बुधवार को प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने कांग्रेस सांसद प्रियंका गांधी वाड्रा के पति और व्यवसायी रॉबर्ट वाड्रा Robert Vadra के खिलाफ मनी लॉन्ड्रिंग के एक मामले में आरोप पत्र दायर किया है. इसमें कई अन्य व्यक्तियों और कंपनियों के नाम भी शामिल हैं.
Robert Vadra की 37.6 करोड़ रुपये मूल्य की 43 संपत्तियां भी जब्त
प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने शिकोहपुर भूमि सौदा मामले में व्यवसायी रॉबर्ट वाड्रा के खिलाफ आरोपपत्र दाखिल किया. आरोपपत्र में कई अन्य व्यक्तियों और फर्मों के नाम भी शामिल हैं.
केंद्रीय एजेंसी ने रॉबर्ट वाड्रा और उनकी कंपनी स्काईलाइट हॉस्पिटैलिटी प्राइवेट लिमिटेड की 37.6 करोड़ रुपये मूल्य की 43 संपत्तियां भी जब्त की हैं.
एजेंसी ने इस मामले में वाड्रा को पहली बार 8 अप्रैल को तलब किया था. हालाँकि, उन्होंने उस समय जाँच में शामिल होने में असमर्थता जताते हुए दूसरी तारीख माँगी थी. वाड्रा 15 अप्रैल को एजेंसी के सामने पेश हुए थे.
Robert Vadra ने केस को बताया ‘राजनीतिक प्रतिशोध’
वाड्रा ने पहले दावा किया था कि यह कदम उन्हें और उनके बहनोई, कांग्रेस नेता और विपक्ष के नेता राहुल गांधी को चुप कराने के उद्देश्य से एक “राजनीतिक प्रतिशोध” का हिस्सा था.
यह मामला तब प्रकाश में आया जब हरियाणा कैडर के आईएएस अधिकारी अशोक खेमका ने अक्टूबर 2012 में संपत्ति हस्तांतरण की प्रक्रिया, जो कि म्यूटेशन को दर्शाती है, रद्द कर दिया.
शिकोहपुर मनी लॉन्ड्रिंग का मामला क्या है?
यह मनी लॉन्ड्रिंग का मामला गुरुग्राम के शिकोहपुर में स्काईलाइट हॉस्पिटैलिटी नामक कंपनी द्वारा फरवरी 2008 में किए गए एक ज़मीन सौदे से संबंधित है. वाड्रा पहले इस कंपनी के निदेशक थे.
2008 में, स्काईलाइट हॉस्पिटैलिटी ने शिकोहपुर में लगभग तीन एकड़ ज़मीन ₹7.5 करोड़ में खरीदी थी. बाद में, हरियाणा के नगर नियोजन विभाग ने इस ज़मीन के 2.71 एकड़ हिस्से पर एक व्यावसायिक कॉलोनी बनाने के लिए आशय पत्र जारी किया.