अयोध्या:राम मंदिर Ram Mandir प्राण प्रतिष्ठा का समय बहुत नजदीक आ गया है.जिसे लेकर अधूरी चीज़े जल्द से जल्द पूरी करने की कवायत शुरू हो गई है.श्री राम जन्म भूमि मंदिर के गर्भ गृह में स्थापित होने वाली प्राण प्रतिष्ठित की जाने वाली मूर्ति पर चर्चा हुई.श्री राम जन्म भूमि मंदिर निर्माण समिति की बैठक में राम मंदिर ट्रस्ट के महासचिव चंपत राय समेत अन्य सदस्यों ने निर्माण हो चुकी तीनों मूर्तियां को देखा. ट्रस्टी अनिल मिश्रा के अनुसार तीनों मूर्तियां को देखने के बाद चयन की जाने वाली मूर्ति को लेकर काफी कुछ सहमति बन गई है.इस मूर्ति की घोषणा जनवरी के पहले सप्ताह में की जाएगी.
Ram Mandir में स्थापित करने के लिए हुआ मूर्तियों का चयन
मूर्ति के चुनाव से पहले सभी बिंदुओं और पहलुओं पर विचार विमर्श भी किया गया है.इन मूर्तियों का निर्माण रामचरितमानस और वाल्मीकि रामायण में वर्णित रामलला के स्वरूप जैसी होगा. श्री राम जन्मभूमि मंदिर में प्राण प्रतिष्ठित होने वाली बाल रामलला की मूर्ति अद्भुत होगी. बाल रामलला की मूर्ति में रामायण में वर्णित काया की झलक दिखाई देगी. जैसे नीलकमल जैसी आंखें, चंद्रमा की तरह चेहरा, घुटनों तक लंबे हाथ, होठों पर निश्चल मुस्कान और दैवीय सहजता के साथ गंभीरता.ऐसी जीवंत मूर्ति, जो देखते ही मन को भा जाए और एकटक देखने के बाद भी आंखें तृप्त होने के बजाय प्यासी ही रहे.
चुनिंदा कलाकारों ने तैयार की है मूर्ति
राम लला की इस विलक्षण मूर्ति को 3 चुनिंदा कलाकारों ने आकार दिया है.बाल स्वरूप में राम लला की मूर्ति 51 इंच की रहेगी. इसमें से दो कर्नाटक के कलाकारों द्वारा श्याम शिला से तैयार की गई है, तो एक सफेद संगमरमर की है. मूर्ति तैयार करने के पहले विशेषज्ञों ने इन पत्थरों की गहनता से जांच भी की है.जहां तक अनुमान है सफेद संगमरमर से निर्मित मूर्ति के चयन की संभावना लगभग न के बराबर है. इसके पीछे का तर्क यह है कि राम लला श्याम वर्ण के थे,इसलिए श्यामशिला से निर्मित मूर्ति सबसे उपयुक्त होगी.
मूर्तियों का होगा परीक्षण
अयोध्या का श्री राम जन्मभूमि मंदिर को इस तरह बनाया जा रहा है कि 1000 साल तक इसके जीर्णोद्धार की जरूरत न
पड़े. इसीलिए मंदिर में प्राण प्रतिष्ठित होने वाली मूर्ति को लेकर भी कई मानक तय किए गए हैं.मूर्ति का परीक्षण हल्दी, चंदन,धूप, अगरबत्ती के धुएं और अन्य पूजन सामग्रियों से होगा.इन सामग्रियों से मूर्ति पर कोई दाग या प्रभाव तो नहीं पड़ता. यही नहीं रामनवमी के दिन जब इस पर सूर्य की किरण पड़े, तो कौन सी मूर्ति ज्यादा अच्छी लगेगी. तैयार हुई मूर्ति में किस मूर्ति की लाइफ सबसे अधिक है ये भी देखा जायेगा.ट्रस्ट की ओर से निर्देश थे कि मूर्ति बाल्यकाल की होनी चाहिए लेकिन प्रभु श्री राम को लेकर लोगों की जो आम कल्पना है वो उसमें स्पष्ट रूप से नजर आनी चाहिए.