सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को टिप्पणी की कि किसी सांसद को निलंबित करने से उसके द्वारा प्रतिनिधित्व किए जा रहे मतदाताओं के अधिकार पर “गंभीर असर” पड़ता है.
सोमवार को सीजेआई डी.वाई. की अध्यक्षता वाली पीठ चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति जे.बी. पारदीवाला और न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा की खंडपीठ आम आदमी पार्टी (आप) नेता राघव चड्ढा के राज्यसभा से उनके निलंबन के खिलाफ दायर याचिका पर सुनवाई कर रही थी.
चड्ढा को इस साल अगस्त में पांच राज्यसभा सांसदों का चयन समिति में नाम शामिल करने से पहले उनकी सहमति नहीं लेने के आरोप में निलंबित कर दिया गया था.
पीठ ने कहा कि चड्ढा के खिलाफ लगाए गए आरोपों में उन सदस्यों के फर्जी हस्ताक्षर शामिल नहीं हैं – जिन्होंने संसदीय पैनल में अपने नाम शामिल करने के लिए सहमति नहीं दी थी. शीर्ष अदालत इस मामले पर तीन नवंबर को सुनवाई जारी रखेगी.
क्या चड्ढा का जुर्म सदन में बाधा डालने वालों से बड़ा है- सीजेआई चंद्रचूड़
सुनवाई के दौरान पीठ ने पूछा कि क्या चड्ढा की कार्रवाई संसदीय विशेषाधिकार का उल्लंघन होगी. सीजेआई चंद्रचूड़ ने कहा कि सदन के नियमों के अनुसार, चयन समिति के सदस्यों के रूप में नियुक्ति के चरण में सदस्यों की सहमति आवश्यक है. यह बताते हुए कि चड्ढा के खिलाफ एकमात्र आरोप यह है कि उन्होंने सदस्यों को चयन समिति में शामिल करने का प्रस्ताव देने से पहले उनकी इच्छा को सत्यापित नहीं किया था, सीजेआई ने पूछा कि क्या यह अनिश्चितकालीन निलंबन का उल्लंघन हो सकता है. सीजेआई ने बताया कि सदन में बाधा डालने वाले सदस्य को केवल शेष सत्र के लिए निलंबित किया जाता है.
पहले कोर्ट में क्या हुआ था
इससे पहले 16 अक्टूबर को चड्ढा द्वारा अपने निलंबन के खिलाफ शीर्ष अदालत में याचिका दायर करने के बाद सुप्रीम कोर्ट ने उच्च सदन सचिवालय को नोटिस जारी किया था और जवाब मांगा था.
इसमें शामिल कानूनी मुद्दों के महत्व को देखते हुए सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में एजी वेंकटरमणी से भी सहायता मांगी थी.
पिछली सुनवाई में, शीर्ष अदालत के समक्ष यह तर्क दिया गया था कि राज्यसभा के सभापति जांच लंबित रहने तक सदन के किसी सदस्य को निलंबित करने का आदेश नहीं दे सकते हैं, खासकर, जब विशेषाधिकार समिति पहले से ही उसी मुद्दे पर जांच कर रही हो.
क्या है राघव चड्ढा पर आरोप
आप नेता पर दिल्ली सेवा विधेयक से संबंधित एक प्रस्ताव में उनकी सहमति के बिना पांच सांसदों के नाम शामिल करने का आरोप लगाया गया है. चड्ढा को तब तक के लिए निलंबित कर दिया गया है जब तक उनके खिलाफ मामले की जांच कर रही विशेषाधिकार समिति अपनी रिपोर्ट नहीं सौंप देती.
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