Monday, July 14, 2025

उपराष्ट्रपति धनखड़ की ‘सुपर संसद’ टिप्पणी पर बोले Kapil Sibal- ‘अगर संसद कोई विधेयक पारित कर देती है, तो क्या राष्ट्रपति उसको लटका सकते हैं?…’

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शुक्रवार को राज्यसभा सांसद कपिल सिब्बल Kapil Sibal ने तमिलनाडु के राज्यपाल आरएन रवि द्वारा विधेयकों को मंजूरी न देने के संबंध में सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर जगदीप धनखड़ की टिप्पणी की आलोचना करते हुए कहा कि उपराष्ट्रपति को पता होना चाहिए कि राज्यपाल और राष्ट्रपति मंत्रिपरिषद की ‘सहायता और सलाह’ पर कार्य करते हैं.
यह बयान ऐसे समय में आया है जब धनखड़ ने शीर्ष अदालत पर निशाना साधते हुए कहा कि वह ‘सुपर संसद’ नहीं बन सकती और भारत के राष्ट्रपति को निर्देश देना शुरू नहीं कर सकती.

“विधानसभा की सर्वोच्चता में दखलंदाजी”-Kapil Sibal

कपिल सिब्बल ने कहा कि राज्यपाल द्वारा विधेयकों को रोकना वास्तव में “विधानसभा की सर्वोच्चता में दखलंदाजी” है. “यह धनखड़ जी (उपराष्ट्रपति) को पता होना चाहिए, वे पूछते हैं कि राष्ट्रपति की शक्तियों में कटौती कैसे की जा सकती है, लेकिन शक्तियों में कटौती कौन कर रहा है? मेरा कहना है कि एक मंत्री को राज्यपाल के पास जाना चाहिए और दो साल तक वहाँ रहना चाहिए, ताकि वे सार्वजनिक महत्व के मुद्दे उठा सकें, क्या राज्यपाल उन्हें अनदेखा कर पाएंगे?” एएनआई ने सिब्बल के हवाले से कहा.

क्या राष्ट्रपति संसद से पारित विधेयक को अनिश्चित काल के रोक सकते है-सिब्बल

सिब्बल, जो सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन के अध्यक्ष भी हैं, ने पूछा कि क्या राष्ट्रपति संसद द्वारा पारित विधेयक के कार्यान्वयन को अनिश्चित काल के लिए स्थगित कर सकते हैं.
उन्होंने पूछा, “यह वास्तव में विधायिका की सर्वोच्चता में दखलंदाजी है, यह तो उल्टी बात है. अगर संसद कोई विधेयक पारित कर देती है, तो क्या राष्ट्रपति इसके क्रियान्वयन में अनिश्चित काल के लिए देरी कर सकते हैं? अगर इस पर हस्ताक्षर नहीं भी किए गए, तो क्या किसी को इस बारे में बात करने का अधिकार नहीं है?”

उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने कब और क्या कहा था

उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने गुरुवार को एक कार्यक्रम के दौरान राज्यसभा के प्रशिक्षुओं को संबोधित करते हुए सुप्रीम कोर्ट के हालिया फैसले पर जमकर निशाना साधा. उन्होंने कहा कि कुछ न्यायाधीश ‘कानून बना रहे हैं’, ‘कार्यकारी कार्य’ कर रहे हैं और ‘सुपर संसद’ की तरह काम कर रहे हैं.
उन्होंने कहा, “हाल ही में आए एक फैसले में राष्ट्रपति को निर्देश दिया गया है. हम कहां जा रहे हैं? देश में क्या हो रहा है? हमें बेहद संवेदनशील होना होगा. यह कोई समीक्षा दाखिल करने या न करने का सवाल नहीं है. हमने इस दिन के लिए लोकतंत्र की कभी उम्मीद नहीं की थी.”
धनखड़ ने आगे कहा कि संविधान सर्वोच्च न्यायालय को कानून की व्याख्या करने की शक्ति देता है, लेकिन उस पीठ के लिए पांच न्यायाधीशों की आवश्यकता होगी.

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