विदेश मंत्री एस जयशंकर ने शुक्रवार को खुलासा किया कि भारत और अमेरिका के बीच व्यापार वार्ता Indo-US trade talk अभी भी जारी है, उन्होंने चुटकी लेते हुए कहा कि ऐसा नहीं है कि कोई “कुट्टी” है.
हालांकि, उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि व्यापार वार्ता के संबंध में भारत ने कुछ सीमाएं खींची हैं, मुख्य रूप से किसानों के हितों की रक्षा के लिए.
ऐसा नहीं है कि वहाँ कोई ‘कुट्टी’ है…-जयशंकर
इकोनॉमिक टाइम्स वर्ल्ड लीडर्स फ़ोरम 2025 में एक बातचीत के दौरान, जयशंकर ने कहा, “लोग आपस में बातचीत करते हैं. ऐसा नहीं है कि वहाँ कोई ‘कुट्टी’ है… जहाँ तक हमारा सवाल है, लाल रेखाएँ मुख्य रूप से हमारे किसानों और कुछ हद तक हमारे छोटे उत्पादकों के हितों से जुड़ी हैं…” उन्होंने आगे कहा कि सरकार हमारे किसानों और हमारे छोटे उत्पादकों के हितों से समझौता करने को तैयार नहीं है.
जारी है Indo-US trade talk – जयशंकर
भारत और अमेरिका के बीच व्यापार वार्ता की स्थिति के बारे में पूछे जाने पर, जयशंकर ने कहा कि किसी ने भी बातचीत बंद नहीं की है या यह नहीं कहा है कि बातचीत बंद है. उन्होंने कहा, “बातचीत (भारत-अमेरिका व्यापार वार्ता) अभी भी जारी है. लेकिन मूल बात यह है कि हमारे पास कुछ लाल रेखाएँ हैं. बातचीत अभी भी इस मायने में जारी है कि किसी ने भी यह नहीं कहा कि बातचीत बंद है.”
जयशंकर की यह टिप्पणी उन ख़बरों के कुछ दिनों बाद आई है जिनमें बताया गया था कि अगले दौर की वार्ता के लिए भारत आने वाला अमेरिका का एक दल इस यात्रा को बाद की तारीख़ तक के लिए टाल सकता है.
कुछ हफ़्ते पहले, अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा भारतीय आयातों पर 25% टैरिफ़ लगाने की घोषणा से भारत और अमेरिका के बीच व्यापारिक संबंधों को बड़ा झटका लगा था, जिसे उन्होंने 27 अगस्त से दोगुना करने की धमकी दी थी.
ट्रंप का का काम करने का तरीका अलग है-जयशंकर
उसी शिखर सम्मेलन में, जयशंकर ने ट्रंप की विदेश नीति पर भी टिप्पणी की और कहा कि उन्होंने किसी अमेरिकी राष्ट्रपति को इसे “इतने सार्वजनिक रूप से” लागू करते नहीं देखा.
जयशंकर ने कहा, “यह अपने आप में एक बदलाव है जो सिर्फ़ भारत तक सीमित नहीं है… राष्ट्रपति ट्रंप का दुनिया के साथ, यहाँ तक कि अपने देश के साथ भी व्यवहार करने का तरीका, पारंपरिक रूढ़िवादी तरीक़े से बहुत अलग है…”
विदेश मंत्री ने यह भी संकेत दिया कि अमेरिका ने भारतीय आयात पर टैरिफ की घोषणा करने से पहले भारत के साथ रूस से तेल खरीद के मुद्दे पर चर्चा नहीं की.
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