Sambhal की शाही जामा मस्जिद एक बार फिर सुर्खियों में है. इस बार चर्चा का विषय है भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) द्वारा भेजे गए एक नए साइनबोर्ड. जिसमें मस्जिद को उसके सामान्य नाम “शाही जामा मस्जिद” के बजाय “जुमा मस्जिद” लिखा गया है.
नीले रंग का एएसआई बोर्ड, जो वर्तमान में सत्यव्रत पुलिस चौकी पर रखा हुआ है. जल्द ही इसको पुराने बोर्ड की जगह स्थापित किए जाने की उम्मीद है. जिसपर “शाही जामा मस्जिद” लिखा हुआ था.
एएसआई के दस्तावेज़ों में लिखा है जुमा मस्जिद- एएसआई के वकील
एएसआई के वकील विष्णु शर्मा ने पीटीआई को बताया, “मस्जिद के बाहर पहले एएसआई का एक बोर्ड लगाया गया था, लेकिन कथित तौर पर कुछ लोगों ने इसे हटा दिया और इसकी जगह ‘शाही जामा मस्जिद’ का बोर्ड लगा दिया. नया बोर्ड एएसआई के दस्तावेजों में दर्ज नाम ‘जुमा मस्जिद’ के अनुसार जारी किया गया है.” शर्मा ने कहा कि मस्जिद परिसर के अंदर पहले से ही इसी नाम का एक नीला एएसआई बोर्ड मौजूद है. एएसआई ने अभी तक नए साइनबोर्ड की स्थापना के समय के बारे में कुछ नहीं कहा है.
Sambhal मस्जिद के नीचे मंदिर होने को लेकर है विवाद
मुगलकालीन मस्जिद एक याचिका के बाद एक बड़े विवाद के केंद्र में रही है, जिसमें दावा किया गया है कि यह एक प्राचीन हिंदू मंदिर का स्थल था.
पिछले साल 24 नवंबर को संभल के कोट गर्वी इलाके में मुगलकालीन मस्जिद के सर्वेक्षण के दौरान हिंसा भड़क उठी थी, जिसमें चार लोगों की मौत हो गई थी, जबकि कई अन्य घायल हो गए थे.
दरअसल हिंदु पक्ष की तरफ से दावा किया गया था कि संभल का शाही जामा मस्जिद एक हिंदु मंदिर हरिहर नाथ पर बना है. इस विवाद के बाद कोर्ट ने यहां पर सर्वे कराने का आदेश दिया था. सर्वे की लिए टीम पहुंची लेकिन विवाद तब हुआ जब 24 नवंबर को बिना किसी पूर्व सूचना के लिए सर्ने टीम के दोबारा मस्जिद पहुंची जिसे देखकर स्थानिय लोग भड़क गए और मामला इतना बड़ा की हिंसा भड़क उठी, जिसमें दोनों समुदाय के बीच जमकर संघर्ष हुआ जिसमें 4 लोगों की जान चली गई थी.
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