहफे के रूप में दिया था. तब से ही इस शहर लखनपुर या लक्ष्मणपुर था. लेकिन फिर 18वीं सदी में नवाब असफ उद दौला ने इस शहर का नाम बदल लखनऊ कर दिया. अब देश अमृत काल में पहुंच गया है,ऐसे में गुलामी के हर प्रतीक को पीछे छोड़ना होगा.
जामा मस्जिद स्टेशन का नाम मनकामेश्वर मंदिर स्टेशन
अभी बीते दिनों उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने आगरा और मथुरा का दौरा किया. आगरा में सीएम योगी ने फतेहाबाद स्थित ताज ईस्ट गेट के मेट्रो स्टेशन पर मेट्रो के हाई स्पीड ट्रायल रन का शुभारंभ किया. इस दौरान सीएम योगी जामा मस्जिद मेट्रो स्टेशन को लेकर बड़ा ऐलान किया. उन्होंने साफ कर दिया कि जामा मस्जिद मेट्रो स्टेशन का नाम मनकामेश्वर मंदिर स्टेशन होगा.
यूपी से एमपी और फिर दिल्ली में बदल सकते हैं नाम !
बता दें कि नाम बदलने की यह सियासत उत्तर प्रदेश से शुरू होकर मध्य प्रदेश तक पहुंची, जहां पर हबीबगंज रेलवे स्टेशन का नाम बदलकर रानी कमलापति रेलवे स्टेशन कर दिया गया है. इसके अलावा दिल्ली में अकबर रोड, बाबर लेन, हुमायूं रोड आदि का नाम बदले जाने और साथ ही 40 गांवों का नाम बदले जाने की मांग भी दिल्ली बीजेपी के अध्यक्ष आदेश गुप्ता कर चुके हैं.
ध्रुवीकरण के लिए चल रही है नाम बदलने की कवायद- सपा
हालांकि मुस्लिम उच्चारित होने वाले शहरों या जिलों के नाम बदलने की कवायद पर विरोध भी खूब हो रहा है.समाजवादी पार्टी की तरफ से दलील दी गई कि नाम बदलना हिन्दू मुस्लिम ध्रुवीकरण की सीधी कोशिश है. पार्टी इस संबंध में आपत्ति दर्ज कराएगी. हालांकि लोगों को इससे हैरान नहीं होना चाहिए क्योंकि यह उनका एजेंडा है. उनके एजेंडे में गरीबों, वंचितों और बेरोजगारों के भविष्य के लिए कोई योजना नहीं है. कांग्रेस ने नाम बदलने की कवायद को पैसे की बर्बादी करार दिया. पार्टी की तरफ से कहा गया कि सरकार इससे क्या हासिल करेगी ?
कुल मिला कर जिन शहरों, जिलों की सालों से अलग पहचान थी, दुनिया उन्हें जिस नाम से जानती थी , नाम बदलने की जुगत से सरकारों को क्या मिलेगा इसका जवाब तो सियासतदान जानें लेकिन किसी का नाम अगर उसकी पहचान है और वो बदल दी जाए तो इसका क्या असर होगा ये हर कोई भली भांती जानता है .
दिल्ली से प्रीति कुमार की स्पेशल रिपोर्ट