Saturday, November 22, 2025

‘अगर आप शांति चाहते हैं…’ ‘युद्ध’ को लेकर CDS Anil Chauhan का कड़ा संदेश -‘ऑपरेशन सिंदूर अभी भी जारी है’

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चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ (सीडीएस) जनरल अनिल चौहान CDS Anil Chauhan ने मंगलवार को स्पष्ट किया कि भारत शांति के पक्ष में है, लेकिन उन्होंने इसे शांतिवाद समझने की भूल न करने की चेतावनी देते हुए कहा कि, “शक्ति के बिना शांति काल्पनिक है.”

‘ऑपरेशन सिंदूर’ अभी भी जारी है

महू स्थित आर्मी वॉर कॉलेज में दो दिवसीय ‘रण संवाद’ सम्मेलन को संबोधित करते हुए जनरल अनिल चौहान ने पाकिस्तान को परोक्ष चेतावनी देते हुए कहा कि 22 अप्रैल को पहलगाम में हुए आतंकी हमले के बाद भारत की सैन्य प्रतिक्रिया ‘ऑपरेशन सिंदूर’ अभी भी जारी है.
उन्होंने सम्मेलन में कहा, “भारत हमेशा शांति के पक्ष में रहा है. हम एक शांतिप्रिय राष्ट्र हैं, लेकिन गलतफहमी में न रहें, हम शांतिवादी नहीं हो सकते. मेरा मानना है कि शक्ति के बिना शांति एक काल्पनिक कल्पना है. मैं एक लैटिन उद्धरण का उल्लेख करना चाहूँगा जिसका अनुवाद है, ‘यदि आप शांति चाहते हैं, तो युद्ध के लिए तैयार रहें’.”

27 अगस्त को रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह पूर्ण सत्र को करेंगे संबोधित

26-27 अगस्त को आयोजित होने वाला यह सेमिनार सेवारत सैन्य पेशेवरों को रणनीतिक संवाद के अग्रभाग में लाता है, और इसके अंतिम दिन रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह पूर्ण सत्र का संबोधन देंगे.

ऑपरेशन सिंदूर से सबक

भारत के हालिया सैन्य अभियानों का ज़िक्र करते हुए, जनरल चौहान ने कहा, “ऑपरेशन सिंदूर एक आधुनिक संघर्ष था जिससे हमने कई सबक सीखे हैं, और उनमें से ज़्यादातर पर अमल हो रहा है, कुछ पर अमल हो भी चुका है. ऑपरेशन अभी भी जारी है. हम यहाँ ऑपरेशन सिंदूर पर चर्चा करने नहीं आए हैं. हम यहाँ ऑपरेशन सिंदूर से आगे की किसी और बात पर चर्चा करने आए हैं.”

सीडीएस ने बताए भविष्य के युद्धों को आकार देने वाले चार रुझान

सीडीएस ने चार प्रमुख रुझानों पर प्रकाश डाला, जिनके बारे में उनका मानना है कि वे भविष्य के संघर्षों को परिभाषित करेंगे.
उन्होंने कहा, “मुझे उम्मीद है कि यह विशेष सेमिनार, तकनीक के अलावा, भविष्य में किस तरह के युद्ध होंगे और उनकी पृष्ठभूमि क्या होगी, इस पर भी ध्यान केंद्रित करेगा.”
“मेरे विचार से, चार आवश्यक रुझान हैं जिनकी मैं भविष्यवाणी करता हूँ। पहला, राष्ट्रों और सरकारों में बल प्रयोग की प्रवृत्ति बढ़ रही है, और ऐसा इसलिए हो रहा है क्योंकि आज राजनीतिक उद्देश्य अल्पकालिक संघर्षों से प्राप्त किए जा सकते हैं.”
जनरल चौहान ने कहा, “दूसरा रुझान जो मैं देख रहा हूँ, वह है युद्ध और शांति के बीच अंतर का अभाव, इस विशेष युग में, जिसे हम घोषित युद्धों के रूप में जानते थे, मुझे लगता है कि वह अब समाप्त हो गया है. आज का समकालीन युद्ध पाँच ‘सी’ – प्रतिस्पर्धा, संकट, टकराव, संघर्ष और युद्धों के बीच युद्धों का एक प्रकार का सातत्य है.”
उन्होंने आगे कहा, “तीसरी महत्वपूर्ण बात लोगों का महत्व है. पिछले युद्धों में, क्षेत्र और विचारधारा के कारण, लोगों और सैनिकों की बलि दी गई. चौथी महत्वपूर्ण प्रवृत्ति, जिस पर मुझे लगता है कि हम बहस कर सकते हैं, वह है जीत के पैमाने और हम जीत को कैसे देखते हैं. अतीत में, जीत के पैमाने संभवतः सैनिकों और उपकरणों के संदर्भ में हुए नुकसान से परिभाषित होते थे. 1971 में, हमने 95,000 पाकिस्तानियों को बंदी बनाया था. लेकिन आज के युद्ध में, युद्ध या जीत के नए पैमाने संभवतः अभियानों की गति और गति, लंबी दूरी के सटीक हमलों के प्रभाव हैं.”

एक मजबूत, आत्मनिर्भर भारत का आह्वान- CDS Anil Chauhan

जनरल चौहान ने भारत द्वारा अपनी रक्षा तैयारियों को एक विकसित राष्ट्र बनने के अपने दृष्टिकोण के साथ संरेखित करने की आवश्यकता पर बल दिया.
उन्होंने कहा, “एक विकसित भारत के रूप में, हमें ‘शस्त्र’, ‘सुरक्षित’ और ‘आत्मनिर्भर’ भी बनना होगा. न केवल तकनीक में, बल्कि विचारों और व्यवहार में भी. इसलिए, हमारे समाज के सभी वर्गों में सैद्धांतिक और वैचारिक पहलुओं, यानी युद्ध कैसे लड़ा जाता है, इसकी अकादमिक खोज और व्यावहारिक एवं वास्तविक युद्ध लड़ने की तकनीकों और युक्तियों के बारे में जागरूकता बढ़ाने की आवश्यकता है.”

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