Madhabi Butch FIR : सेबी (SEBI) की पूर्व प्रमुख माधबी पुरी बुच (Madhabi Puri Butch) और पांच अन्य लोगों के खिलाफ FIR दर्ज करने के आदेश दिये गये हैं. ये आदेश मुंबई की अदालत ने एंटी-करप्शन ब्यूरो (ACB) को दिया है. अदालत का ये आदेश शेयर बाजार में कथित तौर पर हुए नियामकों के उल्लंघन और धोखाधड़ी के आरोप के मामले में दिया गया है. माधबी पुरी बुच ने हाल ही में बतौर सेबी (SEBI) चेयरपर्सन अपना कार्यकाल पूरा किया है. माधवी पुरी बुच के स्थान पर अब तुहिन कांत पांडे सेबी के चेयरमैन बनाये गये हैं.
Madhabi Butch FIR : अदालत ने आदेश में क्या कहा ?
स्पेशल ACB कोर्ट के जस्टिस शशिकांत एकनाथराव बांगर ने इस मामले में शनिवार को ही आदेश पारित किया था, जिसमें कहा गया है कि ‘प्रथम दृष्टया सेबी की चूक और मिलीभगत के सबूत हैं. इसलिए इसकी निष्पक्ष जांच की आवश्यकता है. कोर्ट ने कहा कि वह जो जांच होगी कोर्ट उसकी निगरानी करेगी. ACB कोर्ट ने 30 दिन के भीतर मामले में जांच की स्टेटस रिपोर्ट मांगी है. शनिवार को आये कोर्ट के आदेश में ये भी कहा गया कि जो आरोप लगाये गये हैं वो एक संज्ञेय अपराध का खुलासा करते हैं. कानूनी एजेंसियों और भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (SEBI) के द्वारा जान बूझकर उदासीनता/निष्क्रियता के कारण आपराधिक धाराओं ( सीआरपीसी) के तहत कानूनी हस्तक्षेप की आवश्यकता होती है.
मीडियाकर्मी की शिकायत पर शुरु हुई जांच
मामला 2022 का है जब शेयर बाजार में हुए घोटालों को लेकर एक मीडियाकर्मी के द्वारा शिकायत दर्ज कराई गई और कथित अपराधों की जांच की मांग की थी. अदालत में दायर याचिका में आरोप लगाया गया था कि सेबी (SEBI) की चेयरपर्सन माधबी बुच समेत अन्य कई बड़े अधिकारियों की घोटाले में मिली भगत है और यहां से बड़े पैमाने पर धोखाधड़ी, नियामकों का उल्लंघन और भ्रष्टाचार किए गये हैं.
माधवी बुच पर क्या हैं आरोप ?
सेबी चेयरपर्सन के खिलाफ दर्ज शिकायत में ये दावा किया गया था कि बतौर अधिकारी माधवी बुच वैधानिक कर्तव्य के पालन में विफल रही हैं और बाजार में हेराफेरी करने की सुविधा भी दी. सेबी की तरफ से उस कंपनी को शेयर बाजार में लिस्टिंग की अनुमति दी गई जो निर्धारित मानदंडों को भी पूरा नहीं करती थी. .शिकायतकर्ता ने दावा किया था कि मामले में कई बार पुलिस और रेगुलेटरी बोर्ड से संपर्क करने के बावजूद कोई कार्रवाई नहीं हुई.
अब इस मामले में तीन साल बाद मुंबई की अदालत ने सेबी चेयरपर्सन के पद से हटने के बाद एंटी करप्शन ब्यूरो वर्ली को भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम, सेबी अधिनियम और अन्य कानूनी प्रावधानों के तहत तहत एफआईआर दर्ज करने के निर्देश दिये हैं.
माधवी बुच ने बीते शुक्रवार को भारत की पहली महिला सेबी प्रमुख के तौर पर अपने तीन साल का कार्यकाल पूरा किया है. उनके पद पर बने रहने के दौरान ही बड़े बड़े आरोप लगे. अमेरिका की शॉर्ट-सेलर रिसर्च हिंडनबर्ग ने अडानी ग्रुप के साथ माधवी बुच की संलिप्तता को उजागर किया था. हिंडनबर्ग में आई रिपोर्ट के बाद से सेबी चेयरपर्सन को हितों के साथ टकराव के आरोपों का सामना करना पड़ा था.
SEBI ने कोर्ट के आदेश पर दी प्रतिक्रिया
मुंबई एसीबी कोर्ट के इस आदेश पर सेबी की प्रतिक्रिया भी सामने आई है. SEBI ने एक प्रेस नोट जारी करते हुए कहा- ‘वह इस आदेश को चुनौती देने के लिए उचित कानूनी कदम उठाएगा. सेबी सभी मामलों में उचित विनियामक का अनुपालन सुनिश्चित करने के लिए प्रतिबद्ध है.’