बुधवार को सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली-एनसीआर क्षेत्र में 18 से 21 अक्टूबर के बीच दीवाली Diwali पर पटाखों की बिक्री और फोड़ने की अनुमति दे दी. हलांकि कोर्ट ने इसके साथ ही पटाखे फोड़ने का समय भी तय कर दिया. कोर्ट ने पटाखे फोड़ने के लिए सुबह 6-7 बजे और रात 8-10 बजे तक का समय तय किया है. सुप्रीम कोर्ट ने इस फैसले को उत्सव मनाने और पर्यावरण की सुरक्षा के बीच एक “संतुलित दृष्टिकोण” बताया.
सीपीसीबी से 14 से 21 अक्तूबर तक वायु और जल गुणवत्ता की निगरानी करने कहा
भारत के मुख्य न्यायाधीश भूषण आर गवई और न्यायमूर्ति के विनोद चंद्रन की पीठ ने कहा कि यह आदेश एक अस्थायी उपाय था जिसका उद्देश्य यह आकलन करना था कि क्या सावधानीपूर्वक विनियमित छूट प्रदूषण पर अंकुश लगाने के प्रयासों के साथ-साथ चल सकती है। अदालत ने केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) और राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्डों को इस अवधि के दौरान वायु और जल गुणवत्ता की निगरानी करने और 14 से 21 अक्टूबर के बीच दिल्ली की हवा पर आतिशबाजी के प्रभाव पर एक रिपोर्ट प्रस्तुत करने का निर्देश दिया.
तस्करी और ग्रीन पटाखों को लेकर भी दिए निर्देश
मुख्य न्यायाधीश ने कहा, “हमें एक संतुलित दृष्टिकोण अपनाना होगा, पर्यावरण के साथ समझौता किए बिना इसे संयमित रूप से अनुमति देनी होगी.” उन्होंने कहा कि तस्करी किए गए पटाखे प्रमाणित हरित पटाखों की तुलना में कहीं अधिक नुकसान पहुँचाते हैं.
एक अस्थायी व्यवस्था के रूप में, पीठ ने एक विस्तृत रूपरेखा तैयार की। पीठ ने कहा कि पटाखे केवल निर्दिष्ट बिक्री केंद्रों से ही बेचे जा सकते हैं और गश्ती दलों को निर्माताओं की नियमित जाँच करनी चाहिए. हरित पटाखों के क्यूआर कोड आधिकारिक वेबसाइटों पर अपलोड किए जाने चाहिए ताकि उनका पता लगाया जा सके.
इसके अतिरिक्त, पीठ ने कहा कि एनसीआर के बाहर से किसी भी पटाखे को इस क्षेत्र में आने की अनुमति नहीं दी जाएगी. अदालत ने आगे आदेश दिया कि नकली या मानकों का पालन न करने वाले उत्पादों का कारोबार करने वाले निर्माताओं के लाइसेंस तुरंत निलंबित कर दिए जाएँगे.
सरकार के Diwali के दौरान कड़ी निगरानी बनाए रखने के वादे के बाद मिली अनुमति
बुधवार का आदेश पिछले सप्ताह हुई एक सुनवाई पर आधारित है, जब अदालत ने कहा था कि वह दिवाली के दौरान परीक्षण के आधार पर पटाखों की अनुमति देने के लिए इच्छुक है, जबकि पर्यावरण विशेषज्ञों और अदालत द्वारा नियुक्त न्यायमित्र ने आगाह किया था कि इसे लागू करना एक चुनौती बनी हुई है.
उस समय, केंद्र की ओर से सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने दलील दी थी कि केवल नीरी (राष्ट्रीय पर्यावरण अभियांत्रिकी अनुसंधान संस्थान) द्वारा अनुमोदित हरित पटाखों की ही अनुमति होगी और पारंपरिक आतिशबाजी पर प्रतिबंध रहेगा। उन्होंने अदालत से आग्रह किया कि “बच्चों को धूमधाम से दिवाली मनाने” की अनुमति दी जाए, साथ ही आश्वासन दिया कि सरकार कड़ी निगरानी बनाए रखेगी.