Friday, September 19, 2025

भारत उन देशों से तेल खरीदता रहेगा,जहां से तेल सस्ता मिलेगा, राष्ट्रहित से समझौता नहीं ….

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India Russia Oil Trade : अमेरिकी के द्वारा भारत पर लगाये जा रहे भारी भरकम टैरिफ के बीच रुस में भारत के राजदूत विनय कुमार ने कहा है कि भारत उन देशों से तेल खरीदता रहेगा जहां से हमें सस्ता तेल मिलेगा.  रुसी समाचार एजेंसी ताश को दिये इंटरव्यू में भारत के राजूदत विनय कुमार ने  कहा कि भारत अपने राष्ट्रहित में ऐसे क़दम उठाता रहेगा.

India Russia Oil Trade:140 करोड़ भारतीयों की सुरक्षा पहले है…

राजदूत विनय कुमार ने समाचार एजेंसी  ‘ताश’ के साथ बात करते हुए कहा कि भारत की प्राथमिकता उसके 140 करोड़ की आबादी की उर्जा सुरक्षा सुनिश्चित करना है.  दरअसल रविवार को ही अमेरिका के उपराष्ट्रपति जेंडी वेंस ने एक इंटरव्यू के दौरान कहा था कि उन्होंने भारत पर भारी भरकम टैरिफ लगाकर रुस पर कड़ा आर्थिक दवाब डाला है. ट्रंप के द्वारा लगाया गया 50 प्रतिशत टैरिफ 27 अगस्त से प्रभावी हो जायेगा.

 अमेरिकी दवाब का भारत रुस व्यापार पर असर नहीं 

अमेरिकी दवाब के बावजूद राजदूत विनय कुमार ने कहा कि रशिया से आने वाले तेल के लिए भुगतान करने में भारत को कोई समस्या नहीं हैं.भारत और रुस दोनों के पास राष्ट्रीय मुद्राओं में व्यापार को निपटाने के लिए एक व्यवस्था बनी हुई है, इसलिए भारत को रुस से तेल आयात करने में कोई समस्या नहीं होगी.

भारतीय निर्यात संगठन महासंघ का भी दावा – भुगतान की कोई समस्या नहीं 

इससे पहले एफआईआओ यानी भारतीय निर्यात संगठन महासंघ के एमडी अजय शाहा ने भी ‘ताश’ से बीतचीत में बताया था कि भारतीय बैंकों में रूसी निर्यातकों के अरबों रुपये पड़े हैं. अजय शाहा के मुताबिक भारतीय रुपयो में रुस के साथ व्यापार अभी भी जारी है.

ताश से बीतचीत में विनय कुमार ने कहा कि हमने साफ कर दिया है कि हमारा उद्देश अपने एक सौ 40 करोड़ लोगों की उर्जा सुरक्षा सुनिश्तिच करना है. रूस हो या कोई और देश, भारत हमेशा विश्व के तेल बाजार में बाज़ार में स्थिरता लाने में अपना योगदान देता रहा है. विनय कुमार ने कहा कि रुस के साथ व्यापार करने में भारत के अलावा ख़ुद अमेरिका और कई यूरोपीय देश भी शामिल हैं.

 अमेरिका का फैसला अव्यवहारिक 

अमेरिका के फ़ैसले को “अनुचित, अव्यावहारिक और ग़ैर-ज़रूरी” बताते हुए कुमार ने कहा कि भारत सरकार “ऐसे क़दम उठाती रहेगी जो देश के राष्ट्रीय हित की रक्षा करें.”

इससे पहले विदेश मंत्री एस जयशंकर ने भी अमेरिकी उपराष्ट्रपति की आलोचना पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा था, ये बड़ा अजीब है कि एक प्रो-बिज़नेस अमेरिकी प्रशासन दूसरों पर आरोप लगा रहे हैं. विदेश मंत्री ने कहा कि अगर आपको भारत से तेल या रिफ़ाइंड प्रोडक्ट ख़रीदने में दिक़्क़त है, तो मत खरीदिए. हमारे प्रोडक्ट खरीदने के लिए कोई आपको मजबूर नहीं कर रहा है लेकिन यूरोप भी ख़रीद रहा है, अमेरिका भी ख़रीद रहा है. जिसे अच्छा नहीं लगत ाहै को वो भारत के प्रोडक्ट ना खरींदें..

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