Medha Patkar : नर्मदा बचाओ आंदोलन की कर्ताधर्ता समाजिक कार्यकर्ता मेधा पाटकर की गिरफ्तारी पर रोक लगा दी गई है. मानहानि के मामले में दोषी करार 70 साल की मेधा पाटकर की गिरफ्तारी के खिलाफ दाखिल याचिका पर शुक्रवार को दिल्ली हाईकोर्ट में सुनवाई हुई, जिसमें अदालत ने उनकी गिरफ्तारी पर 20 मई 2025 तक रोक लगा दिया है. हाईकोर्ट ने मेधा पाटकर को 25 हजार का बांड भरने का निर्देश दिया है.
Medha Patkar को किस केस में हुई सजा ?
मेधा पाटकर के खिलाफ ये मामला साल 2000 का है, जब उन्होंने नर्मदा बचाओ आंदोलन के दौरान एक प्रेस कांफ्रेस में 24 नवंबर 2000 को वीके सक्सेना (वर्तमान में दिल्ली के उपराजपाल ) के खिलाफ एक बयान दिया था. वीके सक्सेना उस समय अहमदाबाद के एक गैर सरकारी संस्था ‘काउंसिल फॉर सिविल लिबर्टीज’ के प्रमुख थे. मेधा पाटकर ने प्रेस कांफ्रेंस के दौरान उन्हें कायर कहकर संबोधित किया था. पाटकर के इस बयान के बाद वीके सक्सेना ने उनके खिलाफ मानहानि का केस किया.वीके सक्सेना ने दावा किया कि मेधा पाटकर ने उनके उपर हवाला लेन-देन में भी शामिल होने का आरोप लगाया था. सक्सेना ने दावा किया कि मेधा पाटकर ने उनपर ये आरोप इसलिए लगाया,ताकि लोगों में उनके प्रति गलत धारणा बने . इस मामले में पिछले 24 साल से केस चल रहा था.
अदालत की अवमानना के मान जारी हुआ था अरेस्ट वारंट
इस मामले में अदालत ने उन्हें 1 जुलाई 2024 को पांच महीने के साधारण कारावास की सजा सुनाई थी. इसी मामले में उन्हें 23 अप्रैल को दिल्ली की अदलत में पेश होने का आदेश दिया गया था लेकिन पाटकर अदालत में पेश नहीं हुई.पाटकर की तरफ से कोर्ट को कहा गया कि हाईकोर्ट के आदेश के कारण वो अदालत में पेश होने में सक्षम नहीं है. वहीं दिल्ली की अदालत ने इसे अदालत के आदेश की अवमानना मानते हुए गिरफ्तारी का आदेश दे दिया था और शुक्रवार सुबह दिल्ली पुलिस ने 70 साल की मेधा पाटकर को गिरफ्तार कर लिया था. अपनी गिरफ्तारी के बाद मेधा पाटकर ने फिर से अदालत का रुख किया . हाईकोर्ट में पाटकर की याचिका पर सुनवाई के बाद अदालत ने 20 मई तक उनकी गिरफ्तारी पर रोक लगा दिया है.