पटना: 2024 लोकसभा चुनाव को देखते हुए राजनीतिक बिसात बिछाई जा रही है. कही गठजोड़ की खबर है तो कही किसी के बिछड़ने की. कहीं नेताओं से मुलाकात कर उन्हें अपने खेमे में लिए जा रहा है. तो कहीं सार्वजनिक भाषण में साफ सन्देश दिया जा रहा है कि अब वो दोस्ती भाईचारा नहीं रहा. अब अकेले चुनाव लड़ा जाएगा. वैसे 2024 के चुनाव को देखते हुए इस वक्त देश की बड़ी बड़ी पार्टियों की नज़र बिहार और बिहार के बड़े बड़े धुरंधर नेताओं पर है. एक तरफ जहाँ बिहार के सीएम नीतीश कुमार (Nitish Kumar) जहां देश के विपक्षी दलों को एकजुट करने के लिए दिल्ली के दौरे पर हैं. जिसमें वो विपक्षी पार्टियों को एकजुट कर बीजेपी के खिलाफ एलान जंग का आगाज़ कर रहे हैं.
वहीं दूसरी तरफ बीजेपी भी राजनीती के मैदान में अपने मोहरे चल कर अपने प्रतिद्वंदियों को कड़ा जवाब दे रहे हैं. इसी कड़ी में बिहार से नीतीश कुमार के सहयोगी और हिंदुस्तानी आवाम मोर्चा (हम) के संरक्षक जीतन राम मांझी (Jitan Ram Manjhi) गुरुवार को केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह(Amit Shah) से मिलने जा रहे हैं. अब इस मुलाक़ात को लेकर राजनीति का पारा फिर गरमाता दिख रहा है.
दरअसल जीतन राम मांझी के कार्यालय ने दावा किया कि बैठक का मकसद राजनीतिक नहीं है. वह माउंटेन मैन दशरथ मांझी, बिहार के पहले सीएम श्रीकृष्ण सिंह और कर्पूरी ठाकुर को भारत रत्न देने की मांग को लेकर अमित शाह से मिलने दिल्ली आये हैं.
जीतन राम मांझी गया से एक प्रतिनिधिमंडल के साथ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मिलने दिल्ली गए. पीएमओ ने उन्हें अमित शाह से मिलने के लिए कहा था. चूंकि अमित शाह उस समय पूर्वोत्तर राज्यों के दौरे पर थे, जिसके बाद मांझी प्रतिनिधिमंडल के साथ पटना लौट आए. प्रधानमंत्री से मिलने के लिए पहले दशरथ मांझी की तरह 22 लोगों का प्रतिनिधिमंडल गया से दिल्ली तक पहुंचा था. लेकिन राजनीति के जानकारों का मानना है कि यहाँ दाल में कुछ काला है.
वैसे तो जीतन राम मांझी को बिहार में नीतीश कुमार का सबसे करीबी सहयोगी बताया जाता है. ऐसे में जब नीतीश कुमार ने 12 अप्रैल 2023 को कांग्रेस के बड़े नेता राहुल गांधी, मल्लिकार्जुन खड़गे से मिलने पहुँचे तो ऐसे में सूत्रों ने कहा कि अमित शाह के कार्यालय ने जीतन राम मांझी को मिलने के लिए आमंत्रित किया था. अब मांझी के दिल्ली में अमित शाह से मुलाकात को लेकर तरह तरह के अटकले लगाई जा रही है.
ये तो सब जानते हैं कि बीजेपी की नज़र सिर्फ 2024 के लोकसभा चुनाव पर ही नहीं बल्कि 2025 के विधानसभा चुनाव पर भी है. ऐसे में अपनी जीत को और पुख्ता करने के लिए बीजेपी बिहार में नीतीश कुमार और तेजस्वी यादव को चुनौती देने के लिए एक मजबूत गठबंधन सहयोगी चाहती है. तो ऐसे में जीतन राम मांझी का अमित शाह से मिलना उसी रणनीति का हिस्सा माना जा रहा है. अगर जीतन राम मांझी महागठबंधन से एनडीए की ओर जाते हैं, तो यह नीतीश कुमार के विपक्षी एकता आंदोलन के लिए एक बड़ा झटका साबित हो सकता है. जीतन राम मांझी ने हालांकि कई मौकों पर दावा किया कि वह अपने जीवन में नीतीश कुमार का साथ नहीं छोड़ेंगे. नीतीश कुमार ने उन्हें बिहार का मुख्यमंत्री बनाया था और मांझी इसे नहीं भूल सकते.
वहीँ जीतन राम मांझी की विचारधारा बीजेपी की हिंदुत्व वाली राजनीति से काफी अलग है. तो ऐसे में ये होना भी कही न कही मुश्किल है. लेकिन जैसे कि हमेशा से देखा गया राजनीती में कुछ भी संभव है. तो देखना होगा आज की ये मांझी शाह की मुलाकात क्या रंग लाती है.