Justice Yashwant Varma case: शुक्रवार को कांग्रेस ने दिल्ली उच्च न्यायालय के न्यायाधीश के घर से नकदी बरामद होने के मामले में उनका तबादला करने के उच्चतम न्यायालय के फैसले पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा कि महज तबादला कर मामले को शांत नहीं किया जा सकता.
कांग्रेस के मीडिया एवं प्रचार विभाग के प्रमुख पवन खेड़ा ने कहा कि न्यायमूर्ति यशवंत वर्मा के आवास से इतनी बड़ी मात्रा में नकदी बरामद होना बेहद गंभीर मामला है.
यह पैसा किसका है और यह न्यायाधीश को क्यों दिया गया- कांग्रेस
खेड़ा ने कहा, “न्यायमूर्ति वर्मा उन्नाव बलात्कार मामले और कई अन्य गंभीर मामलों की सुनवाई कर रहे थे. न्यायपालिका में देश का विश्वास बनाए रखने के लिए यह पता लगाना महत्वपूर्ण है कि यह पैसा किसका है और यह न्यायाधीश को क्यों दिया गया.” उन्होंने भाजपा के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार पर भी कटाक्ष करते हुए कहा कि प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) और केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) जैसी जांच एजेंसियों की तुलना में फायर ब्रिगेड बेहतर काम कर रही है.
ईडी और सीबीआई की तुलना में फायर ब्रिगेड बेहतर काम कर रही है-कांग्रेस
उन्होंने कहा, “न्याय की देवी की आंखों से पट्टी हटाते हुए एक पूर्व सीजेआई ने कहा था कि कानून अंधा नहीं है, वह सबको समान रूप से देखता है. इस मामले में भी यह साबित होना चाहिए. वैसे, ईडी और सीबीआई की तुलना में फायर ब्रिगेड बेहतर काम कर रही है.”
14 मार्च की रात जस्टिस वर्मा आग बुझाने पहुंची फायर ब्रिगेड को मिली नकदी
मामले से अवगत लोगों के अनुसार, 14 मार्च की रात जस्टिस वर्मा के आवास पर आग लगने के बाद नकदी बरामद हुई थी.
न्यायमूर्ति वर्मा और उनकी पत्नी भोपाल में थे, जब उनकी बेटी और कर्मचारियों ने अग्निशमन कार्यालय को फोन किया. जब अग्निशमन दल और पुलिस घटनास्थल पर पहुँची, तो उन्हें कथित तौर पर उनके आउटहाउस में नकदी का एक बड़ा ढेर मिला. इस घटना ने न्यायिक गलियारों में सनसनी फैला दी, जिसके बाद सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम को हस्तक्षेप करना पड़ा.
Justice Yashwant Varma case: कॉलेजियम ने क्या कहा
गुरुवार को कॉलेजियम की बैठक के दौरान न्यायमूर्ति वर्मा को वापस इलाहाबाद उच्च न्यायालय में स्थानांतरित करने का सर्वसम्मति से निर्णय लिया गया.
हालांकि, कुछ कॉलेजियम सदस्यों ने भारत के मुख्य न्यायाधीश (सीजेआई) संजीव खन्ना से अनुरोध किया कि वे स्थानांतरण से आगे बढ़कर न्यायमूर्ति यशवंत वर्मा के खिलाफ आंतरिक जांच शुरू करें.
हिंदुस्तान टाइम्स की रिपोर्ट के अनुसार, दो न्यायाधीशों ने तर्क दिया कि केवल स्थानांतरण ही “वास्तविक समाधान” नहीं है और न्यायपालिका में जनता का विश्वास बनाए रखने के लिए मजबूत कदम उठाने की आवश्यकता है. एक कॉलेजियम सदस्य ने जोर देकर कहा कि न्यायमूर्ति वर्मा को तुरंत न्यायिक कार्य से हटा दिया जाना चाहिए. एक अन्य न्यायाधीश ने आंतरिक जांच की वकालत करते हुए इस बात पर जोर दिया कि इस तरह की गंभीर घटना के लिए संस्थागत जवाबदेही की आवश्यकता है.
इस बीच, एक मीडिया रिपोर्ट ने अज्ञात स्रोतों का हवाला देते हुए दावा किया कि कॉलेजियम ने दिल्ली उच्च न्यायालय के न्यायमूर्ति यशवंत वर्मा के खिलाफ आंतरिक जांच शुरू कर दी है.
स्थानांतरण तो बस शुरुआत है-सीजेआई
उधर घटनाक्रम से अवगत लोगों के अनुसार, भारत के मुख्य न्यायाधीश (सीजेआई) संजीव खन्ना ने शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट के सभी न्यायाधीशों को आश्वासन दिया कि दिल्ली उच्च न्यायालय के न्यायाधीश यशवंत वर्मा का स्थानांतरण “केवल शुरुआत” है और यदि आवश्यक हुआ तो वह इस मामले में “अधिक गंभीर कदम” उठाने के लिए तैयार हैं.
सीजेआई ने शुक्रवार की सुबह सुप्रीम कोर्ट के जजों के साथ चाय पर अनौपचारिक बैठक के दौरान यह बात कही, जहां उन्होंने उन घटनाओं के अनुक्रम का विस्तृत विवरण दिया, जिसके कारण कॉलेजियम ने एक दिन पहले जस्टिस वर्मा को इलाहाबाद उच्च न्यायालय में वापस भेजने का फैसला किया. यह तबादला जज के दिल्ली स्थित आधिकारिक आवास पर बड़ी मात्रा में नकदी मिलने के बाद हुआ.

