244 जिलों में पुलिस बलों और अधिकारियों ने “नए और जटिल खतरों” के मद्देनजर 7 मई को केंद्रीय गृह मंत्रालय द्वारा आदेशित नागरिक सुरक्षा मॉक ड्रिल Mock drill की तैयारी शुरू कर दी है. श्रीनगर में डल झील और उत्तर प्रदेश के लखनऊ जैसे कई स्थानों पर भी रिहर्सल आयोजित की गई.
केंद्रीय गृह सचिव गोविंद मोहन ने मॉक अभ्यास की तैयारियों और “शत्रुतापूर्ण हमले” की स्थिति में नागरिक सुरक्षा तंत्र को मजबूत करने की समीक्षा की. वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के ज़रिए बैठक में देश भर के मुख्य सचिवों और नागरिक सुरक्षा प्रमुखों ने हिस्सा लिया।
Mock drill के दौरान 7 मई को क्या होने की उम्मीद करें?
इस अभ्यास में जिला नियंत्रकों, स्थानीय अधिकारियों, नागरिक सुरक्षा वार्डन, स्वयंसेवकों, होमगार्ड (सक्रिय और रिजर्व दोनों), राष्ट्रीय कैडेट कोर (एनसीसी), राष्ट्रीय सेवा योजना (एनएसएस), नेहरू युवा केंद्र संगठन (एनवाईकेएस) के सदस्यों और कॉलेज और स्कूल के छात्रों की सक्रिय भागीदारी की उम्मीद है.
गृह मंत्रालय के पत्र में कहा गया है, “अभ्यास का आयोजन गांव स्तर तक योजनाबद्ध है. इस अभ्यास का उद्देश्य सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में नागरिक सुरक्षा तंत्र की तत्परता का आकलन करना और उसे बढ़ाना है.”
इसका समग्र उद्देश्य राष्ट्रीय आपातकाल की स्थिति में नागरिक तत्परता का परीक्षण करना है, न कि आसन्न संघर्ष के तत्काल संकेत का. 2 मई को मंत्रालय द्वारा जारी एक संचार के अनुसार, यह अभ्यास नागरिक सुरक्षा नियम, 1968 के तहत आयोजित किया जाता है.
कुछ जिलों में नागरिकों को अस्थायी ब्लैकआउट, मोबाइल सिग्नल का निलंबन या यातायात डायवर्जन का सामना करना पड़ सकता है.
स्थानीय प्रशासन अभ्यास का समय तय करेगा
स्थानीय प्रशासन सार्वजनिक घोषणाओं के बाद निकासी अभ्यास भी कर सकता है और अपनी प्रतिक्रिया की प्रभावशीलता का परीक्षण कर सकता है.
कुछ जिलों में पुलिस और अर्धसैनिक बल युद्ध जैसी आपात स्थिति का अनुकरण कर सकते हैं. हवाई हमले की चेतावनी देने वाली प्रणाली भी बज सकती है, क्योंकि इस अभ्यास का उद्देश्य इसकी प्रभावशीलता का परीक्षण करना है. जिला नियंत्रण कक्षों और छाया नियंत्रण कक्षों के उचित कामकाज का भी परीक्षण किया जाएगा.
उत्तर प्रदेश के डीजीपी प्रशांत कुमार ने कहा कि स्थानीय प्रशासन अभ्यास का समय तय करेगा.
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