महाराष्ट्र शिंदे सरकार पर फैसला सुनाते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि राज्यपाल ने कानून के मुताबिक काम नहीं किया, लेकिन ठाकरे सरकार को बहाल नहीं कर सकते. गुरुवार को अपने आदेश में सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि महाराष्ट्र के तत्कालीन राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी ने जून 2022 में विधानसभा में फ्लोर टेस्ट बुलाकर कानून के मुताबिक काम नहीं किया. कोर्ट ने यह भी कहा कि वह उद्धव ठाकरे की बहाली का आदेश नहीं दे सकते. सरकार के रूप में उन्होंने फ्लोर टेस्ट का सामना किए बिना इस्तीफा दे दिया.
जानिए कोर्ट ने अपने फैसले में क्या बड़ी बातें कही
* SC का कहना है कि उद्धव के स्वेच्छा से इस्तीफा देने के बाद से MVA सरकार को बहाल नहीं किया जा सकता
* SC का कहना है कि उद्धव ने बहुमत खो दिया है, यह सोचकर फ्लोर टेस्ट का आदेश देकर राज्यपाल ने गलती की
* SC का कहना है कि स्पीकर ने एकनाथ शिंदे ग्रुप का व्हिप नियुक्त कर गलत किया. यह हक राजनीतिक दल के पास है
* विधायकों की अयोग्यता पर स्पीकर की शक्ति पर 2016 के नबाम रेबिया के फैसले को बड़ी बेंच के पास भेज दिया गया है
* पार्टी के आंतरिक विवादों को सुलझाने के लिए फ्लोर टेस्ट का इस्तेमाल नहीं किया जा सकता
राज्यपाल ने की गलती-सुप्रीम कोर्ट
महाराष्ट्र के तत्कालीन राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी की भूमिका पर सुप्रीम कोर्ट ने कहा, राज्यपाल को अपने पद पर बैठकर उन शक्तियों का इस्तेमाल करना ही नहीं चाहिए जो शक्तियां संविधान ने उनको दी ही नहीं है.
“यदि अध्यक्ष और सरकार अविश्वास प्रस्ताव को दरकिनार करते हैं, तो राज्यपाल को मंत्रिपरिषद की सहायता और सलाह के बिना फ्लोर टेस्ट के लिए बुलाना उचित होगा. कोर्ट ने कहा कि जब विधानसभा सत्र में नहीं थी, ऐसे में जब विपक्ष के नेता देवेंद्र देवेंद्र फडणवीस ने सरकार को लिखा. विपक्षी दलों ने कोई अविश्वास प्रस्ताव जारी नहीं किया. राज्यपाल के पास सरकार के विश्वास पर संदेह करने के लिए कोई वजह नहीं थी, ”
उद्धव ठाकरे ने इस्तीफा नहीं दिया होता तो बहाल करते सरकार-सुप्रीम कोर्ट
SC का कहना है कि उद्धव ठाकरे ने इस्तीफा नहीं दिया होता तो यथास्थिति बहाल हो सकती थी. खंडपीठ ने कहा कि अंतर-पक्ष विवादों या अंतर-पक्षीय विवादों को हल करने के लिए एक शक्ति परीक्षण को एक माध्यम के रूप में इस्तेमाल नहीं किया जा सकता है. यहां तक कि अगर यह मान भी लिया जाए कि विधायक सरकार से बाहर निकलना चाहते थे, तो उन्होंने केवल एक गुट का गठन किया. सरकार का समर्थन नहीं करने वाले दल और समर्थन न करने वाले व्यक्तियों के बीच एक स्पष्ट अंतर है. न तो संविधान और न ही कानून राज्यपाल को राजनीतिक क्षेत्र में प्रवेश करने और अंतर-पार्टी या अंतर-पार्टी विवादों में भूमिका निभाने का अधिकार देता है.
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