Wednesday, April 30, 2025

Ajmer Sharif Dargah: शिव मंदिर विवाद के बीच प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी दरगाह पर भेजेंगे चादर

Ajmer Sharif Dargah: हर साल की तरह इस साल भी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की ओर से अजमेर शरीफ दरगाह को चादर भेजी जाएंगी. शिव मंदिर विवाद के बीच प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अपनी वार्षिक परंपरा को जारी रखते हुए गुरुवार को अजमेर शरीफ दरगाह पर एक औपचारिक चादर भेजने वाले हैं.

किरेन रिजिजू लेकर जाएंगे Ajmer Sharif Dargah पर चादर

शाम छह बजे केंद्रीय अल्पसंख्यक मामलों के मंत्री किरेन रिजिजू और भाजपा अल्पसंख्यक मोर्चा के अध्यक्ष जमाल सिद्दीकी को चादर सौंपी जाएगी, जो इसे ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती के उर्स के दौरान दरगाह पर चढ़ाएंगे.
प्रधानमंत्री बनने के बाद से नरेंद्र मोदी ने अजमेर शरीफ दरगाह पर 10 बार चादर चढ़ाई है. इस साल वे इस परंपरा में 11वीं बार शामिल होंगे. पिछले साल 812वें उर्स के दौरान तत्कालीन केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी और जमाल सिद्दीकी के साथ मुस्लिम समुदाय का प्रतिनिधित्व करने वाले प्रतिनिधिमंडल ने उनकी ओर से चादर चढ़ाई थी.

दरगाह के शिव मंदिर होने को लेकर दायर की गई है याचिका

यह कदम राजस्थान की एक अदालत द्वारा हिंदू सेना की याचिका स्वीकार किए जाने के एक महीने बाद उठाया गया है, जिसमें दावा किया गया था कि राजस्थान में स्थित अजमेर शरीफ दरगाह वास्तव में भगवान शिव का मंदिर है.
अजमेर शरीफ दरगाह पिछले साल विवाद का विषय बन गई थी, जब 27 नवंबर को अजमेर की एक स्थानीय अदालत ने एक सिविल मुकदमे में तीन पक्षों को नोटिस जारी करने का आदेश दिया था, जिसमें दावा किया गया था कि मोइनुद्दीन चिश्ती की दरगाह के भीतर एक शिव मंदिर मौजूद है, जैसा कि वादी के वकील ने बताया. 20 दिसंबर को, अजमेर शरीफ दरगाह समिति ने अजमेर में मुंसिफ कोर्ट में 5-पृष्ठ का आवेदन दायर किया, जिसमें अजमेर दरगाह के नीचे एक मंदिर के अस्तित्व का आरोप लगाने वाली याचिका को खारिज करने का आग्रह किया गया. अगली सुनवाई 24 जनवरी को निर्धारित की गई है.

क्या है चादर चढ़ाने की परंपरा

उर्स के दौरान चादर चढ़ाना पूजा का एक शक्तिशाली रूप माना जाता है, ऐसा माना जाता है कि इससे आशीर्वाद मिलता है और मन्नतें पूरी होती हैं.
भारत में सबसे प्रतिष्ठित सूफी तीर्थस्थलों में से एक अजमेर शरीफ दरगाह में हर साल उर्स के दौरान लाखों श्रद्धालु आते हैं. यह आयोजन ख्वाजा मोइनुद्दीन हसन चिश्ती की पुण्यतिथि के अवसर पर मनाया जाता है.
हज़रत ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती का 813वां उर्स 28 दिसंबर 2024 को शुरू हुआ और इसे बड़ी श्रद्धा के साथ मनाया जा रहा है. पूरे भारत और विदेशों से श्रद्धालु यहां श्रद्धा प्रकट करने और आशीर्वाद लेने के लिए आते हैं.

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