सोमवार को सुप्रीम कोर्ट ने प्रवर्तन निदेशालय (ED) की झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन Hemant Soren की जमानत रद्द करने की अपील खारिज कर दी. ईडी ने कथित भूमि घोटाला मामले में झारखंड हाई कोर्ट द्वारा मुख्यमंत्री को दी गई जमानत को चुनौती दी थी.
सुप्रीम कोर्ट ने याचिका खारिज करते हुए क्या कहा
शीर्ष अदालत ने झारखंड उच्च न्यायालय द्वारा 28 जून को पारित आदेश को “सोच समझ के दिया गया आदेश” करार दिया. अदालत ने स्पष्ट किया कि जमानत देने के लिए उच्च न्यायालय द्वारा की गई टिप्पणियों से ट्रायल जज पर ट्रायल या किसी अन्य कार्यवाही के चरण में कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा.
सीबीआई ने जमानत आदेश को बताया था अवैध और पक्षपातपूर्ण
केंद्रीय एजेंसी ने सोरेन को जमानत देने के झारखंड उच्च न्यायालय के फैसले के खिलाफ 8 जुलाई को सर्वोच्च न्यायालय का रुख किया था और तर्क दिया था कि जमानत आदेश अवैध और पक्षपातपूर्ण था.
Hemant Soren ने जमानत मिलते ही फिर ली थी सीएम पद की शपथ
हेमंत सोरेन ने उच्च न्यायालय से जमानत मिलने के तुरंत बाद 4 जुलाई को झारखंड के मुख्यमंत्री के रूप में कार्यभार संभाला.
सोरेन को प्रवर्तन निदेशालय ने 31 जनवरी को गिरफ्तार किया था. प्रवर्तन निदेशालय ने अदालत को बताया था कि उन्होंने राज्य की राजधानी में 8.86 एकड़ जमीन हासिल करने के लिए अपने पद का दुरुपयोग किया.
प्रवर्तन निदेशालय ने हेमंत सोरेन को 31 जनवरी को गिरफ्तार करने से पहले कई बार तलब किया था. राज्य की राजधानी में कथित भूमि घोटाले से संबंधित मनी लॉन्ड्रिंग के आरोपों में उनकी गिरफ्तारी के बाद 31 जनवरी को उन्होंने इस्तीफा दे दिया था.
उनके इस्तीफे के बाद, सोरेन के करीबी सहयोगी और मौजूदा मंत्री चंपई सोरेन ने सत्तारूढ़ गठबंधन का नेतृत्व संभाला था. सोरेन के वकील कपिल सिब्बल ने अदालत के समक्ष तर्क दिया था कि कथित भूमि हड़पना धन शोधन निवारण अधिनियम (पीएमएलए) के तहत अपराध नहीं है. सिब्बल ने यह भी उल्लेख किया था कि यदि आरोप सत्य भी हों, तो भी वे संपत्ति के अधिकार पर दीवानी विवाद का मामला होंगे, न कि आपराधिक गतिविधि.
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