भारत विश्व की सबसे तेजी से बढ़ती अर्थ व्यवस्था है.अगले साल 2023 में भारत G-20 देशों की अध्यक्षता के लिए तैयार है. दुनिया भर में भारत की पहचान एक संरचनात्क सतत विकास करने वाले देश के रुप में है. ऐसे में ग्लोबल हंगर इंडेक्स की ताजा रिपोर्ट भारत के लिए परेशान करने वाली है.
दुनिया भर के देशों में खाद्यान्न उपलब्धता को जांचने वाली आयरिश कंपनी कंसर्न वाइल्ड लाइफ (Concern Worldwide) और वेल्ट हंगर हिल्फ (Welt Hunger Hilfe) के द्वारा तैयार रिपोर्ट के मुताबिक भारत ग्लोबल हंगर इंडेक्स (Global Hunger Index 2022) में 6 अंक नीचे गिरकर 107 पर पहुंच गया है. इससे पहले भारत 101वें नंबर पर था.
ताजा इंडेक्स में भारत पाकिस्तान और नेपाल से भी पीछे पहुंच गया है. सीधे शब्दों में कहें तो इस रिपोर्ट के मुताबिक भारत में भोजन की उपलब्धता कम हुई है. इस रिपोर्ट में भारत की स्थिति को चिंताजनक (CRITICAL) बताया गया है. 121 देशों में एजेंसी ने सर्वे किया जिसमें भारत 101 वें पायदान से खिसक कर 107 पर पहुंच गया है.
ग्लोबल हंगर इंडेक्स की वेबसाइट ने शनिवार को लिखा है कि चीन, तुर्की और कुवैत सहित सत्रह देश जीएचआई(GHI) स्कोर पांच से कम के साथ शीर्ष पर हैं.
इस खबर पर पूर्व वित्तमंत्री पी चिंदबरंब ने ट्वीटर पर अपनी प्रतिक्रिया देते हुए लिखा कि
“2015 से बनी नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली सरकार में हमारा स्कोर खराब हुआ है.
पूर्व वित्त मंत्री ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से पूछा है कि”माननीय प्रधान मंत्री कब बच्चों के बीच कुपोषण, भूख जैसे वास्तविक मुद्दों को संबोधित करेंगे?
Global Hunger Index में 2021 में भारत 116 देशों में 101वें स्थान पर था. अब इस सूची में 121 देश जुड़ गये हैं और इसमें भारत की स्थिति और बदतर बताई गई है. भारत का जीएचआई(GHI) स्कोर भी गिर गया है. 2000 में भारत का स्कोर 38.8 था. 2014 और 2022 के बीच ये स्कोर घटकर 28.2 – 29.1 तक पहुंच गया.
पिछली बार जब Global Hunger Index की रिपोर्ट आई थी तो सरकार की तरफ से कहा गया था कि जो एजेंसी रिपोर्ट बनाती है उनकी जांच पद्धति वैज्ञानिक नहीं है. रिपोर्ट को वास्तविकता से परे बताया गया था.भारत सरकार का मत है कि जांच एजेंसी चार प्रश्नों के आधार पर जनमत सर्वेक्षण करती है ,जो कई बार टेलिफोन पर भी आधारित होता है. सर्वेक्षण में प्रतिव्यक्ति खाद्यान्न की उपलब्धता के बारे में बात नहीं की गई .पिछले साल जांच एजेंसी वेल्ट हंगर हिल्फ ने भारत सरकार के दावे का खंडन करते हुए कहा था कि एजेंसी ने जो रिपोर्ट तैयार की है वो गैलप ओपिनियन पोल पर नहीं बल्कि भारत द्वारा यूनाइटेड नेशन में आधिकारिक तौर पर उपलब्ध कराये गये डाटा पर आधारित था.