बिलकिस बानो के 11 दोषियों को समय से पहले रिहा करने के मामले में सुनवाई के लिए तैयार हो गया है सुप्रीम कोर्ट. बिलकिस बानो के 11 दोषियों को समय से पहले रिहा करने के गुजरात सरकार के आदेश को चुनौती देने वाली याचिका की सुनवाई के लिए अलग पीठ का गठन किया जाएगा.
मुख्य न्यायाधीश डी.वाई. चंद्रचूड़ ने दिया जल्द पीठ गठन का आश्वासन
बुधवार को बिलकिस बानो की अधिवक्ता शोभा गुप्ता ने सुप्रीम कोर्च में मुख्य न्यायाधीश डी.वाई. चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पीठ के सामने अपने केस की जल्द से जल्द सुनवाई की गुहार लगाई. गुप्ता ने मुख्य न्यायाधीश डी.वाई. चंद्रचूड़, जस्टिस पी.एस. नरसिम्हा और जे.बी. पारदीवाला बेंच के सामने अपनी बात रखते हुए कहा कि बिलकिस बानो मामले में गुजरात सरकार के आदेश पर छोड़े गए 11 दोषियों के मामले की सुनवाई जल्द की जाए. इसपर चीफ जस्टिस ने आश्वासन दिया कि मामले की सुनवाई के लिए एक नई बेंच का गठन किया जाएगा. और वो इसपर शाम तक विचार करेंगे
बिलकिस बानो ने याचिका में क्या कहा है
बिलकिस बानो ने कोर्ट में अपने 11 दोषियों की रिहाई के खिलाफ याचिका दायर कर कहा है कि, “गुजरात सरकार का ये फैसला उसकी बड़ी हो चुकी बेटियों, उसके परिवार और बड़े पैमाने पर, राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर समाज के लिए एक झटके के रूप में आया है. सभी वर्गों के समाज ने मामले के 11 दोषियों जैसे अपराधियों को रिहा करके सरकार द्वारा दिखाई गई दया के प्रति अपना गुस्सा, निराशा, अविश्वास और विरोध दिखाया है.
रिहाई के आदेश को यांत्रिक करार देते हुए याचिका में कहा गया है कि बहुचर्चित बिलकिस बानो मामले में दोषियों की समय से पहले रिहाई ने समाज की अंतरात्मा को झकझोर कर रख दिया है और इसके चलते देश भर में कई आंदोलन हुए हैं.”
अब तक इस मामले में क्या हुआ है
आपको बता दें पिछले साल यानी 2022 में 15 अगस्त को बिलकिस बानो के 11 दोषियों को गुजरात सरकार ने रिहा कर दिया था. जिसके बाद देशभर में इस रिहाई के खिलाफ प्रदरेशन हुए. कुछ महिला संगठनों और समाजिक कार्यकर्ताओं ने भी गुजरात सरकार के इस फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट का दरवाज़ा खटखटाया. खुद बिलकिस बानो ने भी सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की. लेकिन तब सुप्रीम कोर्ट की जज न्यायमूर्ति बेला एम त्रिवेदी ने याचिका पर सुनवाई से खुद को अलग कर लिया था. हालांकि, उन्होंने ऐसा करने की वजह नहीं बताई थी . जिसके बाद मामले की सुनवाई कर रही जस्टिस अजय रस्तोगी और जस्टिस बेला माधुर्य त्रिवेदी की पीठ ने कहा कि मामला किसी दूसरी बेंच को सौंप दीजिए.
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