BPSC Paper Leak: बिहार लोक सेवा आयोग (BPSC) की संयुक्त प्रवेश परीक्षा में पेपर लीक का मामला विधानसभा चुनावों से पहले बिहार की राजनीति को गरमाने लगा है. खास कर पिछले मंगलवार को नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी के छात्रों से मुलाकात और समर्थन का एलान करने के बाद इस मुद्दे को धार मिल गई है. अब राज्य के दो प्रमुख दलित नेताओं और सत्तारूढ़ एनडीए गठबंधन के प्रमुख घटकों ने भी इस मुद्दे पर खुलकर अपने विचार रख दिए है.
एक तरफ जहां, हम-एस पार्टी के संरक्षक और केंद्रीय मंत्री जीतन राम मांझी ने बुधवार को खुले तौर पर कहा कि बीपीएससी अभ्यर्थियों का आंदोलन केवल राजनीति के कारण जारी है और सभी छात्रों के लिए पुनर्परीक्षा आयोजित करने का कोई औचित्य नहीं है. वहीं लोक जनशक्ति पार्टी-रामविलास (एलजेपी-आरवी) के प्रमुख और केंद्रीय मंत्री चिराग पासवान ने छात्रों के मुद्दे के साथ एकजुटता व्यक्त की है.
“सरकार और BPSC ने सही काम किया है”-मांझी
केंद्रीय मंत्री जीतन राम मांझी ने कहा, सरकार और बीपीएससी काफी उदार रहे हैं. 912 परीक्षा केंद्रों में से, केवल एक केंद्र से गड़बड़ी की सूचना मिली थी और एक केंद्र के लिए पुनर्परीक्षा ली गई थी. 5,000-10,000 अभ्यर्थी धरने पर हैं, जबकि बीपीएससी लगभग चार लाख के लिए पुनर्परीक्षा नहीं करा सकता है. अगर वे भी पुनर्परीक्षा के खिलाफ धरने पर बैठ गए, तो क्या होगा? इसके साथ ही मांझी ने कहा, बिहार सरकार का रुख (छात्रों की मांग के आगे न झुकना) बिल्कुल सही था. उन्होंने कहा, “सरकार और BPSC ने सही काम किया है.”
वास्तव में क्या हुआ, यह पता लगाने के लिए उच्च स्तरीय जांच होनी चाहिए-चिराग पासवान
इसके उलट केंद्रीय मंत्री चिराग पासवान, जो अपनी पार्टी लोक जनशक्ति पार्टी-रामविलास (एलजेपी-आरवी) के प्रमुख भी हैं, ने छात्रों के मुद्दे के साथ एकजुटता व्यक्त की. उन्होंने विशेष रूप से कहा कि वे उस मुद्दे के साथ हैं जिसके लिए जन सुराज पार्टी के संस्थापक प्रशांत किशोर बीपीएससी उम्मीदवारों के साथ एकजुटता में आमरण अनशन पर बैठे थे.
चिराग यहीं नहीं रुके, उन्होंने आगे कहा कि 13 दिसंबर की परीक्षा में वास्तव में क्या हुआ, यह पता लगाने के लिए उच्च स्तरीय जांच होनी चाहिए. उन्होंने कहा कि यह सुनिश्चित करना बिहार सरकार की जिम्मेदारी है कि किसी भी BPSC अभ्यर्थी के साथ कोई अन्याय न हो और BPSC को जवाबदेह बनाया जाना चाहिए.
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