Chandryaan-3 New Photos : भारत के मून मिशन चंद्रयान 3 के चंद्मा पर फलात पूर्व लैंडिंग का एक साल पूरा होने जा रहा है . बारत ने दुनियां में पहली बार चंद्रमा के अब तक के अनजाने – अनछुये दक्षिणी ध्रुव पर सफलता पूर्वक लैंजिर करके इतिहास रच दिया था. इसके बाद से भारत का चंद्गयान-3 पिछले एक साल से चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर काम कर रहा है. यहां से रोबर प्रज्ञान अपने NavCam से लगातार चंद्रमा की सतह से तस्वीरें भेज रहा है.आज प्रज्ञान के NavCam द्वारा खींची गई कुछ तस्वीरें भारतीय अतंरिक्ष अनुसंधान केंद्र (ISRO) ने जारी किया है. ये तस्वीरें बेहद खास है. इन तस्वीरों में चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव की सतह का नजारा साफ दिखाई दे रहा है.

Chandryaan-3 New Photos : चंद्रमा के अंधेरे हिस्से का अद्भुत नजारा कैद
चंद्रयान 3 के चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुप पर सेफ लैंडिग का एक साल पूरा होने वाला है, 23 अगस्त यानी शुक्रवार को चंद्रयान 3 के चंद्रमा के दक्षिणी सतह पर उतरने का एक साल हो जायेगा. पिछले साल 23 अगस्त को ही चंद्रयान 3 ने चंद्रमा की सतह पर सफलता पूर्वक लैंड किया था. पूरी दुनिया में ये पहला मौका था जब भारत ने चंद्रमा का अब तक के इस अज्ञात कोने पर सफलता पूर्व लैंडिंग करने में सफलता पाई थी.
And now time for some images from the Lander Imager (LI) and Rover Imager (RI) cameras on the Vikram Lander!! 📸
First 3 images are from LI, last one is from RI. #ISRO #Chandrayaan3
(read alt text for more details!) https://t.co/9xuEZKT2N9 pic.twitter.com/p2R8IKiFQs
— Debapratim (@debapratim_) August 22, 2024
पिछले एक साल से चंद्रयान 3 चंद्रमा का दक्षिणी ध्रुव पर कर रहा है काम
भारत का चंद्गयान-3 पिछले एक साल से चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर काम कर रहा है. यहां से रोबर प्रज्ञान अपने NavCam से लगातार चंद्रमा की सतह से तस्वीरें भेज रहा है.आज प्रज्ञान के NavCam द्वारा खींची गई किछ तस्वीरें भारतीय अतंरिक्ष अनुसंधान केंद्र (ISRO) ने जारी किया है. ये तस्वीरे बेहद खास है. इन तस्वीरों में चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव के सतह की स्थिति साफ साफ दिखाई दे रही है. इस तस्वीर में प्रज्ञान रोवर से चंद्रमा की सतह का क्लोज फोटो लिया है जिसमें शीर्ष पर लैंडर का रैम्प दिखाई दे रहा है.

चंद्रमा को लेकर शोध में हुआ नया खुलासा
चंद्रमा को लेकर लगातार चल रहे शोध में नई नई जानकारियां सामने आ रही है. एक ब्रिटिश साइंस मैगजिन नेचर के मुताबिक आज हम जिस चंद्रमा को देख रहे हैं, वह कभी पिघली हुई चट्टान का एक गर्म और ज्वलंत गोला हुआ करता था. मैगजिन के इस तथ्य को भारतीय अंतरिक्ष विज्ञान केंद्र इसरो के चंद्रयान-3 की टीम ने पुष्टि भी की है.
टंद्रयान 3 की टीम ने प्रज्ञान रोवर के जरिये चंद्रमा से मिल रही जानकारियों के आधार पर उसकी पुष्टि की है. चंद्रमा को लेकर शोध कर रहे रिसर्च पेपर के मुख्य लेखक अहमदाबाद स्थित भौतिक अनुसंधान प्रयोगशाला (पीआरएल) के वैज्ञानिक डॉ. संतोष वी. वडावले है जिन्होने लगभग तीन दर्जन वैज्ञानिकों के द्वारा किये जा रहे रिसर्च और “चंद्रमा की मिट्टी का विश्लेषण करन के बाद नेचल मैगजिन के लेख की पुष्टि की है कि चंद्रमा लगभग 4.4 अरब साल पहले, अपने जन्म के तुरंत बाद एक पिघली हुई चट्टान का गोला था. जो धीरे धीरे ठोस में तब्दील हो गया.